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    अच्छी खबर: IIT गुवाहाटी ने तैयार किया कमाल का उपकरण, मूक व्यक्तियों की बनेगा आवाज; कीमत केवल दो हजार

    Updated: Tue, 07 May 2024 07:55 PM (IST)

    गूंगों को अब अपने मन की बात दूसरों काे बताना और समझाना आसान हाेगा। वह समाज में दया के पात्र नहीं बनेंगे। उनकी आवाज अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) गुवाहाटी (IIT Guwahati) द्वारा विकसित उपकरण बनेगा। उपकरण वोकल कॉर्ड्स में पैदा होने वाली कंपन से कृत्रिम मानव आवाज उत्पन्न करेगा। बड़ी बात यह है कि इस उपकरण को पेटेंट मिल चुका है।

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    मूक व्यक्तियों के लिए आवाज बनेगा आइआइटी में तैयार सेंसर

    हंसराज सैनी,मंडी। उपकरण गूंगों यानी बोलने में असमर्थ लोगों की जिंदगी में रंग भरने का काम करेगा।

    उपकरण तैयार करने में मात्र 2000 रुपये खर्च आया है। व्यावसासिक तौर पर उत्पादन शुरु होने पर लोगों को यह उपकरण इससे कम कीमत पर मिलेगा। बड़ी बात यह है कि इस उपकरण को पेटेंट मिल चुका है।

    उपकरण वोकल कॉर्ड्स में पैदा होने वाली कंपन से कृत्रिम मानव आवाज उत्पन्न करेगा। तुलना परीक्षणों ने पुनर्निर्मित भाषण यानी स्पीच संकेतों को पारंपरिक भाषण के लिए स्पष्ट और तुलनीय दिखाया जो गूंगों और चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए संभावित लाभ प्रदान करेगा। वोकल कार्ड्स के कंपन संकेतों से सीधे मानव भाषण संकेत उत्पन्न करने की यह एक नई विधि है।

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    श्वास नलिका के माध्यम से फेफड़ों से वायु प्रवाह

    भाषण उत्पादन श्वास नलिका के माध्यम से फेफड़ों से वायु प्रवाह के साथ शुरू होता है जो स्वरयंत्र या वायस बाक्स को सुविधा प्रदान करता है। स्वरयंत्र गले और श्वास नलिका के बीच एक नाली के रूप में कार्य करता है। स्वरयंत्र के अंदर मुखर सिलवटें होती हैं जो ग्लोटिस द्वारा विनियमित होते हैं। फेफड़ों और मुंह के बीच वायु प्रवाह को नियंत्रित करती हैं। स्वरयंत्र ध्वनियों को बनाने के लिए मुखर सिलवटों के बीच की जगह को समायोजित करता है जो वोकल मार्ग के माध्यम से गुजरता हैं। आवाज बनाने के लिए मात्रा और पिच को संशोधित करता हैं।

    शोधार्थियों की इस टीम ने विकसित किया एलओक्यूयू

    आइआइटी गुवाहाटी के इलेक्ट्रानिक्स एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर समरेंद्र दंडापत के मार्गदर्शन में और डॉ. एलएन शर्मा के नेतृत्व में फारवेश सलमान चौधरी,सिबासिस साहू,देबासिस ज्योतिशी, मोइरंगथेम जेम्स सिंह, समरजीत दास और येंगहोम ओमेश सिंह की टीम ने एलओक्यूयू उपकरण विकसित किया है।

    लैटिन शब्द एलओक्यूयू से व्युत्पन्न तकनीक

    एलओक्यूयू बोलने या बात करने के लिए लैटिन शब्द से व्युत्पन्न यह तकनीक मनुष्य में बिना किसी चीर फाड़ काम करेगी। गूंगे व्यक्ति को गले के बाहर सेंसर लगाना होगा। अभिनव दृष्टिकोण वोकल वोकल कार्ड्स कंपन से भाषण संकेतों का पुनर्निर्माण कर सेंंसर के साथ जुड़े बाक्स को प्रेषित करेगा। बाक्स में स्पीकर लगा है। स्पीकर से उस व्यक्ति की कृत्रिम आवाज आएगी।

    पारंपरिक माइक्रोफोन के लिए एक व्यवहार्य विकल्प

    इस तकनीक में गैर इनवेसिव सेंसर का उपयोग करके वोकल कार्ड्स की कंपन को कैप्चर करना और भाषण हार्मोनिक्स उत्पन्न करने के लिए इन संकेतों को इलेक्ट्रानिक रूप से संसाधित करना मुख्य उद्देश्य है। परिणामी भाषण संकेत पारंपरिक भाषण के समान हैं। पारंपरिक माइक्रोफोन का उपयोग करके रिकार्ड किए गए संकेतों के साथ तुलना परीक्षणों के माध्यम से मान्य है। पुनर्निर्मित भाषण संकेतों को व्यापक तुलना परीक्षणों में पारंपरिक भाषण के लिए स्पष्ट और तुलनीय पाया गया है। पारंपरिक माइक्रोफोन के लिए एक व्यवहार्य विकल्प प्रदान करेगा और भाषण स्पष्टता को बढ़ाएगा।

    भाषा नहीं बनेगी बाधा

    देश के विभिन्न राज्यों में अलग अलग भाषा बोली जाती है। भाषा को बोलने और समझने में दिक्कत नहीं आएगी। बाक्स के अंदर लगे उपकरणों में देश की सभी प्रमुख भाषा स्टोर है। विभिन्न प्रकार की भाषा बाेलने के दौरान वोकल कार्ड्स में अलग अलग कंपन पैदा होती है।

    भाषण हानि से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए यह उपकरण मील का पत्थर साबित होगा। इसमें देश के अलग अलग राज्यों में बोली जाने वाली भाषा भी बाधक नहीं बनेगी। यह तकनीक गैर इनवेसिव है। यानी सेंसर लगाने में किसी प्रकार की चीर फाड़ नहीं करना पड़ेगी। मूक व्यक्ति को उपकरण अपने साथ रखना होगा।

    डॉ.एलएन शर्मा,पोस्ट डाक्टोरल आइआइटी गुवाहाटी