शुगर मरीजों के लिए बड़ी राहत, अब केवल 5 मिनट में जान सकेंगे फास्ट फूड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स
आईआईटी गुवाहाटी के शोधार्थियों ने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो पांच मिनट में फास्ट फूड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) बता सकता है। इस तकनीक से मधुमेह रोगी बेहतर आहार प्रबंधन कर पाएंगे। इस डिवाइस से खाद्य पदार्थों को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। तेजी से पचने वाला स्टार्च (आरडीएस) धीरे-धीरे पचने वाला स्टार्च (एसडीएस) और प्रतिरोधी स्टार्च (आरएस)।

हंसराज सैनी, मंडी। आपको शुगर है या ऐसा लगता है कि आप प्री डायबिटिक हैं और सामने लजीज व्यंजन पड़ा है। अब दो ही रास्ते हैं या तो चुपचाप खा लें या फिर मन मसोस कर रह जाएं। लेकिन अब तीसरा रास्ता भी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधार्थियों ने ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो पांच मिनट में फास्ट फूड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) बता सकता है।
किसी पदार्थ को खाने से आपका शुगर स्तर कितना बढ़ सकता है, जीआई, उसी का माप है। इस तकनीक से रोगी बेहतर आहार प्रबंधन कर पाएंगे। पोर्टेबल ग्लाइसेमिक इंडेक्स सेंसर युक्त डिवाइस को प्रोफेसर दीपांकर बंद्योपाध्याय के नेतृत्व में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने बनाया है।
घर बैठे जांच कर सकेंगे जीआई
जीआई जांचने के लिए किसी प्रयोगशाला में नहीं जाना होगा। मरीज घर बैठे इसकी जांच कर बिना डर अपना पसंदीदा फास्ट फूड खा सकेंगे। उच्च जीआई वाला आहार तुरंत ब्लड शुगर को बढ़ाता है और फिर तेजी से गिराता है। इंसुलिन की मांग बढ़ जाती है। इससे टाइप-2 डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ता है। इसके विपरीत कम जीआई फूड ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं।
डिवाइस कैसे करता है काम?
बकौल प्रोफेसर दीपांकर बंद्योपाध्याय, गोल्ड नैनोपार्टिकल्स और अल्फा-ऐमिलेज एंजाइम को मिलाकर एक खास नैनोएंजाइम तैयार किया है। यह नैनोएंजाइम लंबे स्टार्च को माल्टोज नामक सरल शुगर में तोड़ता है। माल्टोज की मात्रा को इलेक्ट्रोकेमिकल तरीके से मापा जाता है। जांच के लिए सेंसर युक्त डिवाइस में मात्र फास्ट फूड का सैंपल रखना होगा। जांच प्रक्रिया कमरे के तापमान पर केवल पांच मिनट में पूरी होगी।
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फूड श्रेणियों का वर्गीकरण
इस डिवाइस के जरिए खाद्य पदार्थों को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत गया है।
- तेजी से पचने वाला स्टार्च (आरडीएस)
- धीरे-धीरे पचने वाला स्टार्च (एसडीएस)
- प्रतिरोधी स्टार्च (आरएस)
फास्ट फूड पर डिवाइस का परीक्षण
डिवाइस का परीक्षण क्रैकर्स, बिस्किट, चिप्स और ब्राउन ब्रेड जैसे फास्ट फूड पर किया गया। क्रैकर्स में सबसे अधिक आरडीएस पाया गया, जो ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाता है। इसके बाद चिप्स और फिर ब्राउन ब्रेड है।ब्राउन ब्रेड में एसडीएस और आरएस की मात्रा अधिक थी, जो ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है और इंसुलिन की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है।
शोध का प्रकाशन और पेटेंट
यह शोध सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग नामक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस शोधपत्र के लेखक प्रथु राजा परमार, जीवा ज्योति महंता, सौरभ दुबे, तपस कुमार मंडल और प्रोफेसर दीपांकर बंद्योपाध्याय हैं। इस डिवाइस के लिए पेटेंट भी फाइल किया गया है। इसकी आवेदन संख्या 202331031908 है। पेटेंट मिलते ही इस तकनीक को बाजार में उतारा जाएगा।
इसके लिए कई लिए कई मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों से तकनीक हस्तांतरण पर बातचीत चल रही है। यह शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित था।
फास्ट फूड और मिठाइयों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई)
बर्गर (सफेद बन के साथ): जीआई 60-70
(मध्यम श्रेणी में आता है, लेकिन इसके साथ तला हुआ आलू और सॉस जीआई को बढ़ा सकते हैं।)
रसगुल्ला: जीआई 70-80
(चीनी सिरप की वजह से जीआई उच्च होता है।)
हलुआ (सफेद चीनी ): जीआई 75-85
(शुद्ध कार्बोहाइड्रेट से बने होने के कारण इसका जीआई भी उच्च होता है।)
डायबिटीज रोगियों के लिए जीआई के दिशा-निर्देश
55 से कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ सबसे सुरक्षित होते हैं। जैसे: चना, दाल, जौ, सब्जियां। मध्यम जीआई (56-69) वाले खाद्य पदार्थ सीमित मात्रा में लेना चाहिए। वहीं, उच्च जीआई (70 या अधिक) वाले खाद्य पदार्थ से बचना चाहिए।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) का पता लगाने के लिए फिलहाल कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है। आमतौर पर ब्लड शुगर का स्तर जांचने के लिए एचबीए1सी टेस्ट किया जाता है। इससे पिछले तीन माह में खून में औसत शुगर स्तर का पता लगाता है। टेस्ट के लिए खून का सैंपल देना होता है। अगर पहले ही खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स पता चल जाएगा तो मधुमेह रोगियों को ब्लड शुगर नियंत्रित करने में आसानी होगी।
डॉ. राजेश भवानी, मेडिसिन विभागाध्यक्ष, श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नेरचौक
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