ग्रामीण महिलाओं को कुशल उद्यमी बनाएगी आइआइटी मंडी
जागरण संवाददाता, मंडी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी अब ग्रामीण महिलाओं को कु
जागरण संवाददाता, मंडी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी अब ग्रामीण महिलाओं को कुशल उद्यमी बनाएगा। महिलाओं को कंप्यूटर चलाने का प्रशिक्षण मिलेगा। उनका व्यक्तित्व विकास होगा। अंग्रेजी बोलचाल सिखाया जाएगा, ताकि उन्हें फील्ड में जाकर किसी प्रकार की परेशानी न हो। प्रथम बैच में क्षेत्र की सात महिलाओं ने अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी बनाने के उद्देश्य से एक इनक्युबेटर की स्थापना की है। इसका संचालन आइआइटी मंडी का महिला सेंटर कर रहा है।
ग्रामीण महिलाओं को सेवा आपूर्ति केंद्र या लघु उद्यम स्थापित करने में मदद की जा रही है। इसमें जिले की चार पंचायतों कमांद, कटौला, क¨टडी व नवलाय की महिलाओं के साथ भागीदारी की है।
एनआइआइटी फाउंडेशन के सहयोग से दो सर्टिफिकेट कोर्स पेश किए गए हैं। बेसिक कंप्यूटर लिटरेसी सर्टिफिकेशन के तहत एमएस ऑफिस की ट्रे¨नग के साथ इंटरनेट की जानकारी दी जाती है, इसमें ऑनलाइन टिकट बु¨कग, बैं¨कग, ओपन यूनिर्विसटी में नामांकन और आधारकार्ड के विवरण देखना आदि बुनियादी कार्यो में निपुण बनाया जाता है। अंग्रेजी में बोलचाल व सर्टिफिकेट कोर्स के तहत उन्हें अंग्रेजी बोलचाल का ज्ञान और उनके व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया जाता है, ताकि महिलाएं विभिन्न संस्कृति के लोगों से बेहतर संवाद कर सकें।
आइआइटी मंडी महिला सेंटर की मुख्य सलाहकार डॉ. प्रिसिला गोंजाल्विस का कहना है 2010 में जब क्षेत्र में कदम रखा तो पाया था कि हम हिमाचल के पारंपरिक समुदाय के बीच आ गए हैं। आइआइटी बनने का स्थानीय जनजीवन पर बड़ा असर होगा यह बात हमें जल्द समझ आ गई। स्थानीय महिलाओं के लिए इस बदलाव को आसान बनाने, नई दिशा दिखाने के साथ प्रशिक्षण और जानकारी देनी जरूरी थी। इससे आइआइटी के शहरी,आधुनिक परिवेश और स्थानीय किसान समुदाय के ग्रामीण परिवेश के बीच की दूरी कम करने में मदद मिली है।
सफलतापूर्वक कोर्स पूरा कर चुकी दो महिलाओं को इंटर्नशिप करने का मौका मिला है। एक महिला ने भूमि विकास संबंधित कार्य करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। प्रत्येक कोर्स तीन माह का है। प्रतिदिन दो घंटे की कक्षा लगती है। सर्टिफिकेट देने से पहले उम्मीदावारों के मूल्यांकन के लिए बतौर बाहरी परीक्षक एनआइआइटी फाउंडेशन की टीम आती है।
संदोआ गांव की 20 वर्षीय पार्वती ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा उसे इडब्ल्यूओके (इनएब¨लग वीमेन ऑफ कमांद) में ट्रे¨नग लेने के बाद काम करने का बेहतर मौका मिला है। करियर में अगला कदम कहां रखें, इसका सही रास्ता दिखाया गया। यह सोचकर उसका आत्मविश्वास दोगुना हो गया कि है कि आज उसकी तरह कई महिलाएं ¨जदगी में कुछ कर सकती हैं।
बगलीधार गांव की 30 वर्षीय निर्मला देवी बताती हैं, मैंने कंप्यूटर पर काम करना सीखा, ताकि मैसेज भेज सकूं और लोगों के संपर्क में रहूं। निर्मला देवी जल्द ही लैंडस्केप डेवलपमेंट कांट्रेक्टर बनेंगी।