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    Mandi Cloudbusrt: हौसले को सलाम, भूस्खलन में फंसी पर दीक्षा ने नहीं मानी हार, खुद बची फिर औरों की भी बचाई जान

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 12:28 PM (IST)

    Mandi Cloudbusrt हिमाचल प्रदेश के सराज गाँव की 17 वर्षीय दीक्षा ने 30 जून की रात को बादल फटने से आई आपदा में साहस का परिचय दिया। मलबे में दबने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और खुद को बाहर निकाला। उसने अपनी जान बचाने के बाद आसपास के लोगों को भी सतर्क किया जिससे कई लोगों की जान बच गई।

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    मंडी के सराज में बादल फटने से हुई तबाही व दलदल से बचकर निकली दीक्षा के साथ जयराम ठाकुर।

    जागरण संवाददाता, मंडी। Mandi Cloudbusrt, 30 जून की रात को चारों ओर घना अंधेरा था। आसमान में बिजली कड़क रही थी। हर तरफ डर व बेचैनी का माहौल था। सराज घाटी की शरण पंचायत के शरण गांव की बेटी ने इस काली रात से डरकर हिम्मत नहीं हारी, बल्कि आपदा का साहस और समझारी के साथ सामना किया। न केवल खुद को बचाया, औरों की जान भी बचा ली। 17 वर्षीय दीक्षा ने जो साहस दिखाया, उसने हर दिल को गर्व से भर दिया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बुधवार को दीक्षा से मुलाकात की और हिम्मत की सराहना की।

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    दर्द, सन्नाटे व उस घुटन में भी नहीं मानी हार

    दीक्षा सोमवार रात को तेज बारिश का शोर सुन कमरे से बाहर निकली। तेज गर्जना के साथ मलबा नीचे आया व दीक्षा उसकी चपेट में आ गई। चंद मिनट के अंदर मलबा कंधे तक पहुंच गया। कोई आसपास नहीं था। कोई सुनने वाला नहीं। मिट्टी, पत्थर व टूटे पेड़ों के बीच वह फंस गई, लेकिन हौसले को चोट नहीं लगी। उस दर्द, उस सन्नाटे, उस घुटन में भी दीक्षा ने हार नहीं मानी। घायल शरीर, कांपते हाथों और डर से थरथराने के बावजूद, उसने मिट्टी हटाई, सांस की तलाश में खुद को ऊपर खींचा। आखिरकार मलबे से बाहर निकल आई, लेकिन उसकी बहादुरी यहीं खत्म नहीं हुई।

    आवाजें लगाकर किया लोगों को किया सतर्क

    बाहर आते ही उसने जोर-जोर से आवाजें लगाईं। इससे आसपास के लोग जागे। उन्होंने समय रहते अन्य फंसे हुए लोगों को भी बचा लिया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जब इस बेटी की कहानी सुनी तो खुद गांव पहुंचे। दीक्षा के हौसले को सलाम किया। उन्होंने कहा कि यह साहस अब हिमाचल की बेटियों की पहचान है। उसकी आंखों में जो जज्बा था, वह कह रहा था कि मैं डर सकती हूं पर हार नहीं मानूंगी।