Thrilling के हैं शौकीन, 28 किमी का ये ट्रैक देगा बेहतरीन अनुभव; पार्वती घाटी के कलगा गांव से होता है शुरू
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक बेहद खास है। ट्रैकिंग के साथ सूर्यास्त का मनमोहक नजारा साहसिक गतिविधियों के शौकीनों को लुभाता है। कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में पिन पार्वती नदी की कलकल करती आवाज व बर्फ के पहाड़ों के बीच गुजरने वाला रास्ता 28 किलोमीटर लंबा ट्रैक तीन दिन में पूरा किया जा सकता है। यह ट्रैक पार्वती घाटी में कलगा गांव से शुरू होता है।

मुकेश मेहरा, मंडी। Kalga-Bunbuni-Kheerganga Trekking: ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक बेहद खास है। ट्रैकिंग के साथ सूर्यास्त का मनमोहक नजारा साहसिक गतिविधियों के शौकीनों को लुभाता है। कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में पिन पार्वती नदी की कलकल करती आवाज व बर्फ के पहाड़ों के बीच गुजरने वाला रास्ता 28 किलोमीटर लंबा ट्रैक तीन दिन में पूरा किया जा सकता है। यह ट्रैक पार्वती घाटी में पुलगा डैम के ऊपरी तरफ स्थित कलगा गांव से शुरू होता है। पुलगा डैम तक गाड़ी में पहुंचा जा सकता है।
ट्रैकिंग के दौरान यह बेहतर व्यंजन का ले सकते हैं आनंद
ट्रैकिंग पर जाने के दौरान अपने साथ रहने व खाने का सामान और गाइड जरूर साथ रखें। कलगा से ट्रैक आरंभ होने के बाद पहला पड़ाव 12 किलोमीटर बाद बुनबुनी है। पहाड़ी की चोटी से मणिकर्ण घाटी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां से सूर्यास्त का बेहतरीन नजारा मन मोह लेता है। यहां जड़ी-बूटियों के अलावा जंगली खाद्य पदार्थ गुच्छी व लिंगड़ पाया जाता है। इनकी पहचान हो तो ट्रैकिंग के दौरान यह बेहतर व्यंजन हो सकते हैं।
बर्फ के पहाड़ों और देवदार के जंगलों से गुजरेंगे
बुनबुनी से अगले दिन खीरगंगा के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है। करीब 16 किलोमीटर के सफर में बर्फ के पहाड़ों से गुजरते हुए देवदार के जंगल के बीच पहाड़ की ये वादियां ट्रैकिंग के रोमांच को दोगुना कर देती हैं। खीरगंगा में पहुंचने के बाद यहां रात्रि ठहराव किया जा सकता है। यहां रहने व खाने के लिए होटल व हट्स इत्यादि हैं। खीरगंगा से अगर इसी ट्रैक से नहीं लौटना चाहते हैं तो 18 किलोमीटर का सफर कर तोष व बरशैणी होते हुए पुन: पुलगा डैम पहुंच सकते हैं।
मणिकर्ण में साहिब गुरुद्वारा और कसोल घूम सकते हैं
खीरगंगा में गर्म पानी के चश्मे खीरगंगा गर्म पानी के चश्मों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ज्यादातर पर्यटक यहां तोष के रास्ते से पहुंचते हैं। यह ट्रैक भी पर्यटकों के लिए शानदार अनुभव देता है। रास्ते में मणिकर्ण में साहिब गुरुद्वारा और कसोल भी घूमने के लिए अच्छी जगह है।
ऐसे पहुंचें कलगा
कुल्लू जिले के भुंतर तक सड़क व हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। भुंतर हवाई अड्डा तक दिल्ली-चंडीगढ़ से उड़ाने हैं। भुंतर उतरने के बाद 25 किलोमीटर दूर मणिकर्ण के लिए गाड़ी और बस में पहुंच सकते हैं।
बस व टैक्सी दोनों सुविधाएं हैं उपलब्ध
मणिकर्ण से 10 किलोमीटर दूर कलगा गांव है जहां से ट्रैक आरंभ होता है। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन पर चंडीगढ़ से 203 किलोमीटर भुंतर है। यहां बस व टैक्सी दोनों सुविधाएं हैं।
ट्रैकिंग के दौरान ये चीजें रखें साथ
यात्रा के दौरान अपने साथ खाने के लिए रेडी टू ईट भोजन ले जा सकते हैं। छोटा गैस सिलेंडर खाना बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। टेंट, वर्षा से बचने के लिए रेन सूट, बड़े जूते, टार्च भी लेकर जाएं। जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए हथियार भी रखें। तीन दिन का कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा बेहतरीन ट्रैक हैं। बर्फ से ढके पहाड़ अलग ही रोमांच देते हैं। बुनबुनी से दिखने वाला सूर्यास्त का दृश्य अलौकिक लगता है।
विवेक लखनपाल, ट्रैकर व डीडीएम एचआरटीसी, हमीरपुर
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