25 वर्ष की कठोर तपस्या, हिमाचल के बिहारी लाल ने 28000 पत्थरों पर उकेरा ‘राम’ नाम, जब मंदिर बना तो छलक गए आंसू
मंडी जिले के बिहारी लाल ने 25 वर्षों तक हनुमान मंदिर के लिए पत्थरों पर ‘राम’ नाम तराशा। सुंदरनगर के पास मंदिर के लिए 28000 पत्थरों पर उन्होंने ‘राम’ उकेरा। दिहाड़ी पर काम करने वाले बिहारी लाल के लिए यह काम भक्ति बन गया। मंदिर निर्माण पूरा होने पर वे भावुक हो गए। लोग उन्हें राजमिस्त्री नहीं संत मानते हैं जिनकी आत्मा पत्थरों में बसी है।

कुलभूषण चब्बा, मंडी। धूप, धूल और हथौड़ी की आवाजें, 25 वर्ष से राजमिस्त्री बिहारी लाल की दुनिया बन गई थी। न कोई छुट्टी, न कोई शिकायत, बस हर सुबह एक ही संकल्प "आज एक और पत्थर पर ‘राम’ लिखना है। मंडी जिले के गोहर उपमंडल की गवाड़ पंचायत के रहने वाले 53 वर्षीय राजमिस्त्री बिहारी लाल की जिंदगी किसी तपस्वी से कम नहीं।
17 सितंबर 2000 को एक छोटे से कार्य के रूप में सुंदरनगर उपमंडल की महादेव पंचायत में धनोटू-बग्गी मार्ग पर वीर हनुमान मंदिर के लिए पत्थर पर राम तराशने का काम शुरू किया, तब यह उन्हें जिंदगी का उद्देश्य नहीं लगा था। शुरू में उन्हें 150 रुपये की दिहाड़ी मिली थी। अब उन्हें 1000 रुपये दिहाड़ी मिल रही थी।
राम के शिल्पकार बने बिहारी
बुधवार को हनुमान मंदिर का अंतिम गुबंद रखते ही बिहारी को काम से छुट्टी मिल गई। जब पहले पत्थर पर उन्होंने ‘राम’ नाम उकेरा तो वह सिर्फ एक राजमिस्त्री नहीं रहे वह राम के शिल्पकार बन गए। वर्षों बीतते गए। हर पत्थर पर ‘राम’ लिखते-लिखते बिहारी लाल की आंखें झुकती रहीं पर उनकी श्रद्धा कभी नहीं थकी। उन्होंने 28,000 पत्थरों पर ‘राम’ का नाम उकेरा।
शंकराचार्य शैली में बन रहे इस मंदिर के लिए पत्थर सुंदरनगर उपमंडल की कपाही पंचायत से विशेष रूप से मंगवाए जाते थे, जिन्हें बिहारी लाल बारीकी से छांटते, गढ़ते और मंदिर में स्थान देते। उनका यह संकल्प अकेले का नहीं रहा। बेटे ललित कुमार ने भी वर्षों बाद पिता के इस रामकाज में साथ देना शुरू किया।
पिता के साथ बंटाया हाथ
पिता के साथ छेनी-हथौड़ी उठाकर वह भी इसी यज्ञ में सहभागी बन गया। अब जब बुधवार को मंदिर की छत पर अंतिम गुंबद रखा गया, तो वातावरण "जय श्रीराम" के उद्घोष से गूंज उठा। श्रद्धालुओं की भीड़ में एक कोना था जहां खामोशी से बैठा बिहारी लाल आंखें पोंछ रहा था।
उनका गला भर आया था। उनका कहना था कि 25 वर्ष तक दिन-रात इन्हीं पत्थरों से बात की है। हर पत्थर पर ‘राम’ लिखा पर अब यह पत्थर मेरी आत्मा पर भी खुद चुके हैं। मंदिर निर्माण में जुटे लोग उन्हें सिर्फ राजमिस्त्री नहीं, संत मानते हैं। श्रीहनुमान मंदिर सेवा समिति के प्रधान पदम सिंह ठाकुर ने भावुक होकर कहा कि बिहारी लाल जैसे लोगों की भक्ति ही असली मंदिर बनाती है।
अगर पत्थर में राम हैं तो उसमें बिहारी लाल की आत्मा भी बसती है। अब जब बिहारी लाल इस कार्य से विदा ले रहे हैं, उनके हाथ तो थक गए हैं, पर आंखों में अभी भी वही चमक है जैसे कल फिर कोई नया पत्थर आएगा और उस पर ‘राम’ लिखा जाएगा।
बाबा ने पेड़ के नीचे किया था मंदिर निर्माण
बताया जाता है कि कभी एक साधु यहां पहुंचे थे। उन्होंने यहां स्थित एक पेड़ के नीचे हनुमान जी की मूर्ति रखी थी। इसके बाद बाबा ने छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया था। अब कई वर्ष की मेहनत और श्रीराम हनुमान मंदिर सेवा समिति द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है।
मंदिर निर्माण में श्रीराम हनुमान मंदिर सेवा समिति के प्रधान पदम सिंह ठाकुर के साथ ही उप प्रधान खूब राम, महासचिव चमन ठाकुर, अमर सिंह, राजू, देवेंद्र कुमार, अंकुश, रमेश कुमार, संजू, निक्कू और जीत सहित स्थानीय लोगों और कई श्रद्धालुओं की अहम भूमिका रही।
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