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    Photos: आया सैलाब और बहा ले गया इमारतें... बाजार के नाम पर बचे सिर्फ तबाही के निशान, कभी नहीं दिखा ऐसा मंजर

    सराज विधानसभा क्षेत्र का थुनाग बाज़ार प्राकृतिक आपदा से तबाह हो गया है। मूसलाधार बारिश ने इमारतों को धराशायी कर दिया और दुकानों को बर्बाद कर दिया। पहले भी नुकसान हुआ था लेकिन इस बार का जख्म दस गुना गहरा है जिससे कई लोगों की उम्मीदें टूट गई हैं। प्रशासन राहत कार्य में जुटा है और क्षेत्र को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

    By Hansraj Saini Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 03 Jul 2025 12:06 PM (IST)
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    इस बार ऐसा उजड़ा थुनाग बाजार, बसना होगा मुश्किल (Photos)

    जागरण संवाददाता, मंडी। Himachal Flood Latest Update: वह बाजार जो कभी सराज विधानसभा क्षेत्र की रौनक हुआ करता था। सुबह-सुबह दुकानों के शटर उठते ही चाय की भाप और बातचीत की चहल-पहल से दिन शुरू होता था। शाम को ठंडी हवा में घूमते परिवार, बच्चों की खिलखिलाहट और दुकानदारों की आवाजाही… लेकिन इस बार की प्राकृतिक आपदा ने थुनाग को ऐसी खामोशी दे दी है, जिसमें न कोई शोर बचा है, न कोई उम्मीद।

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    तीन दिन तक मूसलाधार बारिश ने जैसे आसमान को भी थका दिया, लेकिन धरती पर यही बारिश थुनाग पर कहर बनकर टूटी है। बाजार की इमारतें दरक गईं, दुकानों का सामान पानी में बह गया, और जो बचा – वो सिर्फ मलबा, कीचड़ और तबाही के निशान थे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बम गिरा हो — हर तरफ टूटी दीवारें, उखड़े बिजली के खंभे, सड़कें जिनका नामोनिशान मिट गया है।

    दो साल पहले जो नुकसान हुआ था, वह लोगों ने मिलकर संभाल लिया था। दुकानों को फिर से सजाया गया था, टूटी इमारतें फिर से खड़ी की गई थीं। थुनाग ने अपनी मुस्कान वापस पा ली थी। लेकिन इस बार का जख्म दस गुना गहरा है। सिर्फ दीवारें नहीं टूटीं, दिल भी टूट गए हैं। विजय जो 20 साल से स्टेशनरी की दुकान चला रहा था, अब मलबे के ढेर पर बैठा है।

    आंखों में आंसू लिए कहता है कि अब कहां से शुरू करूं बेटा? कर्ज लेकर दुकान बनाई थी… अब कुछ भी नहीं बचा। सरिता देवी की छोटी सी कपड़े की दुकान थी। उसने अपनी तीन बेटियों की पढ़ाई उसी से चलाई। अब दुकान की जगह मिट्टी का ढेर है।

    कपड़े तो बह गए, अब उम्मीद भी बह रही है,वह बोलते-बोलते रो पड़ती है। कुछ ऐसी ही स्थिति ललित कुमार व गगन की है। आपदा में उनके सपने भी बह गए। प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय लोग मलबा हटाने में लगे हैं, लेकिन जो उजड़ गया, उसे बसाना आसान नहीं।

    सराज के विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को ढांढस बंधाया, लेकिन उन्हें भी पता है कि इस बार थुनाग को वापस उसी रूप में खड़ा करना वर्षों का काम होगा।

    थुनाग अब सिर्फ एक उजड़ा हुआ बाजार नहीं, बल्कि हर उस उम्मीद का नाम है जो एक पल में मिट्टी में मिल गई। लेकिन हिमाचल की मिट्टी में जिजीविषा भी है। शायद फिर कोई रघुवीर, कोई सरिता, फिर से ईंट-पत्थर जोड़े, उम्मीदें सजाए और थुनाग को सांसें लौटाए।