Himachal Cloudburst: मंडी जिले के सराज में हालात हुए बद से बदतर, रोटी के लिए मोहताज हुए 80 हजार लोग
मंडी जिले के सराज क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है जिससे 80000 लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। सड़कें और पुल टूटने से कई गांव कट गए हैं। राशन की दुकानें और गोदाम बह गए हैं जिससे लोगों को बुनियादी जरूरतें भी नहीं मिल पा रही हैं। प्रशासन हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।

जागरण संवाददाता, थुनाग। मंडी जिले के सराज क्षेत्र में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ ने सिर्फ मकान और रास्ते नहीं बहाए, बल्कि अब 80,000 की आबादी के सामने सबसे बड़ा संकट रोटी का खड़ा कर दिया है। चौथे दिन भी क्षेत्र में हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। सड़कें टूट चुकी हैं, पुल बह चुके हैं।
कई गांवों का संपर्क पूरी तरह कट चुका है। थुनाग, जंजैहली, देजी पखरैर, चिऊणी, जरोल, लंबाथाच, बूंग रैलचौक, ढीम कटारू और संगलवाड़ा में सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। गांवों में दुकानें, राशन गोदाम और निजी स्टोर बह चुके हैं, जिससे लोगों को बुनियादी जरूरत की चीजें भी नहीं मिल पा रहीं।
राशन का स्टाक खत्म हो चुका है। आटा, चावल, दालें और नमक जैसी वस्तुएं अब लोगों के घरों में नहीं हैं। जिन परिवारों ने कुछ सामान बचा लिया था, वह भी अब खत्म होने के कगार पर हैं। सबसे बड़ी चिंता गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और बीमार बुजुर्गों की है, जिन्हें खास भोजन और दवाइयों की आवश्यकता है। चार दिन से दूध,दही,ब्रैड व सब्जी की सप्लाई नहीं हुई है।
'लोग उबले आलू और पानी से मिटा रहे भूख'
सराज में बिजली और नेटवर्क सेवा ठप होने से मदद मांगना भी नामुमकिन सा हो गया है। प्रशासन ने भारतीय वायु सेना के हेलीकाप्टर के जरिए राहत सामग्री पहुंचानी शुरू की है, लेकिन दुर्गम क्षेत्रों व प्रतिकूल मौसम ने इस कार्य को बेहद सीमित कर दिया है।
केवल कुछ ही क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर से सूखा राशन गिराया गया है, लेकिन यह 80,000 लोगों की जरूरतों के मुकाबले बहुत कम है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन दिन से खाना नहीं मिला है। कई गांवों में लोग केवल उबले आलू या पानी से भूख मिटा रहे हैं।
'सेना की तैनाती त्वरित की जाए'
न तो एलपीजी सिलिंडर हैं, न ही लकड़ियां। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार से मांग की है कि सेना की त्वरित तैनाती की जाए ताकि अस्थायी पुलों, राशन डिपो और आपातकालीन कैंपों की व्यवस्था जल्द से जल्द हो सके।
उनका कहना है कि जब तक सड़कों की मरम्मत नहीं होती, तब तक सेना ही एकमात्र विकल्प है। कार्यकारी जिला खाद्य नियंत्रक मंडी विजेंद्र पठानिया का कहना है कि हेलीकाप्टर से करीब 2760 किलो आटा चावल व इतनी ही मात्रा में अन्य सामान भेजा गया है। अब गाड़ियों से बगस्याड़ तक राशन भेजा जा रहा है।
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