हिमाचल में फोरलेन परियोजनाएं पकड़ेंगी गति, विवादों का भी तुरंत होगा समाधान; जिला दंडाधिकारी को मिली शक्तियां
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में बड़ा बदलाव किया है। फोरलेन से अतिक्रमण हटाने का अधिकार अब परियोजना निदेशक के स्थान पर जिला दंडाधिकारी को दिया गया है। सरकार का मानना है कि जिला उपायुक्त भूमि विवादों को बेहतर ढंग से निपटा सकते हैं, जिससे राजमार्ग परियोजनाओं में तेजी आएगी। यह निर्णय राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि और यातायात नियंत्रण अधिनियम 2002 के तहत लिया गया है।

एनएचएआई ने उपायुक्तों को मामलों को निपटाने की शक्तियां प्रदान की हैं। प्रतीकात्मक फोटो
हंसराज सैनी, मंडी। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं से जुड़े मामलों में बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। अब फोरलेन से अतिक्रमण हटाने से संबंधित शक्तियां परियोजना निदेशक (पीडी) के स्थान पर जिला दंडाधिकारी (डीएम) को सौंप दी हैं।
इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि और यातायात नियंत्रण अधिनियम 2002 की धारा 26, 27, 36 और 43 के अंतर्गत शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं।
पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के परियोजना निदेशकों के पास इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार था। वह फोरलेन परियोजनाओं से अतिक्रमण हटाने, नोटिस जारी करने, सुनवाई कर निर्णय जैसे सभी कार्यों के लिए सक्षम अधिकारी माने जाते थे।
अब केंद्र सरकार की ओर से जारी नई अधिसूचना के बाद यह अधिकार संबंधित जिला उपायुक्तों को मिल गया है। केंद्र सरकार का मानना है कि जिला उपायुक्त स्थानीय प्रशासनिक ढांचे के प्रमुख होने के कारण जमीन से जुड़े विवादों, अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को अधिक प्रभावी ढंग से निपटा सकते हैं।
परियोजना निदेशकों की भूमिका की सीमित
परियोजना निदेशकों की भूमिका केवल निर्माण कार्य की स्वीकृति और परियोजनाओं की निगरानी तक सीमित कर दी है। केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक, जिला उपायुक्त अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ सड़क चौड़ीकरण और उससे जुड़े विवादों के निपटारे के लिए भी आदेश पारित कर सकेंगे। उन्हें नोटिस जारी करने और आवश्यक पुलिस सहायता लेने का भी अधिकार होगा।
फोरलेन परयोजनाओं में आएगी तेजी
इस निर्णय से राज्य में चल रही कीरतपुर-मनाली, चंडीगढ़-शिमला, पठानकोट-मंडी और अन्य फोरलेन परियोजनाओं में तेजी आने की उम्मीद है। अब तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में देरी का प्रमुख कारण परियोजना निदेशकों की सीमित प्रशासनिक शक्तियां मानी जाती थीं क्योंकि उन्हें हर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन की मदद लेनी पड़ती थी।
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उपायुक्त अब तुरंत समन्वय कर कार्रवाई कर सकेंगे
अधिसूचना जारी होने के बाद उपायुक्त अब सीधे तौर पर निर्माण एजेंसियों, राजस्व विभाग और पुलिस के साथ समन्वय बनाकर कार्रवाई कर सकेंगे। इससे अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता व निर्माण कार्यों में भी तेजी आएगी। इस कदम से राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के निष्पादन में लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकेगा।
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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि और यातायात नियंत्रण अधिनियम 2002 में किया बदलाव किया है इस अधिनियम की धारा 26, 27, 36 और 43 के अंतर्गत शक्तियां जिला दंडाधिकारी को प्रत्यायोजित की गई हैं।
-वरुण चारी, परियोजना निदेशक एनएचएआइ मंडी।

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