स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम को दिया जाए ताम्र पत्र
संवाद सहयोगी मंडी स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदाराम को ताम्र पत्र दिए जाने की मांग की गई है। र ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, मंडी : स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदाराम को ताम्र पत्र दिए जाने की मांग की गई है। रविवार को उनकी जयंती पर इंदिरा मार्केट की छत पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में नगर निगम की मेयर दीपाली जसवाल व स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम के पोते शमशेर ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ भाई हिरदा राम ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया है।
वीर सावरकर को जब अंडेमान निकोबार की जेल में यातनाएं दी जा रही थी उस दौरान भाई हिरदा राम ने इसका विरोध किया था, जिस कारण अंग्रेजों ने भाई हिरदा राम को पांच फीट के पिजरे में कैद कर यातना दी थी, जिस प्रकार वीर सावरकर को सम्मान दिया गया है उसी तर्ज पर भाई हिरदा राम को भी ताम्र पत्र के साथ साथ सम्मान प्रदान किया जाए।
भाई हिरदाराम स्मारक समिति के सचिव साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन ने भाई हिरदाराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिरदाराम मंडी के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद कर देश को आजादी दिलाने में अहम योगदान दिया। उनका जन्म 28 नवंबर 1885 को मंडी नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम गजन सिंह था। आठवीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने स्वर्णकार के रूप में कार्य आरंभ किया। क्रांति से संबंधित साहित्य पढ़ने पर उनके मन में देश प्रेम का जोश उमड़ने लगा। 1913 में युगांतर आम सान फ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना की गई। भाई हिरदा राम गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य बन गए और मंडी में गदर पार्टी की स्थापना की। बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम बिहारी बोस पंजाब के क्रांतिकारियों के बुलावे पर जनवरी 1915 में अमृतसर आए। रानी खेरगढ़ी ने उन्हें बम बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए राम बिहारी बोस के पास भेज दिया। बाद में भाई हिरदा राम तथा साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लाहौर सेंट्रल जेल में क्रांतिकारियों के विरुद्ध 26 अप्रैल 1915 को मुकदमें की सुनवाई शुरू हुई। भाई हिरदा राम की पत्नी सरला देवी की अपील पर वायस राय हार्डिग ने भाई हिरदाराम की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। अंडेमान जेल व मद्रास जैसी जेल में आजीवन कारावास की सजा काटकर 1929 को अपने घर मंडी रियासत आए। 21 अगस्त 1965 में उनका देहांत हो गया। श्रद्धांजलि समारोह में नगर निगम के उप महापौर वीरेंद्र भट्ट समेत मंडी नगर की प्रबुद्ध जनता मौजूद रही।

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