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देश में बनेंगे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के नैनौ व माइक्रो चिप

कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के लिए अब हमें अमरीका, जर्मनी, चीन या जापान जैसे देशों की तरफ नहीं देखना पड़ेगा। भारत में ही इन इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के नैनो व माइक्रो चिप तैयार होंगे। आइआइटी मंडी में रिसर्च के साथ-साथ ऐसे उपकरणों के डिजाइन भी तैयार किए जाएंगे। वहीं भविष्य में विदेशों में भी इलेक्टॉनिक्स उपकरणों का निर्यात किया जा सकेगा। भारत में इलेक्टॉनिक्स की बहुत बड़ी मार्किट हैं, लेकिन उत्पाद केवल 10 फीसद ही होता है। 90 फीसद इलेक्टॉनिक्स उपकरण का आयात अमरीका, जर्मनी,

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 07:19 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 07:19 PM (IST)
देश में बनेंगे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के नैनौ व माइक्रो चिप
देश में बनेंगे इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के नैनौ व माइक्रो चिप

काकू चौहान, मंडी

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कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के लिए अब हमें अमरीका, जर्मनी, चीन या जापान जैसे देशों की तरफ नहीं देखना पड़ेगा। भारत में ही इन इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के नैनो व माइक्रो चिप तैयार होंगे। आइआइटी मंडी में रिसर्च के साथ-साथ ऐसे उपकरणों के डिजाइन भी तैयार किए जाएंगे। वहीं भविष्य में विदेश में भी इलेक्टॉनिक्स उपकरणों को निर्यात किया जा सकेगा। भारत में इलेक्टॉनिक्स उपकरणों की बहुत बड़ी मार्केट है, लेकिन उत्पादन केवल 10 फीसद ही होता है। 90 फीसद इलेक्टॉनिक्स उपकरण का आयात अमरीका, जर्मनी, यूरोप या चीन से होता है। इस कारण हमें दैनिक उपयोग की वस्तुओं के लिए भी इन देशों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। संबंधित देशों से इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के आयात के लिए जहां लंबा इंतजार करना पड़ता है, वहीं कई तरह की शर्तो को मानना पड़ता है।

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अत्याधुनिक तकनीक वाला एशिया का पहला देश :

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वदेशी उपकरण तैयार करने के लिए आइआइटी मंडी को मेक इन इंडिया के तहत प्रोजेक्ट सौंपा है। यहां पर सेंटर फॉर डिजाइन एंड फेब्रिकेशन ऑफ इलेक्टॉनिक्स डिवाइसेस भी स्थापित हो गया है। भारत में अपनी तरह का यह पहला केंद्र है। यहां पर स्वदेशी नैनो व माइक्रा चिप तैयार पर काम शुरू हो गया है। इससे पहले सिर्फ अमरीका में ही इस पर कार्य किया जाता रहा है। चीन में भी इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं होता था। यहां तक कि एशिया के किसी देश में पास नैनो व माइक्रो चिप तैयार करने की अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं है। भारत पहला देश है जो इस पर काम शुरू कर रहा है।

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आइआइटी मंडी में सेंटर फॉर डिजाइन एंड फेब्रिकेशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस भी स्थापित होने के बाद नैनौ व माइक्रो चिप बनाने का काम शुरू हो गया है। इससे इलेक्टॉनिक्स उपकरण के लिए अब दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। भारत में ही लोगों की इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग को पूरा किया जा सकेगा।

-सतेंद्र कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, आइआइटी मंडी।

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उपकरण व डिजाइन होंगे तैयार :

आइआइटी में स्थापित सेंटर फॉर डिजाइन एंड फेब्रिकेशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस लैब में जहां मोबाइल, कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के लिए चिप बनेगी, वहीं उनके डिजाइन भी यहीं पर तैयार होंगे। इसके लिए देश के नामी इंजीनिय¨रग संस्थानों के इंजीनियरों का मार्गदर्शन लिया जाएगा। वहीं आइआइटी मंडी सहित देश के अन्य संस्थानों के प्रशिक्षु भी शोध करेंगे।

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इसरो के लिए चिप तैयार करेगा आइआइटी मंडी :

इसरो के लिए एएसआइसी चिप भी अब आइआइटी मंडी में ही बनेगी। स्वदेशी चिप के लिए इसरो के प्रोजेक्ट पर आज से काम शुरू हो गया है। यह स्वदेशी चिप देश को एक नई दिशा प्रदान करेगी।


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