'आपदा ने हमें 30 साल पीछे धकेल दिया', लोगों से मिल भावुक हुए जयराम ठाकुर; बोले- हम फिर से खड़े होंगे
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सराज विधानसभा क्षेत्र के आपदाग्रस्त छतरी क्षेत्र का दौरा किया और प्रभावित लोगों को राहत सामग्री वितरित की। उन्होंने कहा कि आपदा ने क्षेत्र को 30 साल पीछे धकेल दिया है सड़कें और पुल टूट गए हैं और कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने प्रशासन से सड़क बहाली का काम तेज़ी से करने की मांग की।

जागरण संवाददाता, जंजैहली (मंडी)। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शनिवार को सराज विधानसभा क्षेत्र के आपदाग्रस्त छतरी क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने मांझीगाड, बिलागाड, भलाती और ठेंसर गांवों में प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उन्हें राहत सामग्री भी वितरित की।
आपदा से हुए भारी नुकसान को देखकर जयराम ठाकुर भावुक हो गए और कहा कि यह त्रासदी हमें 30 साल पीछे धकेल गई है। उन्होंने कहा कि 30 जून को आई आपदा ने सराज क्षेत्र को गहरे जख्म दिए हैं।
तीन दशक पहले जब यहां आता था, तब डिफी यानी लकड़ी के अस्थायी पुलों से खड्डें पार करनी पड़ती थीं। हमने मेहनत से पुल बनाए, सड़कें बनाईं, गांवों को जोड़ा। लेकिन आज फिर डिफी के सहारे आना पड़ा। यह बेहद पीड़ादायक है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि छतरी क्षेत्र की उपजाऊ भूमि, सड़क मार्ग और आवासीय ढांचे को जबरदस्त क्षति पहुंची है। दो घर पूरी तरह बह चुके हैं और सैकड़ों घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहत की बात यह है कि अधिकांश लोगों की जान बच गई।
हम जिंदा हैं, इसलिए फिर से घर भी बनेंगे और रास्ते भी। उन्होंने लोगों को ढांढस बंधाया। नेता प्रतिपक्ष ने प्रशासन की कोशिशों की सराहना की लेकिन यह भी कहा कि काम और तेज करने की जरूरत है।
प्रशासन मुख्य सड़कों की बहाली पर ध्यान दे रहा है, लेकिन जब तक संपर्क सड़कों को बहाल नहीं किया जाएगा, तब तक सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने चिंता जताई कि छतरी क्षेत्र में सेब की फसल पूरी तरह तैयार है।
यदि समय रहते सड़कें न खुलीं, तो बागबानों की पूरी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। कई बागवानों ने उधार लेकर बागबानी में पैसा लगाया है। अगर सेब समय पर नहीं बिके तो वे कर्ज में डूब जाएंगे।
उन्होंने सरकार से मांग की कि सड़क बहाली का काम युद्ध स्तर पर चलाया जाए और इसमें दानी सज्जनों की मदद भी ली जाए। अगर किसी के पास मशीनरी है, तो हम खुद डीजल और अन्य खर्चों की व्यवस्था करेंगे, लेकिन रास्ते खोलना अब प्राथमिकता होनी चाहिए।
सराज की इस आपदा को उन्होंने ‘विकास यात्रा पर एक विराम’ बताया, लेकिन भरोसा जताया कि लोगों के सहयोग और दृढ़ निश्चय से यह क्षेत्र फिर से खड़ा होगा।
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