आपदा से मिली है पहाड़ जैसी चुनौती, प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाना प्राथमिकता - डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री
Himachal Disaster उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की आपदा से बहुत बड़ी चुनौती मिली है। इस त्रासदी के पीछे क्या कारण रहे हैं। चर्चा के लिए अभी यह उचित समय नहीं है। प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार पूरी ईमानदारी व अपने उपलब्ध संसाधनों के दम पर दो माह से राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई है।

मंडी, जागरण संवाददाता। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री (Deputy CM Mukesh Agnihotri) ने कहा की आपदा से बहुत बड़ी चुनौती मिली है। इस त्रासदी (Himachal Disaster) के पीछे क्या कारण रहे हैं। चर्चा के लिए अभी यह उचित समय नहीं है। प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार पूरी ईमानदारी व अपने उपलब्ध संसाधनों के दम पर दो माह से राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई है।
मूलभूत सुविधा का ढांचा दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक रखी है। सड़क,बिजली व पानी की सुविधा बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है। अधिकारी व कर्मचारी अपनी जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं।
ताश को पत्तों की तरह ढह गए लोगों के घर
दैनिक जागरण से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आपदा से लोगों को जैसे जख्म मिले हैं,उन्हें शब्दों में बयां नहीं कर सकते। लोगों ने जिंदगी भर एक एक पैसा जोड़कर अपने सपनों का महल बनाया होता है। घर से लोगों का भावनात्मक लगाव होता है। करोड़ों रुपये कीमत के घर लोगों की आंखों के सामने ताश के पत्तों की तरह ढह गए।
किसी के पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं बची है। आपदा में जिन लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया है,उनके पुनर्वास के लिए सरकार जल्द नीति बनाएगी। मंत्रिमंडल की बैठक में हर पहलु पर बारीकी से चर्चा होगी। पहाड़ जैसी चुनौती है।
करीब 400 लोगों ने गंवाई जान
सरकार जनता के साथ मिलकर आपदा से पार पाने का प्रयास करेगी। बकौल मुकेश अग्निहोत्री, उत्तराखंड की तरह हिमाचल को भी आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर केंद्र शीघ्र आर्थिक सहायता दें। आपदा से 10,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है। 400 के करीब लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। प्रदेश के अधिकतर प्रमुख मार्ग बाधित होने से किसानों,बागवानों और होटल इंडस्ट्री की कमर टूट गई है। पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पेट्रोल डीजल व शराब की बिक्री पर असर पड़ा है। इससे सरकार को जीएसटी के रूप में मिलने वाले करोड़ों रुपये से वंचित होना पड़ा है।
भूविज्ञानियों से चर्चा कर सरकार ठोस नीति बनाएगी
आपदा को लेकर प्रदेश भर में तरह तरह की चर्चा है। कोई नदी नालों के किनारे निर्माण,कोई फाेरलेन व पहाड़ों पर बढ़ते कंक्रीट के जाल को जिम्मेदार बता रहा है। प्रदेश में बादल फटने व भारी वर्षा के पीछे क्या ग्लोबल वार्मिंग का असर है। देश विदेश के विशेषज्ञ इस बात पर मंथन कर रहे हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय भी इस बात पर नजर रखे हुए हैं। भविष्य का हिमाचल कैसा हो। यहां के पहाड़ पहले जैसे मजबूती से टिके रहें। इन सभी बिंदुओं पर भूविज्ञानियों से चर्चा कर सरकार ठोस नीति बनाएगी।
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