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    हिमाचल में सीबीआइ अधिकारियों पर लगे प्रताड़ना के आरोप, पूर्व पंचायत प्रधान की शिकायत के बाद जांच शुरू

    By Rajesh SharmaEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 12:42 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में सीबीआई अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप लगे हैं। एक पूर्व पंचायत प्रधान ने शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने सीबीआई अधिकारियों पर पूछताछ के दौरान प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है, और आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।

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    हिमाचल प्रदेश में सीबीआई अधकारियों पर प्रताड़ना के आरोप लगे हैं, जिसकी जांच शुरू हो गई है। प्रतीकात्मक फोटो

    -शिमला पुलिस ने प्रारंभिक जांच के लिए बालूगंज थाने को सौंपा मामला
    -मंडी के सिध्याणी निवासी ने एसपी शिमला को दिया है शिकायत पत्र

    जागरण संवाददाता, शिमला। शिमला पुलिस ने मंडी के गिरधारी लाल की शिकायत पर सीबीआइ के अधिकारियों की कथित प्रताड़ना के मामले में प्रारंभिक जांच के लिए बालूगंज थाने को सौंप दिया है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जल्द देने के आदेश दिए हैं। यदि जांच में व्यक्ति की प्रताड़ना पाई जाती है तो शिमला में सीबीआइ पर मामला भी दर्ज हो सकता है।

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    दो दिन पहले शिमला पुलिस को सीबीआइ अधिकारियों के खिलाफ प्रताड़ना के आरोप में मंडी जिला के बल्ह क्षेत्र के तहत आने वाले सिध्याणी निवासी 56 वर्षीय गिरधारी लाल ने शिकायत दी थी।

    एसपी शिमला को दिए शिकायत पत्र में गिरधारी लाल ने आरोप लगाया कि उन्हें 22 सितंबर और 30 सितंबर को सीबीआइ के शिमला दफ्तर बुलाकर मार्च 2024 के एक चिट्टा मामले के संबंध में बयान दर्ज करने के लिए दबाव बनाया गया। वह उस दिन घटनास्थल पर साक्षी के रूप में मौजूद थे और जो कुछ देखा-सुना वह पहले ही लिखकर दे दिया था।

    उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बावजूद कार्यालय में मौजूद अधिकारियों ने बार-बार झूठा बयान लिखवाने का दबाव डाला। उन्होंने झूठा बयान देने से इन्कार किया तो अधिकारियों ने गाली-गलौच की। एक बार तो गले से पकड़कर जोर से दबाने की भी कोशिश की, इस कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। उधर, शिमला पुलिस ने शिकायतकर्ता के मंडी में बयान दर्ज किए हैं।

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    पूर्व पंचायत प्रधान है शिकायतकर्ता

    शिकायतकर्ता ने बताया कि वह 2001 से 2015 तक पंचायत प्रधान और एसएमसी अध्यक्ष भी रहे हैं। उन पर पहले कभी कोई आपराधिक मामला नहीं रहा। पुलिस अधीक्षक शिमला से अनुरोध किया है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तुरंत एफआइआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए तथा उन्हें और अन्य गवाहों को संरक्षण उपलब्ध कराया जाए। उनकी मेडिकल रिपोर्ट बनवाई जाए और दफ्तर की सीसीटीवी सामग्री को सुरक्षित किया जाए।