कीरतपुर-मनाली फोरलेन के लिए खतरा बनी ब्यास नदी, NHAI ने सरकार से की ड्रेजिंग की अपील
ब्यास नदी कीरतपुर-मनाली फोरलेन के लिए खतरा बनी हुई है, जिससे 1700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। गाद निकासी न होने से नदी का तल ऊंचा हो गया है, जिससे मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहा है। एनएचएआइ ने सरकार से ड्रेजिंग की अपील की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
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ब्यास नदी कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर बरपा रही कहर (फोटो: जागरण)
हंसराज सैनी, मंडी। मनाली से मंडी तक बह रही ब्यास नदी, जो कभी जीवन का प्रतीक थी। अब दो साल से कीरतपुर मनाली फोरलेन के लिए विनाश का कारण बन गई है।
ड्रेजिंग नीति न बनने और गाद निकासी का कार्य समय पर न होने के कारण इस मार्ग को बार बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले दो वर्षों में करीब 1700 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति का अनुमान है।
2023 की आपदा के दौरान ब्यास नदी ने अपने किनारे पूरी तरह बदल दिए थे। मनाली से कुल्लू के बीच कई स्थानों पर मार्ग बह गया और यातायात 25 दिनों तक ठप रहा।
पर्यटन सीजन चौपट हो गया, होटल खाली रहे और किसानों बागबानों की उपज खेतों में सड़ गई। इस साल भी बरसात में नदी ने फिर कहर बरपाया। 44 स्थानों पर फोरलेन क्षतिग्रस्त हुआ और बाढ़ का पानी कुल्लू से मनाली तक पांच किलोमीटर से अधिक मार्ग बहाकर ले गया।
मार्ग 16 दिनों तक बाधित रहा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को अकेले इस साल करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। टोल बैरियर बार बार बंद करने पड़े, इससे सरकार को भारी राजस्व हानि झेलनी पड़ी है।
मंडी से मनाली के बीच डोहलू नाला और टकोली में दो प्रमुख टोल बैरियर हैं, जो कई दिनों तक बंद हैं। दरअसल, ब्यास नदी में गाद और पत्थरों के जमाव से नदी तल ऊंचा हो चुका है।
नदी का बहाव दिशा बदल चुका है, जिससे हर बार बरसात में सड़क, पुल और तटीय ढांचे को नुकसान पहुंच रहा है। वर्ष 2023 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल सरकार से नदी की ड्रेजिंग करवाने का आग्रह किया था।
इसके बाद एक उच्च स्तरीय कमेटी बनी, जिसने ड्रेजिंग को आवश्यक और तत्काल कदम बताया, मगर मामला फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका। एनएचएआइ के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने 31 अक्टूबर 2023 को प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ब्यास नदी की ड्रेजिंग के लिए चिन्हित स्थानों पर कार्रवाई की अपील की थी।
अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वीरवार को इस मुद्दे पर प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग अभिषेक जैन की अध्यक्षता में बैठक हुई, परंतु समाधान नहीं निकल पाया।
अधिकारियों ने मामले को पेचीदा बताकर जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी। बैठक में यह तय हुआ कि अब ड्रेजिंग का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा, लेकिन यह प्रस्ताव कब बनेगा और चर्चा कब होगी, यह अभी अनिश्चित है।
मंडी एनएचएआइ के परियोजना निदेशक वरुण चारी ने कहा कि मार्ग को बार बार हो रहे नुकसान से न केवल राष्ट्रीय संपत्ति का ह्रास हो रहा है बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था, पर्यटन,बागबानी और कृषि क्षेत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
मनाली से मंडी तक कई स्थानों पर मार्ग की सुरक्षा के लिए ब्यास नदी की ड्रेजिंग अनिवार्य है। पिछले दो साल से इस मुद्दे पर सरकार से आग्रह कर रहे हैं, लेकिन नीति के अभाव में हर बार नुकसान बढ़ता जा रहा है। ड्रेजिंग पर नीति बना उसे धरातल पर उतारने का काम प्रदेश सरकार का है।

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