पैराग्लाइडिंग के दौरान दो पर्यटकों की मौत, आखिर क्यों होती हैं दर्दनाक घटनाएं? बचाव के लिए किन नियमों का करें पालन
कुलू में पैराग्लाइडिंग हादसों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। नियमों की अनदेखी और सुरक्षा उपायों की कमी से पर्यटकों की जान जोखिम में है। जानिए एयरो स्पोर्ट्स नियमों के अनुसार पैराग्लाइडिंग साइट्स पर क्या-क्या होना चाहिए और हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। राज्य सरकार भी इसको लेकर गंभीर नजर दिख रही है।

दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। पर्यटन बहुल क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की जान कैसे बचाई जाए, इसमें एयरो स्पोर्ट्स नियमों का सख्ती से पालन ही नहीं हो रहा है। कैसे पर्यटकों की जान बचेग, इसमें पायलट के पास न तो सेफ्टी पैराशूट का ज्ञान होता है और न ही साइट पर एंबुलेंस ऐसे में एक के बाद एक हादसे पेश आ रहे हैं।
कुल्लू जिला में दो पैराग्लाइडिंग साइट में दो पर्यटकों की जान चली गई, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर फिर भी पैराग्लाइडिंग होती है। सात जनवरी को रायसन में आंध्र प्रदेश के पर्यटक की मौत जबकि 16 जनवरी को गड़सा साइट में तमिलनाडु के पर्यटक की मौत हो गई है।
दोनों मामलों की प्रारंभिक जांच में पायलट की लापरवाही पाई गई है। हालांकि अभी जांच होना बाकी है। प्रत्येक साइट में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। एयरो स्पोर्ट्स नियम 2022 में ग्लाइडर में सेफ्टी पैराशूट और प्रत्येक टेक ऑफ और लैंडिंग साइट पर एंबुलेंस का होना अनिवार्य होता है।
इन चीजों का होना अनिवार्य
इसके अलावा दस्ताने, टखने के जूते, प्राथमिक चिकित्सा बाक्स और मरम्मत किट, सुरक्षा पैराशूट, हेलमेट, सीढ़ी, आठ मिमी व्यास की 50 मीटर नायलन रस्सी, मास्क के साथ कैरबिनर सिलेंडर, प्रत्येक ग्लाइडर के लिए दो, पुली और ऑक्सीजन, दोतरफा रेडियो संचार उपकरण, उपकरण पैनल (अल्टीमीटर, वेरिओमीटर, कंपास, वायु गति सूचक) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (सोलो पायलट के लिए) और पायलट द्वारा प्रस्तुत रिकार्ड नाम सहित डिजिटल लॉग बुक प्रमाण में दर्ज होना चाहिए।
10 लाख रुपये तक का बीमा होना चाहिए
पायलट को चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ होना चाहिए और उसके पास उचित चिकित्सा प्रमाणपत्र तथा पैराग्लाइडिंग करवाने के लिए पायलट, यात्री, सहित अन्य व्यक्तियों के लिए 10 लाख रुपये तक का बीमा होना चाहिए। पायलट को टैंडेम लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले एसआइवी (एडवांस कोर्स) पूरा करना अनिवार्य है।
इन नियमों के लागू होने के दिन से दो साल के भीतर एसआइवी प्रशिक्षण पूरा करना होगा। इसके अलावा 12 वर्ष से कम या 30 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों को पैराग्लाइडिंग करवाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
गर्भवती महिलाओं को हवाई उडान की अनुमति नहीं
प्रतिभागियों के साथ कोई हवाई कलाबाजी नहीं कर सकता है। उपकरणों पर अधिक भार या कम भार नहीं डाला जाएगा। प्रत्येक आपरेशन के आरंभ में सभी प्रतिभागियों को पूर्ण सुरक्षा जानकारी देना अनिवार्य होती है। हृदय रोग, मिर्गी, फेफड़े के रोग, अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को हवाई उडान की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हादसे के बाद साक्ष्य करते हैं गायब
पैराग्लाइडिंग के दौरान पायलट पर्यटकों को गो प्रो कैमरे का इस्तेमाल करता है। इस दौरान पूरी उड़ान की रिकार्डिंग की जाती है। लेकिन जब हादसे होते हैं तो हर बार यह वीडियो रिकार्डिंग गायब की जाती है।
बता दें कि कुल्लू जिले की पैराग्लाइडिंग साइट गड़सा में दो पैराग्लाइडर के टकराने से तमिलनाडु के पर्यटक की मौत हो गई थी। पायलट भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे पीजीआइ चंड़ीगढ़ रेफर किया गया है।
पैराग्लाइडर को 360 डिग्री पर घुमाने के चक्कर में हादसा हुआ। पुलिस ने लापरवाही का मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है। कुछ दिन पहले रायसन साइट में भी हादसे में पर्यटक की मौत हो गई थी।
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