बिताना चाहते हैं सुकून के पल तो आएं कुल्लू की तीर्थन घाटी, ट्री हाउस में ठहरने का आनंद; खाने-खरीदारी से लेकर जानें सब कुछ
कुल्लू जिले की तीर्थन घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। यहां बर्फ से ढके पहाड़, खूबसूरत झीलें और हरे-भरे जंगल हैं। पर्यटक ट्री हाउस में ठहरने, ट्रेकिंग करने और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेने का आनंद ले सकते हैं। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और चैहनी कोठी जैसे आकर्षण भी यहां मौजूद हैं।
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कुल्लू की तीर्थन घाटी, सुकून के पल। फोटो जागरण
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई व्यस्त है। यदि आप भागदौड़ से दूर सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो कुल्लू जिला की तीर्थन घाटी आएं। हिमालय की गोद में बसी और भीड़भाड़ से दूर तीर्थन घाटी काफी शांत है जहां बर्फ से ढकी चोटियां, पहाड़, जंगल, खूबसूरत झीलें और नदी आपका मन मोह लेगी। यहां बहता झरना पर्यटकों को आकर्षित करता है।
तीर्थन घाटी में बने ट्री हाउस (पेड़ों पर घर) में ठहरने और नैसर्गिक सौंदर्य को निहारने का अवसर पर्यटन के अनुभव को यादगार बनाने के लिए काफी है। तांदी, घियागी, सोझा व जिभी गांवों में ट्री हाउस पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। आप होम स्टे व काष्ठकुणी (लकड़ी) शैली में बने गेस्ट हाउस में भी ठहरने का आनंद उठा सकते हैं।
ट्रेकिंग, कैंपिंग, मछली पकड़ने और पक्षियों को देखने जैसी गतिविधियों का लुत्फ भी उठा सकते हैं। जिभी के पास 360 डिग्री व्यू प्वाइंट में बार-बार जाने का मन करता है। यहां से घूमने के लिए जलोड़ी जोत, रघुपुर गढ़, सरयोलसर झील भी पहुंच सकते हैं।
सर्दियों में जलोड़ी जोत में बर्फ का आनंद लेने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। यहां मिलने वाले कुल्लवी व्यंजनों का लुत्फ उठाकर इस यात्रा को नया आयाम दिया जा सकता है। वापसी पर मनाली व आसपास के पर्यटन स्थलों में भी जा सकते हैं।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
तीर्थन घाटी के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। 1,171 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर है, जिनमें हिमालयी काला भालू, हिम तेंदुआ और कस्तूरी मृग जैसी दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं। पर्यटक विभिन्न ट्रैकिंग और हाइकिंग ट्रेल्स के माध्यम से पार्क का भ्रमण कर सकते हैं।
चैहनी कोठी
चैहनी कोठी बंजार घाटी में स्थित एक प्राचीन मीनार है। 17वीं शताब्दी में निर्मित यह मीनार इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का प्रमाण है। पर्यटक इस मीनार का अवलोकन कर सकते हैं और इसके इतिहास और महत्व के बारे में जान सकते हैं।
कैसे पहुंचे तीर्थन घाटी
तीर्थन घाटी पहुंचने के लिए शिमला से वाया आनी और दूसरी ओर औट से बंजार होकर पहुंच सकते हैं। शिमला से तीर्थन घाटी 187 किलोमीटर और औट से 17 किलोमीटर है। कुल्लू स्थित भुंतर हवाई अड्डे तक हवाई मार्ग से आ सकते हैं। यहां से 44 किलोमीटर दूर तीर्थन आप टैक्सी करके पहुंच सकते हैं।
भुंतर के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। इस मार्ग पर उड़ानें सीमित हैं। इसलिए पहले बुकिंग करवा लें। रेलगाड़ी से आप चंडीगढ़ तक आ सकते हैं। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से यह 250 किलोमीटर और अंबाला स्टेशन लगभग 270 किलोमीटर दूर है।
ये सामान साथ रखें
तीर्थन घाटी हिमालय क्षेत्र में स्थित है। यहां खासकर सर्दियों में ठंड काफी अधिक होती है। ट्रेकिंग और हाइकिंग के लिए गर्म कपड़े और अच्छे जूते जरूर पैक करें।
ये करें खरीदारी
तीर्थन घाटी में घूमने आएं तो यहां गर्म कपड़े की खरीदारी कर सकते हैं। इनमें कुल्लू में निर्मित दस्ताने, जुराबें, मफलर, स्टाल, ऊनी जैकेट, बेबी शाल, पूलें, टोपी, जैकेट आदि गर्म कपड़े खरीद सकते हैं। इसके अलावा ऊनी कपड़े खासतौर पर कुल्लू शाल, मफलर उचित दाम पर मिलेंगे। अकसर यहां पर आने के बाद पर्यटकों को बर्फ देखने के जाते समय बरसाती व गर्म कोट की जरूरत होती है जिसे आप यहां खरीद सकते हैं।
क्या खाएं
सिड्डू (मोमो की तरह आटे से बना, जिसे स्टीम में पकाया जाता है) यहां का विशेष व्यंजन है। इसे देसी घी, चटनी या शहद के साथ खा सकते हैं। ट्राउट मछली का स्वाद भी पर्यटक ले सकते हैं। यहां के पहाड़ी राजमाह और चावल का अलग ही जायका है।
हिमाचली धाम जैसे स्थानीय व्यंजनों का लुप्त भी उठा सकते हैं। इसके अलावा परांठे, चना मदरा और स्थानीय रूप से उगाई जैविक ताजा सब्जियों का भी आनंद ले सकते हैं। इनमें से अधिकतर व्यंजनों को होम स्टे में परोसा जाता है। इसके अलावा सादा खाने में दाल- वल, चपाती व चटनी आसानी से मिल जाएगी। यहां आपको स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों की विविधता मिलेगी।
कुल्लू जिला के बंजार उपमंडल की तीर्थन घाटी में सालभर लाखों पर्यटक आते हैं। इन दिनों यहां पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पर्यटक अधिक संख्या में यहां आएं, इसके लिए पर्यटन विभाग ने पूरी तैयारी की है।
-रोहित ठाकुर, जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू

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