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    हिमाचल में बनाया गया दामाद संघ जिसका नाम भी अनोखा है और काम भी

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Tue, 24 Dec 2019 09:00 AM (IST)

    हिमाचल मे दामाद संघ का गठन किया गया है जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान व मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करना है।

    हिमाचल में बनाया गया दामाद संघ जिसका नाम भी अनोखा है और काम भी

    कुल्लू, मुकेश मेहरा। आपने कई संघों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, लेकिन इस संघ का नाम भी अनोखा है और काम भी। इस संघ में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बाहर के वे लोग शामिल हैं जिन्होंने यहां की बेटियों से शादी की है। संघ का नाम है दामाद संघ। इसका उद्देश्य है सांस्कृतिक आदान-प्रदान व मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करना। संघ से अब तक 600 से 700 लोग जुड़ चुके हैं। मंडी जिले के बल्ह के रहने वाले एलआर गुलशन संघ के अध्यक्ष हैं।

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    इसके सदस्य सोशल मीडिया और मोबाइल फोन के माध्यम से आपस में जुड़े रहते हैं। पांच साल पहले अस्तित्व में आए इस संघ के गठन का उद्देश्य केवल जिलों की संस्कृति का आदान प्रदान करना और जरूरत पर एक-दूसरे की मदद करना है। जब भी मौका मिलता है संघ की बैठक की जाती है। संघ से जुड़ने के लिए कोई फीस नहीं रखी है। सिर्फ एक ही शर्त है कि संबंधित व्यक्ति की शादी जिले की बेटी से होनी चाहिए। संघ  में तलाकशुदा या दो शादियां करने वाले व्यक्ति को शामिल नहीं किया जाता है।

    संघ की बैठक के दौरान सभी सदस्य अपने-अपने जिले के रीति रिवाजों के बारे में बताते हैं। फिर अपने-अपने रिश्तेदारों के साथ जब भी मिलते हैं तो इन रीति-रिवाजों की चर्चा करते हैं। ऐसे रीति-रिवाजों की भी बैठक में जानकारी दी जाती है जिन्हें दूसरे जिले के लोगों ने अपनाया है। संघ के सदस्यों की पत्नियां भी इसमें पूरा सहयोग देती हैं। 

    विदेशी दामादों को भी शामिल करने की योजना

    संघ में केवल हिमाचल के विभिन्न जिलों से जुड़े दामाद ही शामिल हैं, लेकिन अब प्रयास है कि विदेशी जिन्होंने यहां आकर हिंदू रीति रिवाज के साथ शादी की और यहीं रह रहे हैं, को भी इसमें शामिल किया जाए। अन्य राज्यों से संबंधित कुल्लू जिले के दामाद भी इसमें शामिल किए जाएंगे। 

    मैं मंडी जिले के बल्ह हलके का निवासी हूं। मेरी शादी कुल्लू जिले में हुई है। कुल्लू जिले के कुछ रीतिरिवाज मंडी जिले से काफी भिन्न हैं। मैंने कुल्लू जिले के कुछ रीति-रिवाजों को आत्मसात किया, लेकिन इसी दौरान ख्याल आया कि क्यों न सांस्कृतिक आदान प्रदान को एक मंच दिया जाए। इसलिए दामाद संघ के गठन का विचार आया। फिर अपने जिले में ऐसे लोगों के साथ इसकी चर्चा की जिनकी शादी कुल्लू जिले में हुई है। ज्यादातर ने इस पर हामी भरी।

    इसके बाद धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई। हालांकि आरंभ में तो कुछ लोगों ने इसका मजाक भी उड़ाया, लेकिन जिस तरह से हमने काम किया, इसकी सराहना भी हुई है। अब इस संघ का पंजीकरण करवाया जाएगा ताकि इसका भी संविधान बनाकर इसको जमीनी स्तर पर लागू किया जाए।

    -एलआर गुलशन, अध्यक्ष दामाद संघ।

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