Shrikhand Mahadev Trek: आसान नहीं श्रीखंड के दर्शन पाना, यहां देखें, 32 KM ट्रैक का सही रूट व यात्रा की जरूरी बातें
Shrikhand Mahadev Trek कुल्लू में स्थित श्रीखंड महादेव यात्रा जो 18570 फीट की ऊंचाई पर है 10 से 23 जुलाई तक चलेगी। यह 32 किलोमीटर की जोखिम भरी यात्रा है जो श्री अमरनाथ और मणिमहेश से भी कठिन मानी जाती है। यात्रा शिमला जिले के रामपुर बुशैहर से शुरू होती है और इसमें पांच बेस कैंप बनाए गए हैं। श्रीखंड में 72 फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन होते हैं
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। Shrikhand Mahadev Trek, हिमालय की वादियों में स्थित श्रीखंड महादेव यात्रा केवल आस्था का तीर्थ ही नहीं, बल्कि आपके धैर्य और शरीर की भी परीक्षा है। एक ऐसी यात्रा जो बर्फ से ढकी चोटियों, घने जंगलों, गगनचुंबी चट्टानों और तेज हवाओं के बीच आत्मा को शिव में विलीन कर देती है। कुल्लू जिले में श्रीखंड के लिए यात्रा 10 से 23 जुलाई तक चलेगी। दुर्गम रास्तों से गुजरने वाली इस 32 किलोमीटर की यात्रा का सफर जोखिम भरा है।
श्री अमरनाथ और मणिमहेश से भी कठिन श्रीखंड यात्रा
यह श्री अमरनाथ यात्रा और मणिमहेश की यात्रा से भी कठिन मानी जाती है। कुल्लू जिले के आनी उपमंडल की 18570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड कैलाश पर्वत पर बसे भोले बाबा के दर्शन के लिए कई भक्त प्रशासन की ओर से तय आधिकारिक यात्रा से पहले ही दर्शन करके लौट आए हैं। यहां बाबा के भक्तों को न तो मौसम रोक पाता है और न ही ट्रस्ट की तय की तारीखें, लेकिन मौसम और प्रशासन के आदेश की अनदेखी करना आपकी जान पर भारी पड़ सकता है। रोमांच से भरपूर श्रीखंड यात्रा के बारे में कुछ रोचक जानकारी
श्रीखंड महादेव जाने वाला पैदल ट्रैक। नदी-नालों व जंगल के रास्ते से ही यह सफर तय होता है।
जांओं से शुरू होती यह यात्रा
श्रीखंड में शिला रूपी शिवलिंग की ऊंचाई करीब 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। श्रीखंड यात्रा का रास्ता शिमला जिले के रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमंड उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांओं से पैदल यात्रा शुरू होती है। निरमंड से मां अंबिका और दत्तात्रेय स्वामी जी की पवित्र छड़ी सात जुलाई को रवाना होगी, जो गुरु पूर्णिमा के दिन श्री खंड महादेव के दर्शन कर वापस दशनामी जूना अखाड़ा निरमंड लौटेगी। इसके बाद प्रशासन की ओर से 10 जुलाई को यात्रा शुरू की जाएगी। आधार शिविर सिंहगाड़ में मेडिकल जांच व पंजीकरण के बाद यात्रा पर जाने की अनुमति मिलती है। यात्रा में पांच बेस कैंप सिंहगाड, थाचडू, कुंशा, भीमडवारी व पार्वतीबाग में बनाए गए हैं। आधार कैंप में प्रशासन, पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात रहेगी। बेस कैंप सिंहगाड समेत हर पड़ाव पर प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गई है।
अभी तक 4200 ने करवाया पंजीकरण
श्रीखंड यात्रा के लिए 15 जून से आनलाइन पंजीकरण शुरू है। अभी तक 4200 लोगों ने पंजीकरण करवाया है। 10 जुलाई तक आनलाइन पंजीकरण रहेगा, इसके बाद आफलाइन पंजीकरण करवाया जाएगा। प्रशासन की ओर से चेतावनी दी गई है कि बिना पंजीकरण के यात्रा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। श्रीखंड महादेव यात्रा पर हर वर्ष चोरी छिपे हजारों श्रद्धालु तय तारीख से पूर्व ही यात्रा कर लौट आते हैं। इसे रोकने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
श्रीखंड महादेव ट्रैक पर ग्लेशियर को पार कर श्रद्धालु आगे बढ़ते हैं।
यहां बनाए गए हैं बेस कैंप
आधार शिविर सिंहगाड़ में मेडिकल जांच व पंजीकरण के बाद यात्रा पर जाने की अनुमति मिलेगी। पंजीकरण शुल्क 250 रुपये है। यात्रा में पांच बेस कैंप सिंहगाड, थाचडू, कुंशा, भीमडवारी व पार्वतीबाग में बनाए गए हैं। आधार कैंप में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट के अधीन मेडिकल, रेस्क्यू पुलिस की टीमें तैनात होंगी। बेस कैंप सिंहगाड़ में चिकित्सक व फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी कर्मी सेवाएं देंगे। थाचडू में चिकित्स, फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी कर्मी, कुंशा में, भीमडवारी में, पार्वतीबाग अधिकारी व कर्मचारी सेवाएं देंगे।
श्रीखंड का महत्व
मान्यता है कि 72 फीट ऊंचे और 46 फीट घेरे वाली इस शिला में भगवान शंकर वास करते हैं। इसलिए इसे श्रीखंड महादेव कहते हैं। बताते हैं कि भस्मासुर ने इसी चोटी पर कड़ी तपस्या की थी। जिस पर प्रसन्न होकर भोले शंकर ने उसकी शर्त मानी। शक्तियां मिलने के बाद घमंड में चूर भस्मासुर जब महादेव के पीछे भागा था तो और निरमंड के साथ देवढांक में एक गुफा में छिप गए थे। भस्मासुर को पति के पीछे पड़ा देख पार्वती रोने लगीं और उसकी अश्रुधारा से नयन सरोवर में पड़ी जहां पर सरोवर बना। आज भी मौजूद इस सरोवर की बनावट आंख के आकार जैसी है। माता पार्वती के आंसुओं की धारा कई किलोमीटर नीचे निरमंड के समीप देवढांक गुफा तक पहुंचती है। इसी तरह यात्रा मार्ग के एक पड़ाव भीमडवारी के बारे में कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां ठहरे थे। भीमडवारी नामक जगह पर भीम दिनभर काम करने के बाद विश्राम करते थे। जबकि भीमडवारी के साथ लालपानी जगह में भीम ने बकासुर का वध किया था और उसके खून से सनी मिट्टी आज भी लाल है। कुछ आगे जाने पर भीमबही नामक स्थान पर भीम के द्वारा तराशे हुए बड़े पत्थर और पत्थरों पर पांडुलिपि के अवशेष आज भी हैं। इसी तरह पार्वती झरना, पार्वतीबाग के बारे में अलग-अलग कथाएं हैं।
यात्रा के लिए जरूरी बातें
-पंजीकरण अनिवार्य करें व चिकित्सा प्रमाणपत्र साथ लाएं।
- अकेले यात्रा न करें केवल साथियों के साथ ही यात्रा करें।
- चढाई धीरे-धीरे चढे सांस फूलने पर वहीं रुक जाएं।
-जरूरी दवाएं, छाता, बरसाती, ग्लूकोज, ड्राई फ्रूट, डंडा, गर्म कपड़े व जूते, टार्च अवश्य लाएं।
क्या न करें
-सुबह छह बजे से पहले और शाम छह बजे के बाद बेस कैंप सिंहगाड से यात्रा न करें।
-अपने साथियों का साथ न छोड़ें, जबरदस्ती चढाई न चढें।
-किसी भी प्रकार के शार्टकट रास्तों का प्रयोग न करें।
-खाली रैपर इत्यादि खुले में न फेंके बल्कि अपने साथ वापस लाकर कूड़ादान में।
-किसी भी प्रकार के धूम्रपान करने वाले पदार्थों का सेवन न करें
कैसे पहुंचे श्रीखंड
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जांओं तक गाडियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर - 130 किलोमीटर
रामपुर से निरमंड - 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल - 17 किलोमीटर
बागीपुल से जांओं - करीब 12 किलोमीटर
श्रीखंड की यात्रा को लेकर पूरी रूप रेखा तैयार कर ली है। 10 जुलाई को पहला जत्था श्रीखंड महादेव को जाएगा। इसके लिए तैयारियां आरंभ कर दी है।
-मनमोहन सिंह, एसडीएम निरमंड।
सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। आनलाइन पंजीकरण चल रहा है। 10 जुलाई से आफलाइन पंजीकरण भी कर सकते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेस कैंप में चिकित्सक व फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व पुलिस के जवान तैनात रहेंगे।
-तोरूल एस रवीश, उपायुक्त कुल्लू।
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