कुल्लू: दिव्यांग बच्चों को दिया नया जीवन, डॉ. श्रुति भारद्वाज को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार; राष्ट्रपति मुर्मू ने किया सम्मानित
सांफिया की संस्थापक डॉ. श्रुति मोरे भारद्वाज को राष्ट्रपति द्वारा “राष्ट्रीय पुरस्कार 2025” से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान दिव्यांगता के क्षेत ...और पढ़ें

डॉ. श्रुति मोरे भारद्वाज को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार 2025 (फोटो: जागरण)
संवाद सहयोगी, कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में सांफिया की संस्थापक एवं कार्यकारी निदेशक डा. श्रुति मोरे भारद्वाज को भारत के राष्ट्रपति द्वारा “राष्ट्रीय पुरस्कार 2025” से सम्मानित किया गया है।
यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में प्रदान किया गया। कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. वीरेंद्र कुमार, सचिव वी. विद्यावती सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
डॉ. श्रुति को दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्यरत सर्वश्रेष्ठ पुनर्वास पेशेवर श्रेणी में चयनित किया गया है। यह पुरस्कार हिमाचल प्रदेश के दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्रों में बच्चों की विकासात्मक विकलांगताओं के लिए उनके एक दशक से अधिक समय से किए जा रहे परिवर्तनकारी कार्य की मान्यता है।
मुंबई से कुल्लू आकर बाल पुनर्वास सेवाओं में आई भारी कमी को दूर करने वाली व्यावसायिक चिकित्सक डा. श्रुति ने कई नवोन्मेषी पहले शुरू कीं, जिसमें आश चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर, प्रारंभिक हस्तक्षेप, थैरेपी और विशेष शिक्षा की एकीकृत सेवाएं, थैरेपी आन व्हील्स ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने वाली मोबाइल पुनर्वा
सांफिया फाउंडेशन ने अनेक नवोन्मेषी और प्रभावशाली कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं।आश बाल विकास केंद्र, सांफिया की पहली पहल, जिसके माध्यम से दिव्यांग बच्चों को प्रारंभिक हस्तक्षेप, थेरेपी और विशेष शिक्षा की समेकित सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
थैरेपी आन व्हील्स एक अभिनव परियोजना जिसके माध्यम से पहाड़ी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले दिव्यांग बच्चों तक पुनर्वास और उपचार सेवाएं उनके घर-द्वार तक पहुंचाई जा रही हैं।
डॉ. श्रुति मोरे भारद्वाज ने कहा कि जब से मैंने दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य प्रारंभ किया है, मुझे हमेशा समाज के विभिन्न समुदायों, संगठनों और सहयोगी संस्थाओं का अपार समर्थन मिला है।
सांफिया की पहली पहल ‘आश बाल विकास केंद्र’ एडी हाइड्रो पावर लिमिटेड द्वारा प्रायोजित है। हमारी ‘थैरेपी आन व्हील्स’ परियोजना दिल्ली स्थित इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड द्वारा प्रायोजित है और चंबा में इसे एनएचपीसी के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, डीइआइसी, क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू और सांफिया का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलाया जा रहा है। मैं इस उपलब्धि का पहला श्रेय अपने माता-पिता और भाई को देना चाहूंगी, जिन्होंने मुंबई से कुल्लू स्थानांतरित होने के मेरे निर्णय में पूरा समर्थन दिया।
साम्फिया हिमाचल प्रदेश में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण, समावेशन और गुणवत्तापूर्ण पुनर्वास सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। संगठन का विश्वास है कि भौगोलिक दूरी कभी भी सेवा-अधिकार में बाधा नहीं बननी चाहिए।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ईश्वर हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में विशेष बनाता है। हमारा समाज तभी पूर्ण रूप से विकसित माना जाएगा, जब दिव्यांगजनों की समान भागीदारी सुनिश्चित हो। वे सिर्फ संवेदनशीलता के पात्र नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में बराबरी के साझेदार हैं।

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