कुल्लू में भूस्खलन कारणों का अध्ययन करने पहुंची GSI टीम , जलनिकासी और अवैध निर्माण पर खड़े हुए गंभीर सवाल
कुल्लू के इनर अखाड़ा बाजार में भूस्खलन के कारणों का पता लगाने के लिए जीएसआइ टीम ने दौरा किया। स्थानीय लोगों ने खराब जलनिकासी और अंधाधुंध निर्माण को जिम्मेदार ठहराया है जिससे नौ लोगों की जान चली गई। टीम तत्काल सुधार उपायों की सिफारिश करेगी और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का अध्ययन करेगी। निवासियों को सरकार से कार्रवाई की उम्मीद है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोका जा सके।

संवाद सहयोगी कुल्लू। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की टीम ने कुल्लू शहर के इनर अखाड़ा बाजार क्षेत्र में भूस्खलन के कारण जानने के लिए अध्ययन आरंभ कर दिया है। वीरवार को टीम के सदस्यों ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। सैंपल भी लिए।
इनर अखाड़ा बाजार पिछले दिनों लगातार दो बार भूस्खलन से आए मलबे की चपेट में आने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। तीन लोग घायल हो गए थे, जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी है। दो व चार सितंबर की सुबह हुए भूस्खलन से भारी नुकसान और मकानों को क्षति पहुंची। स्थानीय निवासियों के गंभीर आरोपों के बीच यह वैज्ञानिक आकलन किया जा रहा है। लगभग 250 घरों में रहने वाले करीब एक हजार लोग खतरे की जद में हैं।
जीएसआइ विज्ञानियों ने स्पष्ट किया कि उनका वर्तमान दौरा तत्काल सुधार उपायों की सिफारिश करने के लिए है। वह कुल्लू शहर के 20 किलोमीटर के दायरे में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का भी अध्ययन करेंगे। उन्होंने कहा कि एक व्यापक अध्ययन तभी किया जाएगा जब हिमाचल सरकार पूरे राज्य में भूस्खलन प्रभावित और संभावित स्थलों की एक सूची उपलब्ध कराएगी, जिसके आधार पर विशेषज्ञ टीमें बनाई जाएंगी।
लोगों ने उपायुक्त तोरुल एस रवीश से मुलाकात की और आपदा के लिए सीधे तौर पर मानवीय लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उनका आरोप है कि खराब जलनिकासी और सीवरेज व्यवस्था, साथ ही उनके इलाके के ऊपर मठ क्षेत्र में बिना किसी नियम के अंधाधुंध निर्माण से इस तरह के भूगर्भीय खतरों के प्रति उनकी संवेदनशीलता काफी बढ़ गई है।
पहाड़ी जिलों की रिपोर्टों में बार-बार भूस्खलन के मुख्य कारणों के रूप में बिना योजना के विकास, नाजुक ढाल पर अवैध निर्माण और खराब जल प्रबंधन को बताया गया है। हर आपदा के बाद अस्थायी आकलन और कार्रवाई के वादे होते हैं, लेकिन नियामक विफलता और बुनियादी ढांचे की अनदेखी की मूल समस्याएं बनी रहती हैं।
फिलहाल, इनर अखाड़ा बाजार के निवासी उम्मीद लगाए हुए हैं। उनकी उम्मीद है कि इस बार सरकार, प्रशासन और संबंधित विभागों की संयुक्त कोशिशें आपदा-पश्चात सर्वेक्षण के सामान्य चक्र से आगे बढ़कर तुरंत कार्रवाई में बदलेंगी।
वह न केवल तत्काल सुरक्षा उपायों की प्रतीक्षा कर रहे हैं बल्कि शुरुआती सितंबर की विनाशकारी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान भी चाहते हैं, जिससे राज्य में होने वाली ऐसी आपदाओं का सिलसिला बंद हो सके।
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