Updated: Fri, 19 Sep 2025 08:07 PM (IST)
कुल्लू के बंजार में चंदे राम का परिवार आपदा से बेघर हो गया है। बच्चे पूछ रहे हैं कि क्या अब उनका घर नहीं होगा। 2023 में भी घर उजड़ा था फिर बनाया। इस बार मकान और जमीन दोनों बह गए। परिवार टैंट में रहने को मजबूर है और सरकार से मदद की उम्मीद कर रहा है। प्रशासन पर भू-विज्ञानिक रिपोर्ट न बताने का आरोप है।
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। बच्चे स्वजन से पूछ रहे हैं अब क्या हमारा अपना घर नहीं होगा। पहले भी मकान बनाया था जो गिर गया अब तो जगह ही नहीं बची है। हमारी पढ़ाई कैसे होगी। बंदल गांव के प्रभावित चंदे राम ने बताया कि मेरे बच्चे पूछ रहे हैं अब कहां पर रहेंगे हम लोग। इस का जवाब नहीं दे पा रहा हूं। मैंने चार कमरों को लकड़ी का मकान था।
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जो आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया है। पहले भी वर्ष 2023 में आपदा आई और उस समय भी मकान क्षतिग्रस्त हुआ था। इसके बाद फिर से मकान बनाया। अब दो सप्ताह पूर्व फिर से ऐसी आपदा आई कि हमें बेघर कर गई।हमारे पास अब न तो जमीन बची है और न ही रहने को छत। हम दो भाई है नौ नौ बिस्वा जमीन हमारे पास है।
लेकिन प्राकृतिक आपदा ऐसी आई की मकान के साथ जमीन भी नहीं बची। अब तो जीवन यापन कैसे होगा इसकी चिंता सताने लगी है। पिछले दो सप्ताह से हम लोग टैंट में रह रहे हैं। अपना घर होते हुए भी आज टैंट में रहने को मजबूर है। चंदे राम के पांच सदस्य पत्नी शांता देवी, बेटी पूजा, बेटा यशपाल, बेटी अंजली अब टैंट में रह रहे हैं।
चंदे राम ने कहा कि वर्ष 2023 में भू-विज्ञानी बंदल गांव में सर्वे करने आए थे।जिसमें उन्होंने इस जगह को रहने के लायक नहीं बताया है। इस बारे में हमें किसी ने भी नहीं बताया और हम लोगों ने फिर से यहीं पर मकान बना दिए। अब बेघर हो गए अगर हमें बताया होता तो हम लोग मकान किसी दूसरी जगह पर बनाते।
ग्राम पंचायत शरची की प्रधान रामेश्वरी देवी ने कहा कि मुझे भी इस बार पता चला है कि भू-विज्ञानी की रिपोर्ट में यह लिखा है कि बंदल गांव रहने के योग्य नहीं है। लेकिन हमें प्रशासन की ओर से रिपोर्ट की जानकारी नहीं दी गई है।
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