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    मनरेगा के नाम और नियमों में बदलाव पर कांग्रेस का आक्रोश, संख्या बल की कमी पड़ी भारी; नहीं निकाल पाई रैली

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 09:04 PM (IST)

    कुल्लू में मनरेगा योजना में प्रस्तावित बदलावों के विरोध में कांग्रेस की रैली अपेक्षित संख्या बल न जुटने के कारण असफल रही। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़ ...और पढ़ें

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    मनरेगा के नाम और नियमों में बदलाव पर कांग्रेस का आक्रोश। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, कुल्लू। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के नाम और नियमों में किए जा रहे प्रस्तावित बदलाव को लेकर कांग्रेस में भारी नाराजगी देखने को मिली। केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में कांग्रेस द्वारा रैली निकालने का कार्यक्रम तय किया गया था, लेकिन अपेक्षित संख्या बल न जुट पाने के कारण पार्टी रैली निकालने में असफल रही।

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    निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराना था, लेकिन मौके पर सीमित संख्या में ही कार्यकर्ता पहुंचे। ऐसे में कांग्रेस को रैली स्थगित कर कांग्रेस कार्यालय के बाहर ही सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करना पड़ा।

    इस दौरान निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सेस राम आज़ाद ने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा का नाम बदल रही है और अब इसके नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले इस योजना के लिए पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती थी, जबकि अब केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और प्रदेश सरकार 40 प्रतिशत राशि वहन करेगी, जो आम नागरिकों और गरीब मजदूरों के साथ अन्याय है।

    उन्होंने कहा कि मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही थी और उन्हें घर-द्वार पर रोजगार मिल रहा था। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा जैसी जनहितकारी योजना को कमजोर करने की साजिश कर रही है। योजना के नाम और नियमों में बदलाव कर ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों पर सीधा कुठाराघात किया जा रहा है।

    कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया कि मनरेगा गरीबों, मजदूरों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव जनता के हितों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कार्यकर्ताओं की कम उपस्थिति पार्टी संगठन के लिए चिंता का विषय है, जिस पर शीघ्र मंथन किया जाएगा।

    कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ने मनरेगा से जुड़े फैसले वापस नहीं लिए, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा। हालांकि, सीमित उपस्थिति के कारण यह विरोध प्रदर्शन प्रभावहीन नजर आया, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।