कश्मीर के बाद यहीं है जन्नत! चंद्रताल झील के बारे में नहीं जानते ज्यादा लोग; कैसे पहुंचे कितना है किराया; जानें सबकुछ
हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रताल झील अपनी सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करती है। चंद्रमा के आकार की यह झील जून से सितंबर तक खुली रहती है। किंवदंतियों के अनुसार चंद्र देव ने यहां स्नान किया था। पर्यटक मनाली या काजा से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंच सकते हैं और कैंपिंग का आनंद ले सकते हैं।

जसवंत ठाकुर, मनाली। हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति के सबसे सुंदर पर्यटन स्थल में से चंद्रताल झील एक है। यहां पर बनी झील की बेहद खूबसूरत और अपने आकार को लेकर आकर्षण के केंद्र है। 14 हजार फीट ऊंची पर स्थित चंद्रताल झील किस जन्नत से कम नहीं है। अगर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो जल्द बनाएं।
दुनिया की खूबसूरत इस झील के दीदार जून से सितंबर तक कर सकते हैं। चंद्रमा जैसे आकार के कारण इस झील का नाम चंद्रताल पड़ा। लाहुल-स्पीति जिले में स्थित यह दुर्गम झील ट्रेकिंग व कैंपिंग जैसी रुचि वाले साहसी पर्यटकों में बहुत प्रसिद्ध है।
चंद्रताल झील के सफर के दौरान सैलानी दुनिया के सबसे लंबे ग्लेशियरों में शुमार बड़ाशिगरी ग्लेशियर को भी करीब से निहार सकते हैं। हालांकि चंद्रताल झील की तरफ जाने वाली सड़क पर सफर जोखिम भरा जरूर है लेकिन यहां पहुंच कर यहां की खूबसूरती को निहारते ही सारी थकान दूर हो जाती है।
सुबह नीली, शाम को हरी व रात को झील काली
लाहुल के इतिहासकार मोहन लाल रेलिंगपा का कहना है कि चंद्रमा के आकार के कारण इसका नाम चंद्रताल झील पड़ा। झील सुबह गहरे नीले रंग की दिखाई देती है, लेकिन शाम होने के साथ ही हरे रंग की और रात में काली दिखाई देती है।
पर्यटन और ट्रैकर का स्वर्ग कही जाने वाली चंद्रताल झील देश की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है। यहां कई पर्यटक आते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्र देव इस झील में स्नान करने के लिए गए थे।
ऐसा कहा जाता है कि इस झील में स्नान करने के बाद चंद्रमा को अपनी सुंदरता और शीतलता वापस मिल गई। कई हिंदू पवित्र जल में स्नान करने के लिए चंद्र ताल झील की तीर्थयात्रा करते हैं। यह झील सुबह नीली, शाम को हरी व रात को काली नजर आती है।
इस तरह पहुंचें चंद्रताल झील
चंद्रताल झील आनी के लिए पूरा रास्ता सड़क मार्ग से तय किया जा सकता है। सड़क मार्ग से चंद्रताल झील के लिए दो रास्ते है। एक रास्ता मनाली से अटल टनल रोहतांग होते हुए है।
दूसरा मनाली काजा मार्ग पर स्थित बातल से दो किमी आगे चंद्रताल के लिए संपर्क मार्ग है। मनाली से चंद्रताल की दूरी 110 किमी है। दूसरा रास्ता शिमला से किन्नौर होते हुए काजा से है। काजा में ठहरकर आप लोसर से कुंजम होते हुए भी चंद्रताल झील पहुंच सकते हैं।
कैसे पहुंचे चंद्रताल झील
झील तक हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए कुल्लू के भुंतर हवाई अड्डा, तक पहुंच सकते हैं जहां से आगे का सफर बस या छोटे वाहन में कर सकते हैं। भुंतर से चंद्रताल की दूरी 160 किलोमीटर है।
रेल द्वारा जोगिंद्रनगर रेलवे स्टेशन से चंद्रताल पहुंच सकते हैं। जोगिंद्रनगर रेलवे स्टेशन से चंद्रताल की दूरी लगभग 280 किमी है। झील से जोगिंद्रनगर सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है।
जगह जगह है रहने की व्यवस्था
चंद्रताल झील से एक किमी पहले ही रहने की व्यवस्था है। यहां टेंटों में रहकर खुले आसमान का आनंद ले सकते हैं। मनाली व काजा से सुबह जाकर शाम को बापस मनाली व काजा लौट सकते हैं। मनाली से बस में मात्र 550 किराया देकर जबकि टैक्सी में सात से आठ हजार किराया देकर पहुंचा जा सकता है।
अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखें
चंद्रताल जा रहे हैं तो गर्म कपड़े जरूर अपने साथ लेकर जाएं। जून से सितंबर के बीच दिन के समय तापमान 12 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जबकि रातें असामान्य रूप से ठंडी हो सकती हैं और तापमान -2 से 6 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। अक्टूबर में कड़ाके की ठंड असहनीय हो सकती है, तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।
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