..तभी तो कहते हैं काजल से काला कलंक
शम्भू प्रकाश शर्मा, कुल्लू अनूप जलोटा के भजन रंग दे चुनरिया के अंतरों में कई गूढ़ बातों का जिक्र ह
शम्भू प्रकाश शर्मा, कुल्लू
अनूप जलोटा के भजन रंग दे चुनरिया के अंतरों में कई गूढ़ बातों का जिक्र है। इनमें एक अंतरा है जल से पतला कौन है कौन भूमि से भारी। कौन अगन से तेज है कौन काजल से कारी। इसका उत्तर दिया है जल से पतला ज्ञान है, पाप भूमि से भारी, क्रोध अगन से तेज है, कलंक काजल से कारी। इस भजन में कलंक को काजल से भी काला बताया गया है। व्यावहारिक जीवन में भी बुजुर्ग, बड़े सब यही सलाह देते हैं कि अपने ऊपर कलंक मत लगने दो। कलंक लगने के बाद भी यदि कोई अपने जीवन को बदल भी दे तो भी दुनिया उसे बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र के लिए विख्यात के मलाणा गांव की भी यही दशा है। चरस उत्पादन के लिए भी मलाणा बदनाम है। नोटबंदी के दौर में मलाणा को लेकर अफवाहें रही कि मलाणा का एक व्यक्ति 92 लाख रुपये, एक व्यक्ति 98 लाख रुपये, एक व्यक्ति 62 लाख रुपये कैश लेकर बैंक पहुंचा। यहां तक कहा गया कि कैश न जमा होने और न बदले जाने की स्थिति में मलाणा के एक व्यक्ति ने कसोल में 65 लाख रुपये के 500 और 1000 के पुराने करंसी नोट जला डाले। पुलिस व प्रशासन ने इन बातों को नकारा है। पुलिस ने भी जब पड़ताल की तो ये कोरी अफवाहें ही निकली। मलाणा के लोग भी इस तरह की बातों से आहत हैं।
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भोले भाले हैं मलाणा के लोग
मलाणा गांव के लोगों के भोलेपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब पिछले वर्ष नेशनल ओबीसी कमीशन के चेयरमैन ने अपनी टीम ने मलाणा का दौरा किया। मलाणा को 1992 में पिछड़ा क्षेत्र तो घोषित किया था, लेकिन उन लोगों को सर्टिफिकेट तक जारी नहीं हुए थे। चेयरमैन ने कुल्लू के उपायुक्त के साथ मलाणावासियों को मौके पर ही सर्टिफिकेट मुहैया करवाए।
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मलाणा में जगने लगी है शिक्षा की लौ
एक दौर था जब मलाणा में स्कूल तो था, लेकिन उसमें पढ़ने के लिए बच्चे नहीं जाते थे। मौजूदा दौर में वाटरशैड प्रोजेक्ट में बतौर असिस्टेंट वाटरशैड डेवेल्पमेंट कोआर्डिनेटर सेवाएं दे रहे बेली राम मलाणा गांव के पहले मैट्रिक पास हैं। उन्होंने 1989 में दसवीं पास की थी। अब इसी वर्ष उनका बेटा तेज ¨सह मलाणा गांव का पहला स्नातक बना। अन्य चार बच्चे भी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। बेली राम कहते हैं कि इस तरह की झूठी अफवाहें न फैलाई जाएं।
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लाखों रुपये का कैश लेकर मलाणावासियों के बैंकों में आने की अफवाहें फैली थीं। इनकी जब पड़ताल की तो यह बातें कोरी अफवाहें ही निकली। वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं था।
-एनएस नेगी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक।
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शोषित, पिछड़े और लंबे से समय से किसी बात को लेकर बदनाम समाज को साथ लेकर चलना सभी का उत्तरदायित्व है। सरकारें व कई संस्थाएं ऐसे लोगों के लिए काम करती हैं। अफवाहें न फैलाकर संबंधित क्षेत्र के विकास पर फोकस होना चाहिए।
-यूनुस, उपायुक्त कुल्लू।
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