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    जंगली अनार.. फायदे हजार

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    Updated: Sat, 30 Apr 2016 01:01 AM (IST)

    फोटो) मालामाल कर देने वाली कीमत ने रोका जंगली अनार का कटान 300 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम बिक

    फोटो)

    मालामाल कर देने वाली कीमत ने रोका जंगली अनार का कटान

    300 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा सूखा बीज

    जागरण संवाददाता, कुल्लू

    कहावत है.. एक अनार सौ बीमार यानी वस्तु थोड़ी और तलबगार बहुत। लेकिन जंगली अनार 'दाड़ू' का मोल समझ में आते ही इसके तलबगारों की संख्या भी बढ़ गई है क्योंकि इसके कई फायदे हैं। इस बात को गांठ बांध लिया जिला कुल्लू के लोगों ने। जिस जंगली अनार को आज से कुछ वर्ष पहले लोग खेतों के किनारे उगने नहीं देते थे, अब उसे सहेज कर रख रहे हैं और उसका दूसरे फलों के पेड़ों जैसा ख्याल रख रहे हैं। कारण है बाजार में इसकी उपयोगिता का सिद्ध होना.. दूसरी बात यह कि लोग इससे मालामाल भी हो रहे हैं।

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    जंगली अनार का बीज 500 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। कई बड़ी कंपनियां भी इसकी खरीद को तरजीह दे रही हैं और कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।

    पतंजलि, डाबर, हिमालया सहित कई कंपनियां हाजमोला या दीगर दवाओं में इसे इस्तेमाल कर रही हैं। शूगर के मरीज भी जंगली अनार की चटनी का सेवन कर रहे हैं। चिकित्सक भी गैस सहित पेट की अन्य कई बीमारियों में जंगली अनार के सेवन की सलाह दे रहे हैं। तासीर ठंडी होने के कारण जंगली अनार की मांग बढ़ गई है।

    इस जंगली फल के पौधों को रोपने की प्रक्रिया वन विभाग ने भी तेज कर दी है। पिछले वर्ष भी विभाग ने जंगली अनार के एक लाख पौधे रोपे। हालांकि पहले से इस जंगली फल के कई जगह जंगल में भी मौजूद हैं। अब इस जंगली फल का कुल्लू में हर वर्ष लाखों रुपये का कारोबार होता है।

    दियार क्षेत्र के किसान योगेश टंडन, हरि ¨सह, गौरव, रमेश कुमार, गड़सा घाटी से गोपाल शर्मा, शामलाल, देशराज, कुंदन ठाकुर, मणिकर्ण घाटी के कशावरी इलाके से भूरी ¨सह, कृष्ण चंद, धर्म चंद, झाबे राम, रेबत राम, कुलदीप ठाकुर, राजू महंत आदि ने कहा कि हर वर्ष वे जंगली अनार का कारोबार करते हैं। वर्तमान में इस जंगली फल का बीज 400-500 रुपये प्रतिकिलोग्राम तक बिक रहा है।

    कुल्लू के मणिकर्ण क्षेत्र के कारोबारियों में चेतन प्रकाश, वेदराम, चुनी लाल, भुंतर के कारोबारी जीवन दास, कुबेर ¨सह, प्रेम चंद शर्मा व कीर्ति ठाकुर आदि ने कहा कि वर्तमान में जंगली अनार की मांग अधिक है और आपूर्ति कम हो गई है। इसी वजह से इस जंगली फल की कीमतें बढ़ गई हैं।

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    'वन विभाग भी अन्य पौधों के साथ-साथ जंगली अनार के पौधों को भी नर्सरियों में तैयार कर जंगलों में रोप रहा है। जंगली अनार औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के साथ साथ लोगों के लिए भी कमाई का बेहतर साधन है।'

    डॉ. नीरज चड्ढा, वन मंडल अधिकारी, कुल्लू।

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    जंगली अनार को फ्लेवर के लिए भी हाजमोला सहित अन्य अन्य कई खाद्य पदार्थो में इस्तेमाल किया जाता है। कई बार चिकित्सक भी उन मरीजों को अनार की चटनी के सेवन की सलाह देते हैं, जिनका अधिक दवाइयों के सेवन से पाचनतंत्र गड़बड़ा जाता है। कई औषधियों में भी जंगली अनार का इस्तेमाल होता है।

    सुशील चंद्र शर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी कुल्लू।