गोशाल में आस्था का महाकुंभ
...और पढ़ें

जसवंत ठाकुर, गोशाल (मनाली)
कुल्लू घाटी के जर्रे-जर्रे में देव आस्था का चमत्कारिक प्रभाव अन्य राज्यों के लोगों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है। देव अनुकंपा से ही यहां के समस्त गांवों की सत्ता चलती है। देव अनुकंपा का साक्षात उदाहरण रविवार को मनाली के ऐतिहासिक गांव गोशाल में देखने को मिला।
आराध्य देव गौतम महाऋषि, व्यास महाऋषि व कंचन नाग से मिलने महाऋषि मनु, माता हिडिंबा, महाऋषि वशिष्ठ, महाऋषि पराशर कुलंग, देवता पीलिया नाग बटाहर व माता शुरू शर्वरी अपने हजारों कारकूनों व देवलुओं सहित देव समागम में पहुंचे। दिनभर चले देव कार्य में घाटी के करीब 20 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। देव मिलन देख हजारों श्रद्धालुओं की आंखें नम हो उठीं। गोशाल की नगरी तपोवन में तबदील हो गई थी। करीब 35 साल बाद यह ऐतिहासिक दिन आया था। श्रद्धालुओं ने दिनभर चले देव कार्यक्रम में आराध्य देवों से सुख व समृद्धि का आशीर्वाद लिया। एतिहासिक गांव दिनभर देव वाद्य यंत्रों की धुन से गूंजता रहा।
गोशाल में है दैवीय मटका
गोशाल गांव घाटी के 18 नागों का नौनिहाल है। मान्यता है कि गांव की निवासी रतनी देवी की कोख से 18 नागों का जन्म हुआ था। सतयुग के समय जमींदार की बेटी रतनी देवी पर नागवंश वासुकी नाग का दिल आ गया तथा दोनों परिणय सूत्र में बंध गए। रतनी देवी के गर्भ से 18 नागों का जन्म हुआ जिनका पालन-पोषण दैवीय मटके में किया गया। इस ऐतिहासिक धरोहर दैवीय मटके को गोशाल के ग्रामीण आज भी संजोए हुए हैं। मंदिर कमेटी के प्रधान एवं प्रधान संघ नग्गर खंड के अध्यक्ष वेद राम व ग्रामीण मेहर ठाकुर कहते हैं कि इस घटना से अनजान रतनी के पिता जब दैवीय मटके की पूजा के लिए धूप जलाने लगे तो एक चिंगारी मटके में जा गिरी जो कंचन नाग की आंख में जा लगी। चिंगारी गिरती देख 17 नाग घाटी के अलग स्थानों में जा पहुंचे। उनके अनुसार गोशाल गांव के कंचन नाग के अलावा हलाण में धूंबल नाग, भनारा में तक्षक नाग, प्रीणी में फाइया नाग, बटाहर में पीलिया नाग, सोयल में सोअलू नाग, व्यासर में व्यासरू नाग, शीलड गांव में कालिया नाग, धराल में कराली नाग, जलसू में जलसू नाग, मनीकरण में रुद्र नाग, मंडी में माहूनाग व कमरू नाग तथा लाहुल के मारबल में 18 नाग लाहुल-कुल्लू व मंडी के ग्रामीणों के पूजनीय आराध्य देव हैं।
ऋषि गौतम के आदेश का पालन करते हैं ग्रामीण
ऊझी घाटी के खूबसूरत गांव गोशाल में सदियों से मुर्गा पालन पर आराध्य देव ऋषि गौतम ने प्रतिबंध लगा रखा है जिसका ग्रामीण आज भी श्रद्धापूर्वक पालन कर रहे हैं। ऊझी घाटी के नौ गांवों के ग्रामीण देव प्रतिबंध के कारण 42 दिन तक खेतों में काम नहीं करते हैं और मनोरंजन के साधनों का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं। मान्यता है कि गोशाल में गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पर मोहित इंद्र देव ने मुर्गा बनकर आधी रात को बांग दे दी। बाग सुनकर ऋषि गौतम आधी रात को व्यास नदी पर स्नान के लिए चले गए। जब ऋषि को इंद्र की करतूत का पता चला तो उन्होंने गांव में मुर्गा पालन पर प्रतिबंध लगा दिया। घाटी के बुजुर्ग सूरत राम कहते हैं कि देव आस्था के कारण आज भी ग्रामीण ऋषि गौतम के आदेश का पालन कर रहे हैं।
फागली के दिन होती है भविष्यवाणी
हर साल फरवरी में गोशाल के आराध्य देव 43 दिन के लिए स्वर्ग प्रवास के लिए जाते हैं तथा तपस्या में लीन होते हैं। उनके जाते ही देवालय को बंद कर दिया जाता है। इन दिनों लोग देवता की आज्ञा का पालन करते हैं। देवालय की घंटियों को बांध दिया जाता है। देवता के स्वर्ग से लौटते ही ग्रामीण उत्सव का आयोजन करते हैं जिसे फागली कहा जाता है। फागली के दिन देवता विश्व में सालभर होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी करते हैं जिसे सुनने के लिए घाटी के हजारों लोग गांव में आते हैं।
देव समागम में सराहनीय रही व्यवस्था
इस बार रविवार होने के कारण देव समागम में श्रद्धालुओं की संख्या 20 हजार तक जा पहुंची। इतने श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था चुनौती से कम नहीं थी लेकिन मनाली पुलिस की टीम ने डीएसपी शमशेर सिंह व थाना प्रभारी एनसी शर्मा के नेतृत्व में इस देव कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने में योगदान दिया। देव समागम में की गई व्यवस्था सरहानीय थी। करीब 20 हजार श्रद्धालुओं को देव भोजन करवाना भी चुनौती से कम नहीं था। मंदिर कमेटी के प्रधान वेद राम ठाकुर ने कहा कि घाटी के समस्त देवताओं के आशीर्वाद से ही वह इस देव कार्य को पूरा करने में सफल रहे हैं। उन्होंने देव कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होने के लिए नौ गांव के ग्रामीणों सहित कार्य में उपस्थित घाटी के सभी कारकूनों व श्रद्धालुओं का आभार जताया।
पर्यटन की दृष्टि से विकसित होने का इंतजार
अपने में ढेरों रहस्य समेटे गोशाल गांव को पर्यटन की दृष्टि से विकसित होने का इंतजार है। 43 दिन तक देव प्रतिबंध रहना, मुर्गी न पालना, सतयुग के दैवीय मटके को संभाल कर रखने जैसी कई बातें सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन सकती हैं। शनाग पंचायत के प्रधान व प्रधान संघ नग्गर खंड के अध्यक्ष वेद राम ठाकुर के प्रयास रंग लाने लगे हैं लेकिन सरकार इस गांव के प्रति गंभीरता दिखाती है तो मनाली के लिए यह धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल साबित हो सकता है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।