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    जिला कांगड़ा के बैजनाथ मंदिर में मिलती है अकाल मृत्यु से मुक्ति

    By Richa RanaEdited By:
    Updated: Fri, 06 Aug 2021 10:24 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के बैजनाथ में एक मंदिर ऐसा भी है। जहां अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और शनि की साढ़ेसती भी दूर होती है। यह देश का शायद ऐसा पहला मंदिर होगा जहां भगवान महाकाल के साथ भगवान शनि देव भी विराजते हैं।

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    बैजनाथ मंदिर में अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और शनि की साढ़ेसती भी दूर होती है।

    बैजनाथ। मुनीष दीक्षित। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के बैजनाथ में एक मंदिर ऐसा भी है। जहां अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और शनि की साढ़ेसती भी दूर होती है। यह देश का शायद ऐसा पहला मंदिर होगा, जहां भगवान महाकाल के साथ भगवान शनि देव भी विराजते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर में शनि देव का क्रूर नहीं बल्कि सौम्य रूप है। इस मंदिर में

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    भगवान शनि देव भाद्रपद मास में अपनी माता छाया के साथ स्थापित हुए थे। वहीं शनि देव महाकाल के शिष्य भी है। ऐसे में यहां यहां शनि क्रूर नहीं बल्कि सौम्य हैं। यहां महाकाल भगवान का बेहद पुराना मंदिर है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ ने महाकाल का रूप धारण करके जालंधर दैत्य का संहार किया था।

    इसी स्थान पर जालंधर ने अपनी अंतिम इच्छा में महादेव से कहा था कि उसके वध के बाद इस स्थान में लोगों को अकाल मृत्यु से मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति हो सके। यह मंदिर कभी अघोरी साधुओं की तपोस्थली भी रहा है। यहां आज से पांच दशक पहले तक लोगों को केवल शिवरात्रि पर ही आने की अनुमति थी। इसी मंदिर के साथ मां दुर्गा व भगवान शनिदेव का मंदिर भी है। भगवान शनिदेव का यहां सौम्य रूप से होने से काफी लोग शनि ग्रह की शांति के लिए आते हैं और यहां स्थपित शनि शिला में सरसों का तेल, काले माह, तिल व काला कपड़ा अर्पित करके लोग शनि की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

    मंदिर के पंडित राम कुमार मिश्रा बताते हैं कि इस शनि देव मंदिर में 12 राशियों के खंभे भी है। यहां डोरी बांधने का अपना विशेष महत्व है। भगवान शनिदेव हर प्राणाी में 12 राशियों के उपर चलते है। मनुष्य के जीवनकाल में शनिदेव सभी राशियों में आते हैं। कुछ में अच्छा करते हैं तरे कुछ में क्रूर दृष्टि रखते हैं। यहां वैदिक शैली में निर्मित भगवान शनिदेव का मंदिर बनाया गया है।

    इसमें 12 राशियों के खंभे हैं। अपनी अपनी राशि के खंभे में धागे बांधने से शनि की शांति होती है और जीवन में रोग, अल्प मौत तथा कोर्ट कचहरी के केसों से मुक्ति मिलती है। देश भर में महाकाल का एक मंदिर उज्जजैन में है और दूसरा मंदिर हिमाचल के बैजनाथ में। कहा जाता है इस मंदिर में स्वामी विवेकानंद भी कुछ समय तक रूके थे। यहां कुछ साल पहले मां दुर्गा के मंदिर की स्थापना की गई थी। इस स्थापना के दौरान भी कई घटनाएं घटी थी। इस स्थान में भाद्रपद माह में भगवान शनि देव के मेले लगते हैं। इसमें लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।