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    ये जीवन साथी ऐसे जिनके ग्रह ही नहीं, गुर्दे भी एक जैसे... पत्नी ने किडनी देकर पति को दिया नया जीवन

    Updated: Wed, 09 Apr 2025 10:44 AM (IST)

    टांडा मेडिकल कॉलेज में दो सफल किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन हुए जिसमें पत्नियों ने अपने पतियों को जीवनदान दिया। कांगड़ा के सुरेश कुमार और जगदेव सिंह को उन ...और पढ़ें

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    टांडा मेडिकल कॉलेज में हुए दो सफल किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन (File Photo)

    तरसेम सैनी, टांडा (कांगड़ा)। सत्यवान को मौत के मुंह से खींच लाने की सावित्री की कहानी अब भी जीवित है....भले ही पात्र बदल जाएं, सार वही रहता है, प्रेरणा वही रहती है। संयोग देखिए कि ग्रहों का या जीवन का ही नहीं, गुर्दों का भी मिलान हो गया।

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    डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में मंगलवार को किडनी ट्रांसप्लांट के दो सफल आपरेशन किए गए। दोनों आपरेशन में पत्नियों ने किडनी देकर पतियों की जान बचाई।

    कांगड़ा तहसील के बांध गांव के 50 वर्षीय सुरेश कुमार को पत्नी 46 वर्षीय रितु देवी ने जबकि 52 वर्षीय जगदेव सिंह को उनकी पत्नी 42 वर्षीय सरोती देवी ने किडनी दी।

    पति-पत्नी की किडनी का मिलान दुर्लभ

    दोनों दंपती नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अभिनव राणा व किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. अमित शर्मा की निगरानी में सुपरस्पेशिलिटी विंग के सीसीयू (सघन चिकित्सा वार्ड) में उपचाराधीन हैं। किडनी रोगी 50 वर्षीय सुरेश कुमार व 52 वर्षीय जगदेव सिंह का टांडा मेडिकल कॉलेज में उपचार चल रहा था। किडनी फेल हो गई थीं। दोनों डायलिसिस के सहारे थे।

    विशेषज्ञों के मुताबिक बहुत कम मामलों में पति-पत्नी की किडनी का मिलान होता है। यह पहला मामला है जिसमें पति और पत्नी की किडनी का मिलान हुआ। ऑपरेशन सफल रहा है। यह किडनी ट्रांसप्लांट व नेफ्रोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों की बड़ी सफलता है।

    किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 40 रोगी पंजीकृत

    टांडा मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अभी 40 से अधिक रोगी पंजीकृत हैं। स्टाफ की कमी की वजह से विशेषज्ञों को आपरेशन करने में दिक्कत आ रही है। विशेषज्ञ चाहते हैं कि उन्हें पूरा स्टाफ मिल जाए तो हर माह तीन से चार किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन किए जा सकते हैं। इससे रोगियों को अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं जाना पड़ेगा।

    बिना ब्लड ग्रुप मैच किए ट्रांसप्लांट के लिए चाहिए उपकरण व स्टाफ

    नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा ने बताया कि अभी ब्लड ग्रुप का मिलान करके किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। इसमें डोनर ढूंढने में दिक्कत आती है। कभी-कभी स्वजन का भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं होता है। डोनर ढूंढने के लिए ट्रांसप्लांट करने में देर हो रही है।

    उपकरण व स्टाफ का मामला अस्पताल प्रशासन व सरकार से उठाया है। ऐसा हुआ तो बिना ब्लड ग्रुप मैच किए (एबीओ इनकंपैटीबल ट्रांसप्लांट) किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन हो सकेंगे।

    इससे रोगियों को बड़ी राहत मिलेगी। रोगियों को पीजीआई चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा। किडनी रोगियों का सभी तरह का उपचार टांडा मेडिकल कॉलेज में किया जा रहा है।

    ये रहे टीम में शामिल

    नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा, डॉ. दिव्यम कौशल, डॉ. पीयूष, किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित शर्मा, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. अरुण, डॉ. संजीव चौहान, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. शैली राणा, डॉ. ननिश शर्मा, डॉ. अनिता शर्मा, ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर नीरज जम्वाल, ओटी असिस्टेंट, नर्सिंग व अन्य सहायक स्टाफ।

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