हिमाचल में आंख मूंदे बैठी सरकार! खस्ताहाल घर में पशु के साथ रह रहे अनाथ भाई-बहन, नहीं मिला योजना का फायदा
कांगड़ा जिले के जवाली में दो अनाथ बच्चे पक्के मकान के लिए तरस रहे हैं। माता-पिता के निधन के बाद नेहा और विशाल एक जर्जर कच्चे कमरे में रहने को मजबूर हैं। नेहा ने बताया कि कमरा क्षतिग्रस्त होने के बाद भी उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। पंचायत उपप्रधान ने भी इनकी दयनीय स्थिति पर चिंता जताई है।

जीवन कुमार, कोटला। सरकारें जनता के लिए कई योजनाएं चलाती हैं, लेकिन वे योजनाएं तब दम तोड़ जाती हैं जब किसी जरूरतमंद को उसका लाभ नहीं मिल पाता। ऐसा ही कुछ मामला जिला कांगड़ा के उपमंडल जवाली की पंचायत नियांगल के गांव सतारी में देखने को मिला है। यहां दो अनाथ बच्चों को पक्के मकान जैसी सुविधाएं आज दिन तक नहीं मिल पाई हैं।
अनाथ भाई बहन नेहा जरियाल व विशाल जरियाल के पिता रमेश कुमार का लगभग 10 साल पहले व माता बबली देवी का चार साल पहले निधन हो चुका है। माता पिता के निधन के बाद नेहा बालिका अनाथ आश्रम गरली में तथा विशाल तितली होम फॉर चिल्ड्रन पालमपुर में रहता था।
बेटी 18 वर्ष की आयु के बाद अब घर वापस आई। एक कच्चे व खस्ताहाल कमरे में रहने को मजबूर है। कमरा ऐसा कि साथ में पशुशाला है। उनके साथ बने कमरे में खस्ताहालत में रहने को मजबूर हैं। नेहा जरियाल बताती हैं कि मई 2025 में कमरा क्षतिग्रस्त हो गया था। पटवारी रिपोर्ट के बाद ऑनलाइन भी करवाया गया, लेकिन मकान बनाने के लिए कोई अनुदान नहीं मिला।
एक वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर डाली जिसके बाद दानी सज्जनों के सहयोग से मिली राशि से कमरे की मरम्मत करवाई। प्रदेश व केंद्र सरकार अनाथों के लिए पक्के घर को लेकर कई योजनाएं चला रही है, लेकिन उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।
मात्र सुख आश्रय योजन के तहत 1,000 रुपये पेंशन मिल रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार व प्रशासन से आग्रह किया है कि अनाथों के लिए मकान के लिए अनुदान राशि मुहैया करवाई जाए, ताकि वे भी बाकी लोगों की तरह जी सकें।
उधर, नयांगल पंचायत उपप्रधान ठाकुर संदीप सिंह समकड़िया ने बताया कि पंचायत में यह बेहद गरीब परिवार है। दोनों बच्चे अनाथ हैं। मई महीने में इनका एक कच्चा कमरा क्षतिग्रस्त हुआ था जिसकी रिपोर्ट लेकर ऑनलाइन कर दी थी, लेकिन आज दिन तक कोई सहायता इनको नहीं मिली है।
प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि जिनका कोई नहीं उनका वह हैं तो फिर इन अनाथों को पक्के मकान के लिए अनुदान क्यों नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने मांग उठाई है कि इन अनाथों को पक्के मकान के लिए सहायता राशि मुहैया करवाई जानी चाहिए।
उधर, एसडीएम जवाली नरेंद्र जरियाल ने बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। जल्द ही मौके पर मुआयना किया जाएगा। प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ व पक्के मकान के लिए कार्रवाई की जाएगी, ताकि इन बच्चों को मकान की सुविधा मिल सके।
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