Move to Jagran APP

Dalai Lama: ताईवानी बौद्ध संघ के अनुरोध पर धर्मगुरु ने दिया प्रवचन, बोले- आज आंतरिक विकास व शांति नहीं

Dalai Lama तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा आज सिर्फ भौतिक विकास की लालसा दुनिया में सभी को जकड़े हुए है जबकि आंतरिक विकास व शांति नहीं है। शांति प्राप्त करना दुनिया के करोड़ों लोग चाहते हैं पर इसके लिए दया करुणा के सिद्धांत को अपनाना होगा।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaPublished: Mon, 03 Oct 2022 10:38 AM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 10:38 AM (IST)
Dalai Lama, ि‍तब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा आज सिर्फ भौतिक विकास की लालसा दुनिया में सभी को जकड़े हुए है, जबकि आंतरिक विकास व शांति नहीं है। शांति प्राप्त करना दुनिया के करोड़ों लोग चाहते हैं पर इसके लिए दया, करुणा के सिद्धांत को अपनाना होगा। इसके बिना शांति मिलना मुश्किल है। शैक्षणिक ढांचागत व्यवस्था में मन की शांति व आंतरिक विकास के विषय को जोड़ना चाहिए, जबकि आज जब बच्चा मां की गोद से स्कूल पहुंचता है तो वह सिर्फ और सिर्फ भौतिक विकास ही सीखता है। परमपावन दलाई लामा ताइवानी बौद्ध संघ के अनुरोध पर आचार्य धर्मकीर्ति विरचित प्रमाणवर्तिका कारिका के अध्याय दो पर तीन दिवसीय प्रवचन के प्रथम दिन बोल रहे थे। मैक्‍लोडगंज में तीन सौ से ज्‍यादा ताईवानी बौद्ध संघ के सदस्‍य मैक्‍लोडगंज में पहुंचे हुए हैं।

loksabha election banner

इस मौके पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि आज कल के समय में लोग सिर्फ भौतिक विकास के बारे में विचार करते हैं, आंतरिक विकास कैसे हो यह नहीं हो रहा है। भौतिक विकास की लालसा में जकड़े हैं। सभी धर्म यह कहते हैं कि सभी अच्छे ह्रदय के व्यक्ति बनें। लेकिन नालंदा में अलग तरह से तर्क देकर व्याख्या की है। हमारा मन क्यों विचलित होता है और क्यों परेशान होता है। जब परिश्रम करेंगे तो आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है।

लंबे समय तक ध्यान करके इसे पढ़कर इसकी व्याख्या कर रहे हैं।

प्रमाणवर्तिका केवल साक्षात्कार के लिए

तिब्बत में भी जब अध्ययन करते थे तो उस समय लोगों की मान्यता थी कि यह पढ़ने के लिए नहीं प्रमाण सिद्धि‍ के लिए है। इसका गहनता से अध्ययन किया है। प्रमाणवर्तिका केवल साक्षात्कार के लिए है। अगर उससे मन में परिवर्तन नहीं होता है तो ग्रंथ का आप किस प्रकार से अध्ययन करते हैं, यह इस पर निर्भर करता है। आने वाले प्रमाणवर्तिका है आंख खोलने जैसा है, जो भी पूर्ण रूप से उसे देख सकते हैं एक तरह से आंख खोलने वाला है।

बौद्ध प्रमाण सिद्धि चक्र व ग्रंथों पर विचार करने की जरूरत

किस प्रकार प्रमाण की सिद्धि की जा सके और भव चक्र से निकलने के लिए दो बातें कही हैं। तिब्बत में पहले ग्रंथों का अध्ययन नहीं करते थे, प्रमाण सिद्धि‍ की व्याख्या कम करते थे। लेकिन प्रमाणवर्तिका के अध्ययन व अभ्यास से कई सवालों के जवाब मिलते हैं। प्रमाणवर्तिका बौद्ध प्रमाण सिद्धि‍ धर्म चक्र व ग्रंथों को लेकर सोच विचार करने की जरूरत है, उन्हें अध्ययन करने की जरूरत है। धम्म चक्र बौद्ध चक्र का आधार है।

दुख को हटाने के लिए करना चाहिए अभ्‍यास

दुख को हटाने के लिए क्या करना चाहिए दुख को हटाने के लिए अभ्यास करना चाहिए। ह्रदय सूत्र के बारे में विचार विमर्श करने की जरूरत रहती है। बाधाओं को हटाते जाएंगे तो मन में शांति की प्राप्ति होगी। मन शांत है तो आनंद आएगा। मन में डर व भय है तो नींद भी अच्छी नहीं आएगी। अपने स्वास्थ्य मुताबिक भी देखें तो मन की शांति बहुत आवश्यक है। अगर प्रेम युक्त चित की स्थापना करें तो मन में भी शांति आएगी शरीर को आराम प्राप्त होगा। शांति कैसे प्राप्त करें यह जानकारी नहीं होती है, मन व चित को शांत कर सके यही बड़ी शांति है। विश्वशांति की बात करते हैं, लेकिन करुणा का अभ्यास करें तो अहिंसा का अभ्यास होगा।

शिक्षा में आ रही यह कमी

इस दुनिया में आठ अरब के आसपास लोग हैं सभी चाहते हैं कि उन्हें सुख की प्राप्ति हो, दुख कोई नहीं चाहता। जब हम पैदा हुए मां के सानिध्य में बढ़े हुए तो भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ एक वार्ता करें, जब मां के साथ रहते हैं और बच्चे जब स्कूल जाते हैं और स्कूल में जाकर जब भौतिक विकास को देखते हैं तो वह जान लेते हैं कि भौतिक विकास कैसे होता है। जबकि मन की शांति व मन के विकास के बारे में विकास नहीं होता। शिक्षा में यह कमी आ रही है। मन की शांति के बारे में नहीं बताया जाता।

करुणा व प्रेम से प्राप्‍त कर सकते हैं कई कुछ

दिल्ली विवि के शिक्षकों से भी वार्ता हुई, स्कूलों में भी इस व्यवस्था को डाला जाए। पाठ्यक्रमों में भी यह बात डाली जाए कि भौतिक विकास के साथ-साथ आंतरिक विकास मन की शांति कैसे आए। भारत में देखें तो प्राचीन करुणा व अहिंसा की परंपरा कई हजार वर्ष पुरानी है। अहिंसा के सिद्धांत की बात करें तो मध्य में जाकर महात्मा गांधी ने भी अहिंसा को बढ़ावा दिया। कई देशों के लोग जानते हैं कि प्रेम व करुणा से चलकर आप कई कुछ प्राप्त कर सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.