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Himachal By Election: विपक्ष को कई सबक सिखा गया हिमाचल उपचुनाव

हिमाचल प्रदेश में दो विधानसभा हलकों में हुए उपचुनाव का नतीजा बेशक भाजपा के पक्ष मे रहा हो लेकिन विपक्ष को ये कई सबक सिखा गया।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 07:54 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 08:03 AM (IST)
Himachal By Election: विपक्ष को कई सबक सिखा गया हिमाचल उपचुनाव
Himachal By Election: विपक्ष को कई सबक सिखा गया हिमाचल उपचुनाव

धर्मशाला, नीरज आजाद। उप चुनाव विपक्ष को कई सबक सिखा गया हिमाचल प्रदेश में दो विधानसभा हलकों में हुए उपचुनाव के नतीजे बेशक भाजपा के पक्ष में रहे हैं लेकिन सत्तारूढ़ और विपक्ष को ये  कई सबक दे गए हैं। अनुशासित समझे जानी वाली पार्टी भाजपा में बगावत के  सुर खुलकर सामने आए। दोनों हलकों में कई प्रयास के बावजूद चुनावी जंग में उतरे बागी नहीं माने। दोनों बागियों को जनसमर्थन भी काफी मिला। धर्मशाला में तो मुख्य मुकाबला ही भाजपा और बागी प्रत्याशी में हुआ। बिखरी-बिखरी सी कांग्रेस तीसरे स्थान पर पहुंच गई।

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पच्छाद में बेशक भाजपा जीती लेकिन बागी दयाल प्यारी ने भी दिखा दिया कि टिकट के लिए उन्होंने लंबी दौड़ क्यों लगाई थी। यह चुनाव कांग्रेस को तो पूरी तरह आईना दिखा गए। पच्छाद में कांग्रेस के दिग्गज गंगूराम मुसाफिर 10वां चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन उन्हें भाजपा की नई प्रत्याशी रीना कश्यप ने मात दे दी। मुसाफिर लगातार तीसरी बार हारे हैं। चुनाव नतीजे भाजपा के लिए भीर्

चिंतन का विषय हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव में धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर ने 18685 मतों की बढ़त हासिल की थी। विशाल नैहरिया की जीत का आंकड़ा 6758 रह गया जो, लोकसभा चुनाव परिणाम का एक तिहाई ही है। पच्छाद में भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने करीब 16 हजार मतों की बढ़त हासिल की थी, जो घटकर 2742 ही रह गई। परिणाम ने जहां भाजपा को मजबूती दी है वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी गहरा आघात दे गए हैं। प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले कांगड़ा ने उपचुनाव में भी अहम रोल निभाया है। कांग्रेस ने पहले प्रत्याशी घोषित कर शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी। शुरू से ही भाजपा धर्मशाला से गद्दी समुदाय को प्रतिनिधित्व देती रही है। इस बार कांग्रेस ने इसी समुदाय के विजयइंद्र कर्ण को टिकट देकर भाजपा को कड़ी टक्कर देने का प्रयास किया। कांग्रेस के इस प्रयास से यहां पर जातिवाद की हवा भी चल पड़ी। इसी हवा का रुख देखकर भाजपा से छिटके राकेश चौधरी ने ओबीसी के करीब 35 प्रतिशत वोटों के दम पर जीत हासिल कर विधानसभा की दहलीज लांघने का प्रयास किया। प्रचार के दौरान राकेश चौधरी ने समुदाय के लोगों को साथ लेकर शक्ति प्रदर्शन का प्रयास भी किया लेकिन यहां पर किसी तरह का जातिवाद नहीं चला। 

धर्मशाला प्रदेश की दूसरी राजधानी है। यहां पर अधिकतर लोग अन्य स्थानों से आकर बसे हैं। हलके में अधिकतर तबका पढ़ा लिखा है जो जातिवाद नहीं बल्कि हर चीज को तौल कर देखता है। यहां चौधरी बिरादरी के वोटों को हथियाने के निर्दलीय प्रत्याशी ने हरसंभव प्रयास किया। चौधरी बहुल मतदान केंद्रों में मतप्रतिशतता भी बढ़ी। 

मतदान प्रतिशतता बढ़ने से राजनीतिक विश्लेषक चुनाव परिणाम को लेकर खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे थे लेकिन क्षेत्र के लोग इतनी बात जरूर कह रहे थे कि सत्तापक्ष के साथ चलेंगे तो विकास कार्यों को गति मिलेगी। यही कारण रहा कि भाजपा के नैहरिया को लोगों ने सिर आंखों पर बैठाया।

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अब कांग्रेस तो मंथन कर पार्टी काडर पर ध्यान देना होगा। नेताओं के आपसी टकराव का नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा है। पूर्व मंत्री एवं धर्मशाला से पूर्व में प्रत्याशी रहे सुधीर शर्मा का चुनाव प्रचार के अंतिम दिन हलके में पहुंचना कार्यकर्ताओं को अखरता रहा है। पार्टी प्रत्याशी ने तो उन पर भाजपा का साथ देने का आरोप भी लगाया। साफ है कि पार्टी में अब खुलकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलेगा।

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