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    जिला पुस्तकालय धर्मशाला में हर सुबह कुर्सी के लिए होती है विद्यार्थियों की लड़ाई, पढ़ें पूरा मामला

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 22 Aug 2021 07:42 AM (IST)

    District Library Dharamshala कुर्सी को लेकर लड़ाई राजनीतिक पार्टियों या राजनेताओं के बीच तो आए दिन देखने को मिल जाती है लेकिन जिला पुस्तकालय धर्मशाला में हर रोज कुर्सी की लड़ाई होती है। यह लड़ाई राजनेताओं की लड़ाई से अलग होती है

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    जिला पुस्तकालय धर्मशाला में हर रोज कुर्सी की लड़ाई होती है।

    धर्मशाला, जागरण संवाददाता। District Library Dharamshala, कुर्सी को लेकर लड़ाई राजनीतिक पार्टियों या राजनेताओं के बीच तो आए दिन देखने को मिल जाती है, लेकिन जिला पुस्तकालय धर्मशाला में हर रोज कुर्सी की लड़ाई होती है। यह लड़ाई राजनेताओं की लड़ाई से अलग होती है, क्योंकि यहां कुर्सी पढ़ाई करने की इच्छा से ली जाती है। जी हां जिला पुस्तकालय धर्मशाला में हर रोज सुबह छह बजे अध्ययनकर्ताओं की कतारें लग जाती हैं। सुबह सात बजे लाइब्रेरी की दरवाजे खोले जाते हैं। ऐसे में पहले आओ और पहले पाओ के हिसाब से बैठने के लिए स्थान मिलता है। इसी दौरान सुबह कुछ समय के लिए युवाओं के बीच सीट लेने के लिए काफी जद्दोजहद देखी जाती है। लाइब्रेरी में सीट हासिल करने के लिए होने वाली जद्दोजहद का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में युवा सुबह सुबह सीट के लिए होड़ में लगे हैं।

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    जिला पुस्तकालय के पंजीकृत अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि लाइब्रेरी में करीब छह हजार अध्ययनकर्ता पंजीकृत हैं, लेकिन बैठने की क्षमता मात्र 300 लोगों की है। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि लाइब्रेरी सुबह सात से रात 10 बजे तक ही खुली होती है। ऐसे में सुबह एक बार जिस बैठने की जगह मिल जाती है वह रात तक बैठा रहता है। ऐसे में अन्यों का स्थान नहीं मिलता। इसके विपरीत शहर में कई लाइब्रेरियां हैं, जोकि दिन रात खुली रहतीं हैं। जब निजी लाइब्रेरियां दिन रात खुली रह सकती हैं तो सरकारी लाइब्रेरी खोलने में क्या दिक्कत है।

    लाइब्रेरी में स्टाफ एवं चौकीदार होने के बावजूद निर्धारित समय के बाद रीडिंग रूम भी बंद कर दिया जाता है। अगर जिला पुस्तकालय को दिन रात खोल दिया जाए तो पंजीकृत लोग दो शिफ्टों में पढ़ सकते हैं, जिन्हें सुबह सीट नहीं मिलती है वह दिन में आराम करके रात को पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि निजी लाइब्रेरी में जाने के लिए मासिक शुल्क देना पड़ता है, जबकि यहां सभी बेरोजगार या कहें तो राेजगार के लिए तैयारी करने वाले लोग ही अध्ययन करने आते हैं ऐसे लोगों के पास पैसा कहां से हो सकता है।

    इन दिनों तो लाइब्रेरी की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि अक्टूबर माह से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानि नेट एवं जूनियर रिसर्च फैलाेशिप शुरू हो रहे हैं और शीघ्र ही कॉलेज कमीशन भी आ रहा है। ऐसे में अधिक से अधिक समय लाइब्रेरी में लगाना बहुत ही जरूरी हो जाता है। अगर लाइब्रेरी में यही व्यवस्था रही तो नेट और कमीशन आर्थिक रूप से संपन्न यानी जो लोग निजी लाइब्रेरियों में पैसा खर्च करके पढ़ाई कर रहे हैं, वही पास कर पाएंगे। सामान्य व गरीब परिवार के बेरोजगार फिर वहीं के वहीं रह जाएंगे। उन्होंने उपायुक्त कांगड़ा से मांग की है कि जिला पुस्तकालय के अध्ययन कक्ष का 24 घंटे खुला रखा जाए।