स्टोन क्रशर यूनिटों की हड़ताल से विकास कार्य प्रभावित, टिप्पर यूनियन ने भी रोके वाहन Kangra News
उद्योग विभाग की ओर से खनन को लेकर जारी की गई नीति के विरोध में राजस्व जिला नूरपूर के तहत स्टोन क्रशर यूनिटों की हड़ताल चौथे दिन प्रवेश कर गई।
जसूर, जेएनएन। उद्योग विभाग की ओर से खनन को लेकर जारी की गई नीति के विरोध में राजस्व जिला नूरपूर के तहत आते नूरपुर, इंदौरा, जवाली और फतेहपुर के स्टोन क्रशर यूनिटों की हड़ताल चौथे दिन प्रवेश कर गई। जिसके चलते यहां स्टोन क्रशरों पर वीराना छाया रहा तो वहीं रा मैटीरियल को ढोने वाले टिप्परों के पहिये भी थमे रहे। इस दौरान क्रशर मैटीरियल ढोने वाले वाहन व ट्रैक्टर इत्यादि भी सड़कों पर नजर नहीं आए।
इसके चलते न केवल सरकारी, गैर सरकारी व राजस्व जिला नूरपुर के तहत आते चार विधानसभा क्षेत्रों की करीब 200 पंचायतों के विकास कार्यों की गति ठप पड़ गई है। लोगों को अपने निजी भवनों के निर्माण और ठेकेदारों को अपने निर्माण कार्य पूरा करने में परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।
सरकार व क्रशर संचालकों की चल रही तनातनी के माहौल में स्टोन क्रशर यूनिटों से मिलने वाले रोजगार से लोग बंचित हो रहे हैं, बल्कि राजस्व के तौर पर लाखों की राशि के तौर पर सरकार के खजाने में आने वाला राजस्व पर भी लगभग शून्य हो रहा है।
क्या कहते हैं उद्यमी और अधिकारी
- सरकार के समक्ष नई खनन नीति को बदलने की लगातार मांग उठाई गई और पांच मार्च तक समय दिया था। लेकिन कोई माकूल हल नही हुआ, इस कारण राजस्व जिला नूरपुर के करीब 42 स्टोन क्रशर यूनिट बंद हैं और जब तक हल नहीं निकलता संघर्ष जारी रहेगा। -रणवीर निक्का, प्रधान, जिला क्रशर एसोसियशन।
- उद्योग विभाग द्वारा माइनिंग लीज से एक किलोमीटर दूर कच्चे माल को डंप करने आदेश व्यवहारिक नही हैं, इससे क्रशर सामग्री तैयार करना महंगी होगी। जिस कारण मूल्य बढ़ेंगे। नई खनन नीति बनाने से पहले सरकार को क्रशर एसोसिएशन को भी विश्वास में लेना चाहिए था। -अजय राणा, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश क्रशर एसोसिएशन।
- विभाग नई पालिसी के तहत कार्य कर रहा है। यहां तक राजस्व की बात की जाए तो नूरपुर जोन के स्टोन क्रशरों से राजस्व और बिजली की खपत के चलते करीब 80 लाख का राजस्व जुटता है, हड़ताल के कारण राजस्व में कमी आना स्वभाविक है। -नीरज कांत खनन अधिकारी।