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    तीन युद्ध लडऩे वाले सिरमौर के ठाकुर मदन सिंह का honorarium छह साल से बंद, दैनिक जागरण से बातचीत में छलका दर्द

    By Virender KumarEdited By:
    Updated: Fri, 16 Sep 2022 05:26 PM (IST)

    Thakur Madan Singh भारतीय सेना में 1961 में भर्ती हुए ठाकुर मदन सिंह ने देश के लिए तीन युद्ध लड़े। मदन सिंह ठाकुर ने 1962 में चीन के साथ 1965 में पाकिस्तान के साथ तथा 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने के लिए भारतीय सेना की ओर से युद्ध लड़ा।

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    तीन युद्ध लडऩे वाले सिरमौर के ठाकुर मदन सिंह का stipend छह साल से बंद। जागरण

    नाहन, राजन पुंडीर।

    Thakur Madan Singh, देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले तीन पीढिय़ों से लगातार देश सेवा में लगे ठाकुर मदन सिंह का honorarium (एक तरह की सम्‍मान राशि) प्रदेश सरकार ने करीब छह साल से बंद कर दिया है। वार जागीर से सम्मानित ठाकुर मदन सिंह का यह दर्द दैनिक जागरण से एक विशेष मुलाकात में छलका।

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    80 वर्षीय ठाकुर मदन सिंह ने बताया कि उनकी तीन पीढिय़ों ने लगातार देश सेवा की है। मदन सिंह के दादा मोहर सिंह सिरमौर रियासत में सिपाही थे, जिन्होंने 1914 में प्रथम विश्व युद्ध लड़ा। वह सिरमौर रियासत की सेना में 1910 से 1924 तक रहे। उसके बाद मदन सिंह के पिता इंजीनियर रतन सिंह भारतीय सेना में रहे, जिन्होंने 1938 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध देश के लिए लड़ा। उसके बाद भारतीय सेना में 1961 में भर्ती हुए ठाकुर मदन सिंह ने देश के लिए तीन युद्ध लड़े। मदन सिंह ठाकुर ने 1962 में चीन के साथ, 1965 में पाकिस्तान के साथ तथा 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने के लिए भारतीय सेना की ओर से युद्ध लड़ा। इसके लिए भारतीय सेना ने उन्हें सात मेडल से भी नवाजा है।

    1971 में प्रदेश सरकार ने लागू किया था एक्ट

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1971 में एक एक्ट लागू किया, जिसमें जिन परिवारों की तीन पीढिय़ों ने देश सेवा में लगातार योगदान दिया तथा युद्ध लड़े उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से वार जागीर की उपाधि से नवाजा गया। जिला सिरमौर में इस समय एकमात्र ठाकुर मदन सिंह ऐसे सिपाही हैं, जो वार जागीर परिवार से आते हैं। ठाकुर मदन सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 2016 में जब उनकी माता का देहांत हुआ, तो उनका honorarium बंद कर दिया।

    1971 में 1300 परिवार आए थे वार जागीर की श्रेणी में

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1971 में जब वार जागीर की घोषणा की तथा इसके दस्तावेज मंगवाए तो पूरे प्रदेश से 1300 परिवार इस श्रेणी में आए। इन सभी परिवारों को प्रदेश सरकार की ओर से 5000 रुपये प्रति माह honorarium देने का निर्णय किया। 1998 में प्रदेश सरकार ने वार जागीर परिवारों की दोबारा से जांच पड़ताल करवाई तो हिमाचल में केवल 100 ही परिवार वार जागीर की श्रेणी में बचे।

    प्रदेश सरकार वार जागीर की जमीन वापस देने के लिए नहीं कर रही कोई प्रयास

    वार जागीर उपाधि से नवाजे गए ठाकुर मदन सिंह ने कहा कि लगातार तीन पीढिय़ों तक उनके परिवार ने देश की सेवा की। देश सेवा के दौरान उनकी जमीन सीलिंग एक्ट में मुजारो को चली गई। इसके लिए वह कई बार जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी गुहार लगा चुके हैं कि उनकी जमीन वापस लौटाई जाए, जबकि 1971 एक्ट के अनुसार जो परिवार देश सेवा में लगे हैं तथा उनकी जमीन सीलिंग एक्ट में गई है, तो प्रदेश सरकार उनकी जमीन को वापस दिलाएगी। मगर अभी तक कई बीघा जमीन मदन सिंह की, जो सीलिंग एक्ट मुजरो (जमीन पर काम करने वाले मजदूरों) को चली गई थी, वह वापस नहीं लौटाई है। इसके चलते मदन सिंह ठाकुर में सरकार के प्रति भारी निराशा है।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    वार जागीर मदन सिंह का honorarium क्यों बंद हुआ, मामला संज्ञान में नहीं है। सारे मामले में जानकारी प्राप्त कर उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

    -राम कुमार गौतम, उपायुक्त सिरमौर