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    बिजली गिरने से खंडित नहीं हुआ बिजली महादेव में शिवलिंग

    By Vijay BhushanEdited By:
    Updated: Fri, 11 Jun 2021 07:59 PM (IST)

    प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बिजली महादेव मंदिर की पहाड़ी पर 10 जून की शाम को बिजली गिरी। इससे बिजली महादेव में स्थापित शिवलिंग खंडित नहीं हुआ है। मंदिर की पहाड़ी व परिसर के आसपास इस साल पहले भी बिजली गिरी है। करीब आठ-नौ वर्षों से शिवलिंग पर बिजली नहीं गिरी है।

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    बिजली महादेव की पहाड़ी पर वीरवार शाम को गिरी बिजली। सौजन्य इंटरनेट मीडिया

    कमलेश वर्मा, कुल्लू। जिला कुल्लू के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बिजली महादेव मंदिर की पहाड़ी पर 10 जून की शाम को बिजली गिरी। हालांकि इससे बिजली महादेव में स्थापित शिवलिंग खंडित नहीं हुआ है। मंदिर की पहाड़ी व परिसर के आसपास इस साल पहले भी बिजली गिरी है। लेकिन करीब आठ-नौ वर्षों से शिवलिंग पर बिजली नहीं गिरी है।

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    बिजली महादेव मंदिर कुल्लू जिला की खराहल घाटी में है जिसे मक्खन महादेव भी कहते हैं। दुनियाभर में यह शिवालय बिजली महादेव के नाम से विख्यात है। मान्यता के अनुसार बिजली महादेव मंदिर में शिवलिंग पर हर 12 साल बाद बिजली गिरती है। कुछ दशक स शिवलिंग पर बिजली 12 साल से पहले भी गिरती रही है लेकिन इससे मंदिर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। बिजली के गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। मंदिर के पुजारी खंडित शिवलिंग पर मरहम के तौर पर मक्खन लगाते हैं ताकि महादेव को दर्द से राहत मिले।

    मान्यता है कि भगवान शिव लोगों को बचाने के लिए बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। बिजली गिरने से जन-धन का कोई नुकसान न हो, इसलिए बिजली मंदिर के अंदर बने शिवलिंग पर बिजली गिरती है।

    वीरवार शाम को बिजली महादेव मंदिर परिसर से जिया की पहाड़ी की ओर बिजली गिरी। इसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ। लोगों का मानना है कि शिवलिंग पर बिजली गिरने का अर्थ है कि सृष्टि पर आपदा को भगवान शिव ने अपने ऊपर ले लिया है। कोरोना काल में बिजली महादेव मंदिर में बिजली गिरने की खबर सुनकर लोग खुश थे लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि बिजली शिवलिंग पर नहीं गिरी है तो वे मायूस हो गए। बिजली महादेव मंदिर के पुजारी मदन लाल ने बताया कि बिजली पहाड़ी पर गिरी है। आठ-नौ साल से शिवलिंग पर बिजली नहीं गिर रही है।

    क्या है मान्यता

    मान्यता के अनुसार कई हजार साल पहले भगवान शिव ने अजगर की तरह दिखने वाले दैत्य कुलांत का वध किया था। यह दैत्य ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर कुल्लू घाटी को जलमग्न करना चाहता था। उसके बाद कुलांत का शरीर विशालकाय पर्वत के रूप में तबदील हो गया और पूरे क्षेत्र में फैल गया। धारणा यह भी है कि कुल्लू का नाम कुलांत के नाम से ही पड़ा है। उसके बाद भगवान शिव ने ही इंद्र से कहा था कि वह हर 12 साल में बिजली महादेव मंदिर में शिवलिंग पर बिजली गिराएं।

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