Himachal News: शांता कुमार सुक्खू सरकार पर हमलावर, बोले- विकट परिस्थिति के लिए फिजूलखर्ची के निर्णय भी जिम्मेवार
Himachal Pradesh News पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हिमाचल सरकार द्वारा ब्राह्मण बोर्ड के गठन पर दुख जताया और इसे आपदा के समय फिजूलखर्ची बताया। उन्होंने सरकार और विपक्ष से पीड़ितों की सहायता के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। शांता कुमार ने वन भूमि की समस्या का समाधान करने और लावारिस धन का उपयोग आपदा राहत कार्यों में करने की मांग की है।
संवाद सहयोगी, पालमपुर (कांगड़ा)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल सरकार के कल के एक निर्णय से मैं बहुत आहत हूं, दुखी हूं और शार्मिदा भी हूं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा नहीं, इतिहास की सबसे भयंकर आपदा चल रही है। प्रतिदिन बादल फट रहे हैं। सैंकड़ों लोग मर चुके है, हजारों जख्मी हुए और सैंकड़ो मलबे में दबे पड़े हैं।
घर बार और परिवार के सदस्यों को खोकर हजारों परिवार आंसू बहा रहे हैं। इतिहास के ऐसे सबसे नाजुक मोड़ पर कल हिमाचल सरकार ने प्रदेश के लिए एक ब्राह्मण बोर्ड की स्थापना की है। उसमें 126 सदस्य रखे गए हैं और 14 सरकारी सदस्य हैं। कुल 140 सदस्यों का बोर्ड सरकार ने बनाया है।
ऐसे फिजूलखर्ची के निर्णय जिम्मेदार
शांता कुमार ने कहा आज की भयंकर परिस्थिति में इससे बड़ा मूर्खता का अन्य कोई निर्णय नहीं हो सकता। हिमाचल की आज की विकट परिस्थिति के लिए सरकार के इस प्रकार की फिजूलखर्ची के निर्णय भी जिम्मेदार हैं।
आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए हों एकजुट
उन्होंने कहा कि हिमाचल विधानसभा में कभी कभी सार्थक चर्चा होती है तो खुशी होती है। कुछ सदस्यों ने सारी बातें छोड़ कर आपदा का मुकाबला मिलकर करने की बात की है। एक कांग्रेस सदस्य ने यहां तक कहा कि नेता विपक्ष के नेतृत्व में सबका एक शिष्टमंडल दिल्ली जाना चाहिए। इसके लिए बधाई देता हूं। शांता कुमार ने सरकार और विपक्ष से आग्रह किया है कि आज केवल और केवल पीड़ितों की सहायता एकमात्र हिमाचल के सामने काम है। पक्ष और विपक्ष राजनीति और आलोचना की सब बातें बंद करके पूरा प्रदेश एक जुट होकर राहत के काम में जुटे।
वन भूमि के लिए प्रधानमंत्री से मिलें सभी नेता
सबसे कठिन काम पीड़ितों को मकान बनाने के लिए भूमि देने का है। दुर्भाग्य से हिमाचल की लगभग सारी भूमि बन भूमि बन गई है। जहां वन नहीं है, केवल घास उगता है ऐसी भूमि को भी वन भूमि दर्ज कर दिया गया है। देश के और किसी भी प्रदेश में ऐसा नही है।उन्होंने सुझाव दिया है कि मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और सभी संसद सदस्य दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलें और आपदा पीड़ितों के लिए मकान बनाने के लिए वन भूमि से जमीन देने की मांग करें।
सरकार के पास लावारिस लोगों के दो लाख करोड़ रुपये
शांता कुमार ने भारत सरकार से फिर मांग की है कि सरकार के पास लावारिस लोगों का दो लाख करोड़ रुपये पड़ा है। मैंने सभी बैंकों और एलआईसी की पूरी सूची समेत प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। यह दो लाख करोड़ रुपये उन लोगों का है, जो पैसा जमा करवाकर मर गए, उनका कोई कानूनी वारिस नहीं था। यह सारा धन देश का है। परलोक से कभी कोई वारिस यह धन लेने के लिए नहीं आएगा।
हिमाचल को इससे दिए जाएं 5000 करोड़
हिमाचल के नेताओं का एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से इस बात पर चर्चा करे और यह मांग करे कि सरकार कानून बना कर इस धनराशि का प्रयोग राष्ट्रीय आपदा में हो। इस धन में से 5 हजार करोड़ रुपये हिमाचल की आपदा के लिए दिया जाए।
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