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पहले लेते कर्ज, विपक्ष में आते ही बदल जाते सुर

चुनावी वर्ष में कांग्रेस कर्ज लेने के मामले में जयराम सरकार पर हमलावर है। साढ़े चार वर्ष पहले कांग्रेस सरकार थी तो भाजपा इस भूमिका को निभाती थी। कर्ज लेने में कोई भी सरकार पीछे नहीं रही लेकिन विपक्ष में आने पर नेताओं के सुर बदल जाते हैं।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 11:59 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 11:59 PM (IST)
पहले लेते कर्ज, विपक्ष में आते ही बदल जाते सुर
पहले लेते कर्ज, विपक्ष में आते ही बदले जाते सुर। जागरण आर्काइव

प्रकाश भारद्वाज, शिमला। चुनावी वर्ष में कांग्रेस कर्ज लेने के मामले में जयराम सरकार पर हमलावर है। साढ़े चार वर्ष पहले कांग्रेस सरकार थी तो विपक्ष में बैठने वाली भाजपा इस भूमिका को निभाती थी। एक सच यह भी है कि कर्ज लेने के मामले में कोई भी सरकार पीछे नहीं रही, लेकिन विपक्ष में आने पर नेताओं के सुर बदल जाते हैं। अभी प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर 90 हजार रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कर्ज लेने की आदत 1980 के बाद पड़ी।

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1998 में कांग्रेस की वीरभद्र सिंह की सरकार भाजपा के प्रेम कुमार धूमल की सरकार को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज सौंप क र गई थी। धूमल सरकार के पहले कार्यकाल में करीब सात हजार करोड़ का कर्ज लिया गया। 2003 में सत्ता से जाते समय 23 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज वीरभद्र सरकार को छोड़ा। उसके बाद वीरभद्र सरकार ने पांच साल में साढ़े छह हजार करोड़ का कर्ज लिया। 2007 में धूमल सरकार ने आठ हजार रुपये से कुछ अधिक कर्ज लिया। 2012 में सत्ता में आने के बाद वीरभद्र सरकार ने 19 हजार करोड़ से अधिक का रिकार्ड कर्ज उठाया। कुल राशि साढ़े 50 हजार करोड़ से आगे निकल गई। वर्तमान जयराम ठाकुर की सरकार अब तक 14 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज उठा चुकी है। कुल कर्ज 65 हजार करोड़ रुपये हो गया है। विधानसभा चुनाव तक सरकार 70 हजार के कर्ज तक पहुंच सकती है।

कर्ज लेने की अनुमति

कर्ज लेने की अनुमति केंद्र सरकार की ओर से प्रदान की गई है। किसी भी सरकार के राजकोषीय घाटे के तीन प्रतिशत से नीचे रहने की स्थिति में कर्ज उठाने की व्यवस्था है। कर्ज दीर्घकालीन और अल्पकालीन अवधि के लिए उठाया जा सकता है।

किसकी सरकार ने कितना कर्ज लिया

  • अवधि, सरकार, लिया कर्ज, कुल कर्ज
  • 1993-1998,वीरभद्र सरकार,छह हजार करोड़,10 हजार करोड़
  • 1998-2003,धूमल सरकार, सात हजार करोड़,17658.40 करोड़
  • 2003-2007,वीरभद्र सरकार,6500 करोड़,23151.39 करोड़
  • 2007-2012,धूमल सरकार,8291 करोड़,31442.56 करोड़
  • 2012-2017,वीरभद्र सरकार,19330 करोड़,50772.88 करोड़
  • 2017 से अब तक, जयराम सरकार,14227 करोड़, 65000 करोड़

कर्ज लेने की आदत कांग्रेस ने डाली

पिछले बजट सत्र के दौरान विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा था कि कर्ज लेने की आदत कांगेस ने डाली है। कोई भी सरकार कर्ज लेने से पीछे नहीं हट सकती है। वर्तमान सरकार ने विशेष परिस्थितियों में ही कर्ज उठाया है।

जयराम सरकार ने हिमाचल को कर्ज में डूबोकर रख दिया है। सरकार ने कर्ज लेने के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। कर्ज से सरकार फिजूलखर्ची कर रही है। विकास कार्याें पर कर्ज की राशि खर्च नहीं हो रही।

-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष।


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