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    Pitru Paksha 2022: कन्‍या भ्रूण हत्‍या करने से भी होता है पितृ दोष, भूलकर भी न करें ये 15 काम, सर्व पितृ श्राद्ध से शांत होते हैं सभी दोष

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:49 AM (IST)

    Pitru Paksha 2022 पितृ पक्ष में हिंदू रीति के अनुसार अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध की परंपरा है। प्राचीन ज्योतिष के अनुसार ये 16 श्राद्ध होते हैं इसका मुख्य कारण है कि भारतीय प्राचीन गणना के अनुसार 15 तिथि मानी गई है।

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    पितृ पक्ष में हिंदू रीति के अनुसार अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध की परंपरा है।

    गगरेट, अविनाश विद्रोही। Pitru Paksha 2022, पितृ पक्ष में हिंदू रीति के अनुसार अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध की परंपरा है। प्राचीन ज्योतिष के अनुसार ये 16 श्राद्ध होते हैं इसका मुख्य कारण है कि भारतीय प्राचीन गणना के अनुसार 15 तिथि मानी गई है। जब किसी की मृत्यु होती है तो प्राचीन गणना के अनुसार उसी तिथि को उस व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है। लेकिन यदि किसी कारण वश गणना मालूम न हो या फिर कोई अज्ञात पितृ हो तो उसका विधान अंतिम श्राद्ध करने का बताया गया है।

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    किसी पुत्रहीन की भूमि या संपत्ति लेना, परिवार में परिवारिक रोग का आना, परिवार के सदस्यों की दुर्घटना या अन्य कारणों से अचानक मौत होने जैसे अनेक कारण पितृ दोष की वजह से माने जाते हैं। ज्योतिष की प्रसिद्ध किताब लाल किताब की माने तो पीपल का पेड़ काटना, कुआं या बाबड़ी बंद कर देना, सार्वजनिक रास्ता बंद कर देना, किसी की संपत्ति हड़प लेना, कन्या भ्रूर्ण हत्या करवाना भी पितृ दोष की श्रेणी में माना गया है।

    इसके इलावा कुल पुरोहित बदलना या अन्य किसी कारण से छोड़ देना, परंपरागत पूजा या अपनी संस्कृति को छोड़कर अन्य तरह की पूजा पाठ करना, कुल देवता बदल देना, जल स्रोत गंदे करना, किसी इंसान या पशु को जहर देना, अपनी बहन बुआ बेटी पर अत्याचार करना या किसी भी कारण से परेशान करना कुत्ते को जान से मारना भी पितृ दोष का कारण बनता है। हालांकि लाल किताब ने इसे अलग अलग ऋण का नाम दिया है लेकिन प्राचीन ज्योतिष के अनुसार इसे पितृदोष की श्रेणी में ही रखा जाएगा।

    सर्व पितृ श्राद्ध से शांत होते हैं सभी दोष

    इसके लिए पिंड दान के अलावा जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना व दान पुण्य करने से ये दोष कम होते हैं। सर्वपितृ श्राद्ध के दिन यानी कि अंतिम श्राद्ध पर सभी दोषों को शांत करने के लिए पिंडदान करना चाहिए। किसी कारणवश अपने पितृ का श्राद्ध न करने वाला भी इस दिन पिंडदान कर सकता है। सर्वपितृ श्राद्ध से सभी प्रकार के पितृ दोष शांत होते हैं।