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    हिमाचल में सवारियों से ओवरलोड बसें दे रही कोरोना संक्रमण को बढ़ावा, 50 फीसद आक्‍यूपेंसी का है नियम

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 22 Aug 2021 07:46 AM (IST)

    Himachal Overloaded Buses कोविड 19 मानक संचालन प्रक्रिया के नियमों का शहर में चल रही बसों में पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बसों में 50 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ बसें चलाने के दिशा निर्देश जारी किए थे।

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    कोविड-19 मानक संचालन प्रक्रिया के नियमों का शहर में चल रही बसों में पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा है।

    शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Overloaded Buses, प्रदेश सरकार की ओर से जारी कोविड 19 मानक संचालन प्रक्रिया के नियमों का शहर में चल रही बसों में पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बसों में 50 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ बसें चलाने के दिशा निर्देश जारी किए थे। शहर के अंदर सुबह-शाम तो ज्यादातर बसें ओवर लोड होकर चलती हैं। पुलिस भी ओवरलोड बसों को रोककर न ही चालान काटते हैं और बेरोकटोक चलने देते हैं। इससे निजी बस ऑपरेटरों के हौसले और बढ़ गए हैं। सुबह-शाम कार्यालयों के खुलने और छुट्टी के समय पर बसें खूब ठूंस-ठूंस कर भरी जा रही हैं।

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    लोगों को मजबूरन खड़े होकर बसों में सफर करना पड़ रहा है। कुछ समय पहले एचआरटीसी की कई बसें 50 फीसदी सवारियों के साथ भी चलीं लेकिन अब स्थिति ये है कि सवारियां बसों में खड़े होकर सफर कर रही हैं। वहीं बस में कुछ लोग बिना मास्क लगाए होते हैं जिससे संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहता है। बसों में दो गज की दूरी तो कोसों मील दूर की बात है।

    साढ़े नौ बजे तक मैहली, पंथाघाटी, विकासनगर और न्यू शिमला की ओर से शिमला आने वाली कई बसों में सवारियां शिमला तक खड़ी ही पहुंचती हैं। लिफ्ट के समीप बस से अधिकतर सवारियां उतर जाती हैं और  बस स्टैंड पहुंचने तक बस में गिनीचुनी ही सवारियां शेष रह जाती हैं। ऐसा ही हाल शहर के अन्य स्थानों टुटू, बालूगंज, संजौली  और छोटा शिमला की बसों का भी है इन क्षेत्रों से बसें ओवरलोड होकर ही पहुंचती हैं। इनके अलावा आईएसबीटी से ओल्ड बस स्टैंड और शिमला से शोघी जाने वाली बसों में भी ओवरलोडिंग रहती है।

    दिन के समय बसों में कम सवारियां रहती हैं

    दिन के समय बसों में कम सवारियां होती हैं। दिन के समय केवल निजी काम से आने-जाने वाले लोग ही बसों में आवाजाही करते हैं इसलिए बसों में कम भीड़ होती है। लेकिन जैसे शाम पांच बजते हैं और कर्मचारियों के छुट्टी का समय होता है तो पुराने बस अड्डे व लोकल बस अड्डे में कतार में बसें खड़ी होती हैं और पूरी तरह से पैक हो जाती हैं। बस अड्डे में भी इन पर  कोई लगाम नहीं कसी जाती है और बिना रोकटोक के बसें अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हो जाती है। इस तरह कोरोना संक्रमण के खतरे को कैसे कम किया जा सकता है। लोग चाह कर भी कोविड नियमों का पालन नहीं कर सकते और मजबूरन बसों में जगह न मिलने के कारण खड़े होकर भी सफर करना पड़ता है।