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    घर में उगा सकेंगे दुनिया की सबसे महंगी बिकने वाली यह सब्‍जी, अब तक प्राकृतिक रूप से ही उगती थी पहाड़ों पर

    By Rajesh SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 07 Jul 2020 09:39 AM (IST)

    हिमाचल उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी को लोग घर में मशरूम की तरह तैयार कर सकेंगे।

    घर में उगा सकेंगे दुनिया की सबसे महंगी बिकने वाली यह सब्‍जी, अब तक प्राकृतिक रूप से ही उगती थी पहाड़ों पर

    सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। हिमाचल, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी को लोग घर में मशरूम की तरह तैयार कर सकेंगे। इसके लिए मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन में चले शोध को प्रयोगशाला और ग्रीनहाउस के स्तर पर सफलता मिली है। बड़े स्तर पर उत्पादन में सफलता मिलने पर लोग इस जंगली सब्जी को घर में तैयार कर सकेंगे। इससे अच्छी आय भी प्राप्त होगी, क्योंकि एक किलो गुच्छी की कीमत हजारों रुपये में होती है। यह दुनिया की सबसे महंगी सब्‍ज‍ियों में शुमार है।

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    अभी तक गुच्छी ऊंचे पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप से ही उगती है। यह पहली बार है, जब गुच्छी का व्यवसायिक उत्पादन करने के लिए अनुसंधान चला हुआ है।

    कई रोगों के इलाज में लाभदायक

    गुच्छी में विटामिन डी, सी, के, आयरन, कॉपर, जिंक व फॉसफोरस अच्छी मात्रा में पाया जाता है। विज्ञानियों के अनुसार इसका सेवन गठिया, थायराइड, बोन हेल्थ व मानसिक तनाव को खत्म करने में सहायक होता है। दिल के रोगों व शरीर की चोट को भी जल्द भरने में यह लाभकारी है।

    2017 से चल रहा शोध

    अनुसंधान कर रहे विज्ञानी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 से इस पर कार्य चल रहा है। पहले लैब में इसका स्पॉन तैयार किया। इसमें सफलता मिली है। लैब में एक सेंटीमीटर और ग्रीन हाउस में पूरी तरह विकसित गुच्छी तैयार की है। जल्द हमारे पास ऐसी तकनीक होगी, जिसे किसानों से साझा कर सकेंगे।

    गुच्छी की छह किस्में

    मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के निदेशक ने बताया कि उत्तरी भारत के पहाड़ी प्रदेशों में छह तरह की गुच्छी पाई जाती है। इनमें मॉर्केला एस्कुलेंटा, मॉर्केला एंगस्टीसेप्स, मॉर्केला क्रैसेप्स, मॉर्केला डेलिशियस, मॉर्केला कोनिका व मॉर्केला सेमिलिब्रा। सोलन में मॉर्केला एंगस्टीसेप्स पर शोध किया जा रहा है।

    इस वर्ष हम प्रयोगशाला और ग्रीनहाउस स्तर तक गुच्छी के उत्पादन में सफल रहे हैैं। व्यवसायिक स्तर पर इसके उत्पादन के लिए तकनीक विकसित कर रहे हैं। इसमें भी जल्द सफलता मिलेगी। लोग अभी जंगल से इसको खोजकर करीब पांच हजार रुपये प्रतिकिलो बेचते हैं और आगे सूखाकर बेचने पर इसकी कीमत 15 से 20 हजार रुपये प्रतिकिलो हो जाती है।  -डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन।

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