एक सप्ताह में बताना होगा कौन है बस का कंडक्टर व ड्राइवर, लाइसेंस के लिए ऑटोमैटिक ट्रैक पर देना होगा टेस्ट Kangra News
अब निर्णय लिया गया है कि बसों में चालक का पूरा नाम पता व उससे संबंधित सभी जानकारी लिखना जरूरी होगा। ...और पढ़ें

धर्मशाला, जेएनएन। ओवरलोडिंग, आत्यधिक स्पीड तथा अन्य कारणों से बढ़ते सड़क हादसों को रोकने तथा लोगों की सुरक्षा के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई हिदायतों की तुरंत अनुपालना सुनिश्चित बनाने के जिला प्रशासन सख्त हुआ है। अब निर्णय लिया गया है कि बसों में चालक का पूरा नाम पता व उससे संबंधित सभी जानकारी लिखना जरूरी होगा। बस का चालक पूरी तरह से निपुण हो, इसके ऑटोमैटिक ट्रैक बनाने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भी भेजा जाएगा।
अतिरिक्त उपायुक्त राघव शर्मा की अध्यक्षता में एचआरटीसी व निजी बस संचालकों के साथ बैठक में इस संदर्भ में कुछ अन्य निर्णय भी लिए गए। एचआरटीसी प्रबंधन तथा निजी बस संचालकों को बसों के भीतर वाहन चालक का फोटो, उसका नाम तथा वैध लाइसेंस की पूर्ण जानकारी प्रदर्शित करने सहित आरटीओ कार्यालय का दूरभाष नंबर लिखना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त उन्हें अपने-अपने वाहन चालक की संपूर्ण जानकारी सात दिन के भीतर आरटीओ कार्यालय में जमा करवाना अनिवार्य होगी। बस मालिकों से अपनी बसों में ओवरलोडिंग न करने व निर्धारित समयसारिणी के अनुसार बस चलाने की सख्त हिदायत भी दी गई।
इस अवसर पर आरटीओ मेजर डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहाप्राइवेट ड्राइविंग स्कूलों के लिए अपने संस्थान में बायोमिट्रिक मशीन लगाना अनिवार्य की गई है, ताकि प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे लोग प्रशिक्षण के लिए अपना पूर्ण समय देना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि निर्धारित मापदंडों के तहत ड्राइविंग टेस्ट लेने व लाइसेंस जारी करने के लिए कांगड़ा जिला के कच्छयारी(खोली)तथा जसूर में ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा रहा है। इसके अतिरिक्त समयसारिणी में त्रुटियों के निपटारे के लिए कमेटियां गठित की गई हैं, जो इस विषय पर चर्चा के उपरांत स्थाई समाधान करेंगी। बैठक में आरटीओ (उडऩदस्ता) संजय धीमान, एचआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक तथा निजी बस ऑपरेटरों ने भाग लिया।
यह होती है ऑटोमैटिक ट्रैक में ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया
- परमानेंट लाइसेंस के लिए जो ऑनलाइन तारीख और समय मिलेगा उससे 45 मिनट पहले वाहन चालक को ट्रैक पर पहुंचना होगा।
- ट्रैक पर पहुंचने के बाद वाहन चालक की पूरी मॉनीटनिंग कैमरा बेस्ड सेंसर के माध्यम से होगी। जितनी गलतियां होंगी, उतने नंबर कम हो जाएंगे।
- ग्रीन सिग्नल होगा तो ट्रैक के ट्रायल पर पास।
- रेड सिग्नल होगा तो फेल माना जाएगा आवेदक को।
- टेस्ट पास के लिए चालक को सेंसर के साथ-साथ समय का भी ध्यान रखना होगा।
- टेस्ट की प्रक्रिया के बाद समय और अंकों की गणना के आधार पर रिजल्ट जारी होगा। इसमें वाहन चालक कर्मचारी या अधिकारी पर आरोप भी नहीं लगा पाएगा। आपत्ति पर ट्रायल की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई जा सकेगी। ट्रायल से पहले 20 मिनट की रोड सेफ्टी क्लास होगी।
टेस्ट के ये तीन चरण
- सबसे पहले आठ अंक नुमा ड्राइविंग ट्रैक पर ट्रायल होगा। इस पर गाड़ी सीधी और फिर रिवर्स लानी होगी। यहां 20 सेंसर होंगे, जहां भी गलती होगी, सेंसर बज उठेंगे।
- ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर पहली बार करीब पांच फीट की चढ़ाई पर गाड़ी ले जानी होगी। चढ़ाते समय गाड़ी जरा भी पीछे आई या गलत दिशा में गई तो सेंसर फिर बज उठेंगे।
- तीसरे टेस्ट में गाड़ी को एक बार सीधा और दूसरी बार तिरछा पार्क करना होगा। इस प्रक्रिया में कोई गलती हुई तो भी सेंसर की लाल बत्ती जल जाएगी।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।