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    हिमाचल में खनन अधिकारी के मौके पर पहुंचने से पहले ही भाग जाते हैं शातिर, यह है इसकी वजह

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:58 AM (IST)

    Himachal Mining Mafia खड्डों और नदियों में अवैध खनन होता है लेकिन इसे रोकने के लिए सड़क से दूर कच्चे रास्तों पर टैक्सी संचालक खनन अधिकारियों को नहीं ल ...और पढ़ें

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    खड्डों और नदियों में अवैध खनन होता है

    शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Mining Mafia, खड्डों और नदियों में अवैध खनन होता है, लेकिन इसे रोकने के लिए सड़क से दूर कच्चे रास्तों पर टैक्सी संचालक खनन अधिकारियों को नहीं ले जाते। कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, सोलन व सिरमौर जिलों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पर उद्योग विभाग की ओर से मासिक 35 हजार किराये पर ली टैक्सी को चालक खड्ड के किनारे उतारने को तैयार नहीं होता। टैक्सी चालकों का कहना है कि मासिक 30-35 हजार रुपये के लिए गाड़ी का नुकसान नहीं पहुंचा सकते। ऐसी स्थिति में खनन अधिकारी जान जोखिम में डालकर पैदल खनन क्षेत्र तक पहुंचता है। तब तक अवैध खनन कर रहे आरोपित भाग जाते हैं। ऐसे में ज्योलाजिकल विंग की मुश्किलें बढ़ गई है। खनन अधिकारियों की ओर से टैक्सी चालक द्वारा खनन क्षेत्र में वाहन नहीं ले जाने की शिकायतें आई हैं।

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    उपायुक्त करता है किराया तय

    जनजातीय जिला किन्नौर और लाहुल-स्पीति के अलावा अन्य दस जिलों में उपायुक्त बोलेरो गाड़ी टैक्सी की अधिसूचना जारी करता है और मासिक किराया भी तय करता है। 32 हजार से  35 हजार रुपये मासिक किराया टैक्सी को दिया जाता है। एक माह में 1500 किलोमीटर चलना तय होता है।

    क्‍या कहते हैं अधिकारी

    स्टेट ज्योलाजिस्ट पुनीत गुलेरिया का कहना है जिला प्रशासन की ओर से अधिकृत टैक्सी का उपयोग सही रूप में नहीं हो पास रहा है। टैक्सी संचालक खड्ड, नाले और नदियों के किनारे जाने से इंकार करते हैं, जहां अवैध खनन होता है। खनन अधिकारियों की ओर से इस संबंध में लिखित तौर पर विभाग को शिकायतें की गई है।