यहां गिरा था मां सती का कपाल, कपालेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है मां कुनाल पत्थरी मंदिर, जानिए
Kunal Pathri Mata Temple 51 शक्तिपीठों में से यह शक्तिपीठ मां सती के अंगों में से एक है। मां सती का यहां पर कपाल गिरा था और यह शक्तिपीठ मां कपालेश्वरी ...और पढ़ें

धर्मशाला, दिनेश कटोच। 51 शक्तिपीठों में से यह शक्तिपीठ मां सती के अंगों में से एक है। मां सती का यहां पर कपाल गिरा था और यह शक्तिपीठ मां कपालेश्वरी के नाम से विख्यात हुआ। मां सती ने पिता द्वारा किए गए शिव के अपमान से कुपित होकर पिता राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए थे, तब क्रोधित शिव उनकी देह को लेकर पूरी सृष्टि में घूमे। शिव का क्रोध शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। शरीर के यह टुकड़े धरती पर जहां-जहां गिरे, वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
मान्यता है कि यहां माता सती का कपाल गिरा था इसलिए यहां पर मां के कपाल की पूजा होती है। धौलाधार की पहाडिय़ों की मनोरम छठा में चाय बागानों के बीच स्थित मां कुनाल पत्थरी मंदिर कपालेश्वरी के नाम से भी विख्यात है। मां कपालेश्वरी देवी मंदिर अनूठा और विशेष भी है। यहां पर मां के कपाल के ऊपर एक बड़ा पत्थर भी कुनाल की तरह विराजमान है। इसलिए इस मंदिर को मां कुनाल पत्थरी के नाम से भी जाना जाता है।
कुनाल का भी अलग महत्व
मां कुनाल पत्थरी मंदिर में मां के कपाल के ऊपर बना एक पत्थर हमेशा ही पानी से भरा रहता है। मान्यता यह भी है कि जब भी इस पत्थर में पानी सूखने लगता है तो यहां पर वर्षा होती है व मां कभी भी पानी की कमी नहीं होने देती है। कपाल के ऊपर बने पत्थर में पानी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है तो कई बीमारियों को लेकर भी श्रद्धालु इस पानी को लेकर जाते हैं।
नवरात्र में जुटती है भीड़
शक्तिपीठ मां कपालेश्वरी देवी मंदिर में ऐसा नहीं है कि श्रद्धालुओं की आमद कम है। आम दिन के अलावा खासकर नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ यहां पर जुटती है। मंदिर में अधिकतर श्रद्धालु जिला कांगड़ा सहित प्रदेश से ही आते हैं, अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की आमद इस मंदिर में कुछ कम है।
धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी हो सकता है विकास
कुनाल पत्थरी मंदिर का विकास धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी हो सकता है। यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहां पर चारों ओर चाय के बागान हैं तो उत्तर की और सामने धौलाधार की सफेद पहाडिय़ां वहीं दक्षिण में कांगड़ा हवाई अड्डा मंदिर की मनोरम छठा को और भी बढ़ाता है।
नहीं मिल पाई पहचान
मां दुर्गा को समर्पित कपालेश्वरी देवी या फिर मां कुनाल पत्थरी मंदिर भले ही शक्तिपीठों में से एक हो, लेकिन अन्य शक्तिपीठों की तरह अभी भी इस मंदिर को पूरी ख्याति नहीं मिल पाई है। निजी कमेटी के अधीन चल रहे इस मंदिर में हर सुविधा श्रद्धालुओं के लिए मौजूद है, लेकिन जो पहचान इसे अन्य शक्तिपीठों की तरह मिलनी चाहिए थी, उससे अभी तक यह मंदिर कोसों दूर है।
कैसे पहुंचे मंदिर तक
सड़क मार्ग : कुनाल पत्थरी मंदिर जिला मुख्यालय धर्मशाला से तीन किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि कांगड़ा हवाई अड्डा इस मंदिर से 10 किलोमीटर की दूरी पर है।

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