सदगुरु के चरणों में ही मिलती हैं मुक्ति, बोले महात्मा दीनानाथ
संत निरंकारी भवन घुरकड़ी में मुक्ति दिवस मनाया गया। जिसमें महात्मा दीनानाथ ने प्रवचनों की अमृत वर्षा की। वास्तव में भक्ति भरा जीवन जीने का मतलब यह कतई ...और पढ़ें

गगल, संवाद सहयोगी। संत निरंकारी भवन घुरकड़ी में मुक्ति दिवस मनाया गया। जिसमें महात्मा दीनानाथ ने अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा की। वास्तव में भक्ति भरा जीवन जीने का मतलब यह कतई नहीं है कि अपने कर्तव्यों से किनारा कर लिया जाए। अनन्य भक्ति करने वालों ने यही दर्शाया है कि कर्तव्यों की पालना भी करनी है। भक्ति भरा जीवन ही भक्त की पहचान हैं।इस अवसर पर सत्संग में सुन्नी से आए महात्मा महेंद्र सिंह शाहपुर से आए महात्मा अश्वनी वर्मा नगरोटा से आए महात्मा रमेश को प्रकाश तथा कई अन्य महात्माओं ने भी मुक्ति दिवस पर सत्संग का आनंद लिया।
इस मौके पर उन्होंने सत्संग का महत्व, सत्संग के लाभ व सत्संग के आचरण के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने साद संगत को बताया गया कि सतगुरु के चरणों ही मुक्ति मिलती है। इस लिए सतगुरु के ध्यान में रहना चाहिए, सतगुरु की वाणी को सुनना चाहिए और उनके बताए मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। सतगुरु के बताए मार्ग से से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि आज निरंकारी मिशन मुक्ति दिवस केवल हिंदुस्तान में ही नहीं पूरे संसार में मना रहा है। यह वह मुक्ति दिवस है जिसमें हमारे वीर जवानों ने अपने देश की खातिर प्राणों का बलिदान दिया है तब जाकर हमें यह आजादी हासिल हुई है इस अवसर पर महात्मा दीनानाथ ने बाबा बूटा सिंह जी महाराज का भी जिक्र किया। जिन्होंने इस मिशन की नींव रखी थी उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला है।

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