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    Kangra News: ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ के पास पहाड़ी अस्थिर, मंदिर और पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग को खतरा

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 08:26 AM (IST)

    ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ के पास पहाड़ी अस्थिर हो रही है। बिनवा खड्ड का तेज बहाव और बारिश के कारण दो दशक बाद फिर से मलबा गिर रहा है जिससे मंदिर और पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग को खतरा है। प्रशासन ने पुलिस तैनात की है और राजमार्ग का एक हिस्सा बंद कर दिया है। मंदिर के गर्भ गृह में पानी का रिसाव हो रहा है।

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    बरसात में बैजनाथ शिव मंदिर और गर्भ गृह के समीप हो रहा रिसाव

    मुनीष दीक्षित, कांगड़ा। ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ के साथ लगती पहाड़ी लगातार अस्थिर होती जा रही है। बिनवा खड्ड के तेज बहाव, मूसलधार वर्षा और बैजनाथ में सड़कों के किनारे पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने से दो दशक बाद फिर से पहाड़ी से मलबा गिरने का क्रम शुरू हो गया है।

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    इस कारण बैजनाथ शिव मंदिर के साथ-साथ पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से को खतरा पैदा हो गया है। एहतियात के तौर पर प्रशासन ने यहां पुलिस कर्मचारी तैनात किए हैं। साथ ही बरसात के कारण शिव मंदिर बैजनाथ के गर्भ गृह के पास पानी का भारी रिसाव शुरू हो गया है।

    बैजनाथ के मंडी रोड पर बनी फुटपाथ में सोमवार को कंपन महसूस की जा रही थी। इसी स्थान के नीचे ल्हासा भी गिरा है। ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने इस संबंध में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया के अधिकारियों को अवगत करवाया।

    इसके बाद यहां एक हिस्से को यातायात के लिए बंद कर दिया है। इसी स्थान से कुछ मीटर की दूरी पर इसी पहाड़ी के ऊपर बैजनाथ शिव मंदिर भी है। इस पहाड़ी में अक्सर छोटे-छोटे ल्हासे गिरने का क्रम हर बरसात में चला रहता है। बैजनाथ शिव मंदिर का एक हिस्सा भी हल्का-हल्का एक तरफ झुक रहा है। कुछ समय पहले मंदिर परिसर के अंदर एक छोटा मंदिर भी गिर चुका है। इसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने आज तक ठीक नहीं किया है।

    शिव मंदिर बैजनाथ भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत है। विभाग मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण का जिम्मा संभालता है। मंदिर की व्यवस्था एसडीएम के माध्यम से सरकारी ट्रस्ट देखता है। कुछ वर्ष से मंदिर की उपेक्षा की जा रही है। मंदिर में रास्तों को चौड़ा करने के लिए पार्कों को उजाड़ दिया है। पार्क भी खराब हो गए हैं और जो नए रास्ते बने हैं वे भी टूट चुके हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से बार-बार संपर्क किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया