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    Dharamshala: जानिए कैसे पड़ा आपके खूबसूरत शहर का नाम धर्मशाला, महाराजा धर्म चंद कटोच से भी जुड़ा है संस्‍मरण

    By Rajesh SharmaEdited By:
    Updated: Sat, 28 Nov 2020 08:36 AM (IST)

    Dharamshala City प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला का नाम अगर किसी की जुबां पर हो तो पहले पहल तो यह लगता है कि यह जगह कोई सराय होगी। जिसे कि साधारण भाषा में धर्मशाला भी कहा जाता है।

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    धर्मशाला का नाम जो विश्व विख्यात है, इसके नाम के पीछे भी एक बड़ा राज है।

    धर्मशाला, दिनेश कटोच। इतिहास अपने आप में बहुत कुछ संजोये हुए है। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला का नाम अगर किसी की जुबां पर हो तो पहले पहल तो यह लगता है कि यह जगह कोई सराय होगी। जिसे कि साधारण भाषा में धर्मशाला भी कहा जाता है। लेकिन यहां पर धर्मशाला का नाम जो विश्व विख्यात है, इसके नाम के पीछे भी एक बड़ा राज है और यह राज महाराजा के नाम से भी जुड़ा हुआ है। इतिहास में धर्मशाला व धर्मकोट के नाम को रखे जाने को लेकर भी पुराना इतिहास इसका गवाह है। यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे कैसे धर्मशाला व धर्मकोट का नाम महाराजा धर्म चंद कटोच को जोड़ते पड़ा।

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    यह बात भी आज से पांच सौ वर्ष पुरानी है। त्रिगर्त में धर्मचंद कटोच का शासन हुआ करता था। इस दौरान उन्होंने कांगड़ा किले से बाहर निकल कर पहाड़ों की ओर भी रुख किया। पहाड़ों की आेर घूमते घूमते वह काफी ऊपर पहुंच गए, इस स्‍थान को आज धर्मकोट के नाम से जाना जाता है और यहां पर्यटकों का मेला लगा रहता है। राजा को यह जगह काफी पसंद आई और उन्होंने यहां पर अपना अस्थायी निवास स्थान बनाया।

    गर्मी के मौसम में इस क्षेत्र में आने जाने को लेकर उनके द्वारा यहां पर किले का निर्माण भी करवाया और एक सराय भी यहां पर बनवाई। इसके बाद धीरे धीरे इस जगह का नाम धर्मशाला पड़ गया। यहां पर यह भी स्पष्ट कर दें कि उनके नाम धर्म व यहां पर बनाई गई सराय यानी कि आश्रय स्थल को जोड़ते हुए इस क्षेत्र का नाम धर्मशाला पड़ा।

    वैसे ही धर्मकोट जो कि आज मैक्लोडगंज के ऊपरी क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र का नाम भी उनके ही नाम धर्म व किला यानी की कोट को जोड़ते हुए धर्मकोट के नाम पर पड़ा। हालांकि यह पौराणिक तथ्य हैं पर इतिहास के पुराने जानकार इस बात की पुष्टि भी करते हैं। लेकिन इन तथ्यों से आज की पीढ़ी अनभिज्ञ है।