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    जानिए कौन थे कैप्‍टन राम सिंह जिन्हें हिमाचल के राज्यपाल ने शपथ लेते ही याद किया

    By Richa RanaEdited By:
    Updated: Tue, 13 Jul 2021 08:00 PM (IST)

    मंगलवार को राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के बाद जो पहले शब्द कहे उनमें कैप्टन राम सिंह को याद किया। नवनिय ...और पढ़ें

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    राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शपथ लेने के बाद कैप्टन राम सिंह को याद किया।

    धर्मशाला, जागरण टीम। मंगलवार को राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के बाद जो पहले शब्द कहे उनमें कैप्टन राम सिंह को याद किया। नवनियुक्त राज्यपाल ने कहा कि कांगड़ा के राम सिंह ने हमें गोवा की मुक्ति के लिए प्रेरित किया। आखिर कौन थे राम सिंह? गोवा 1961 में पुर्तगालियों से मुक्त हुआ था, 60 साल बाद भी राज्यपाल को कांगड़ा के राम सिंह याद हैं तो जाहिर है, राम सिंह बड़ी हस्ती थे।

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    राज्यपाल बात कर थे 1914 में खनियारा पैदा हुए थे कैप्टन राम सिंह ठाकुर की। राम सिंह कांगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला के साथ सटे गांव खनियारा के रहने वाले थे। ऐसा संगीत रचा कि सुनने वालों में स्वयं पर वीर रस का प्रभाव महसूस करते थे। आजाद हिंद फौज का तराना कदम-कदम बढ़ाए जा उन्हीं का स्वरबद्ध किया हुआ है। राम सिंह ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के सामने ऐसी जोश भरी प्रस्तुति दी कि नेताजी ने उन्हें अपनी वायलिन तोहफे में दे दी। यह 21 अक्टूबर 1943 का दिन था। वह आजादी के बाद आल इंडिया रेडियो की शान रहे। अब उनके वंशज बेशक धर्मशाला में नहीं रहते लेकिन उनकी याद अमिट है।

    गोरखा राइफल में ब्वाय बैंड से शुरू किया सफर

    15 अगस्त 1914 को फौजी परिवार में जन्मे राम सिंह के पिता का नाम दिलीप सिंह ठाकुर था जो हवलदार थे। आठवीं तक शिक्षा लेने के बाद 1928 में 14 वर्ष की आयु में सेकेंड फस्ट गोरखा राइफल में भर्ती हुए। राम सिंह ने अपने नाना नत्थू चंद ठाकुर से शास्त्रीय संगीत भी सीखा। उन्होंने अंग्रेज एनएस होस्टन और डेविड से ब्रासबैंड, स्ट्रिंगबैंड और डांसबैंड का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वायलिन बजाने की प्रेरणा रहे अंग्रेज कप्तान डेनिस लिली रोज। इस समय उन्हें डेढ़ रुपये मासिक वेतन मिलता था। वेतन की बचत कर उन्होंने वायलिन खरीदा। 1939 में सूबेदार मेजर शमशेर सिंह की पुत्री प्रेम कली से विवाह के बाद उनके तीन पुत्र हुए जिन्हें प्रकाश, रमेश और उदय शंकर के रूप में जाना जाता है।

    जापानी सेना ने बनाया राम सिंह को बंदी

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राम सिंह ठाकुर जापानी सेना के हाथों पकड़े गए थे। एक दिसंबर 1942 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अधीन आजाद हिंद फौज (आइएनए) का गठन हुआ। जपानी सैनिकों द्वारा कैद किए गए 55000 सैनिकों में से 12000 सैनिक स्वेच्छा से आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। क्योंकि संगीत में दक्षता थी इसलिए आइएनए बैंड में कप्तान बनाए गए। आजाद हिंद रेडियो स्थापित हुआ तो वह सिंगापुर और रंगून रेडियो स्टेशन में संगीत निर्देशक हुए।

    रिहाई की दास्तां भी दिलचस्प

    लेकिन फिर रिहा भी हो गए। उन पर शस्त्र विद्रोह, संगीत के माध्यम से आइएनए के सैनिकों और आम जनता को अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ उकसाने जैसे गंभीर अभियोग लगाकर मुकदमा चलाया गया। मुमकिन था कि उन्हें फांसी की सजा होती लेकिन कैप्टन राम सिंह की खुशकिसमत थी कि जनरल शाह नवाज कर्नल ढिल्लों और कर्नल सहगल का केस अंग्रेजी सरकार हार गई। इसी कारण राम सिंह भी छूट गए।

    नेता जी ने कहा था, अब आसान कौमी तराना बनाओ

    नेता जी 3 जुलाई 1943 को सिंगापुर पहुंचे तो उनके स्वागत में राम सिंह ने 'सुभाष जी सुभाष जी वो जान-ए-हिंद आ गए' गाया। नेताजी ने कैप्टन राम सिंह शाबाशी देते हुए कहा था, 'अब तुम सरल और सुगम कौमी तराना बनाओ, जिसे आजाद हिंद फौज के सभी वीर सैनानी उत्साह से गाएं। फिर राम सिंह ने 'कदम कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए जा ये जिंदगी है कौम की तू कौम पे लुटाए जा'....'भारत के जां निसारो हिलमिल के गीत गाओ हिंदुस्तान हमारा है' , 'शीश झुका कर भारत माता तुझको करूं प्रणाम', 'सबसे ऊंचा दुनिया में प्यारा तिरंगा झंडा हमारा' और, 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' जैसे गीत बनाए।

    लालकिले पर 'शुभ चैन की बरखा बरसे भारत भाग्य है जागा' की धुन बजाई

    आजादी भारत की दहलीज पर थी। आजादी की घोषणा कभी भी हो सकती थी, जवाहर लाल नेहरू व महात्मा गांधी ने ख्याति प्राप्त कर चुके कैप्टन राम सिंह ठाकुर से मुलाकात की और आजादी के बाद किस तरह से संगीत व धुन लाल किले में प्रस्तुत किए जाएं इस पर चर्चा की।15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, नेहरु प्रधानमंत्री बने। कैप्टन राम सिंह के नेतृत्व में निर्देशन में आइएनए आरकेस्ट्रा कलाकारों ने कौमी तराना 'शुभ चैन की बरखा बरसे भारत भाग्य है जागा' की धुन बजाई। बाद में स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय गान जन गण मन अधिनायक जय है भारत भाग्य विधाता के लिए अपनाया गया।

    1948 में उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी आरकेस्ट्रा बैंड टीम को अपने पीएसी बैंड में भर्ती कर लिया। पीएसी बैंड में 26 वर्षों की सेवा के बाद डीएसपी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। लखनऊ स्थित वरिष्ठ पत्रकार राजू मिश्र कहते हैं, ' कैप्टन साहब ने कई बार कदम-कदम बढ़ाए जा हमें सुनाया है। बेहद विनम्र और शालीन लेकिन अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे।'