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    Khushwant Singh Litfest: दो वर्ष बाद कसौली में होगा खुशवंत सिंह लिटफेस्ट, ये हस्तियां आएंगी

    By Virender KumarEdited By:
    Updated: Sat, 17 Sep 2022 08:12 AM (IST)

    Solan Litfest 2022 स्वर्गीय खुशवंत सिंह को समर्पित लिटफेस्ट कोरोनाकाल के दो वर्ष बाद कसौली में होगा। दो वर्ष तक खुशवंत सिंह लिटफेस्ट वर्चुअली हुआ। अब कसौली क्लब में 14 से 16 अक्टूबर तक देशभर से साहित्यकार कलाकार व राजनीतिक हस्तियां संवाद करेंगी।

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    दो वर्ष बाद कसौली में होगा खुशवंत सिंह लिटफेस्ट!

    सोलन, मनमोहन वशिष्ठ।

    Solan Litfest 2022, स्वर्गीय खुशवंत सिंह को समर्पित लिटफेस्ट कोरोनाकाल के दो वर्ष बाद कसौली में होगा। दो वर्ष तक खुशवंत सिंह लिटफेस्ट वर्चुअली हुआ। अब कसौली क्लब में 14 से 16 अक्टूबर तक देशभर से साहित्यकार, कलाकार व राजनीतिक हस्तियां संवाद करेंगी। लिटफेस्ट का यह 11वां संस्करण है। इसमें खुशवंत सिंह के लेखन के प्रति समर्पण व उनके जुनून को दर्शाएगा। कसौली उनका दूसरा घर था और यहां के शांत परिवेश में ट्रेन टू पाकिस्तान जैसी कई कालजयी पुस्तकों को कलमबद्ध किया था। यही कारण था कि 2012 में उनके बेटे राहुल सिंह ने पिता के जीवित रहते ही लिटफेस्ट शुरू किया था, लेकिन वह इसमें नहीं आ पाए थे। 2014 में दिल्ली के घर में उनका निधन हो गया था।

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    ये हस्तियां करेंगी संवाद

    लिटफेस्ट में मुख्य वक्ता अमिताव घोष होंगे। इनके अलावा प्रख्यात बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया, महात्मा गांधी के पोते व लेखक राजमोहन गांधी, सत्य सरन, गायिका ऊषा उत्थुप, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, पूर्व राजनीतिक पवन वर्मा, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली, मृत्यांगना मल्लिका साराभाई समेत कई अन्य वक्ताओं का पैनल होगा। आयोजक राहुल सिंह ने बताया कि दो वर्ष बाद होने जा रहे लिटफेस्ट को लेकर उत्साह है।

    पर्यावरण में बदलाव पर भी होगा मंथन

    लिटफेस्ट का थीम द क्लाइमेट आफ चेंज है, इसलिए इसमें वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर भी मंथन होगा। कसौली में जंगल की आग तेंदुओं को विस्थापित कर रही है, जो शहर में आने के लिए मजबूर हैं। बेंगलुरु से लेकर वाराणसी तक, पाकिस्तान से लेकर यूरोप तक अचानक बाढ़ आ जाती है। क्या हमारे पास कोई विजन है कि हम 100 वर्ष में कहां होना चाहते हैं और क्या परिवर्तन हमें मिल सकता है, यह चर्चा के विषय होंगे। मुख्य वक्ता अमिताव घोष मुंबई को अगले 30 वर्ष तक जीवित रहने की उम्मीद नहीं करते हैं। इसके अलावा महिला सशक्तीकरण व बालिकाओं की शिक्षा पर भी संवाद होगा।