Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Khushwant Singh Litfest: कसौली में खुशवंत सिंह लिटफेस्‍ट का वर्चुअली आगाज, पाकिस्‍तान के साहित्‍यकारों ने भी किया याद

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 24 Oct 2021 12:32 PM (IST)

    Khushwant Singh Litfest खुशवंत सिंह ने राष्ट्रीयताओं को मिटा दिया था क्योंकि उनका मानवतावाद सांप्रदायिकता से पार था यह कहना था पाकिस्तान के इतिहासकार फकीर एजाजुद्दीन का। मौका था 10वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का जो वर्चुअल माध्यम से बीती शाम शुरू हुआ।

    Hero Image
    कसौली में 10वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में वर्चुअली जुड़े बुद्धिजीवी।

    सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। Khushwant Singh Litfest, खुशवंत सिंह ने राष्ट्रीयताओं को मिटा दिया था, क्योंकि उनका मानवतावाद सांप्रदायिकता से पार था, यह कहना था पाकिस्तान के इतिहासकार फकीर एजाजुद्दीन का। मौका था 10वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का जो वर्चुअल माध्यम से बीती शाम शुरू हुआ। लिटफेस्‍ट का आज समापन हो जाएगा। आज शाम के सत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश भी जुड़ेंगे। पाकिस्तान के पंजाब से जुड़े फकीर एजाजुद्दीन ने कसौली में आयोजित होने वाले खुशवंत सिंह लिटफेस्ट को याद करते हुए कहा खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में साहित्यकारों द्वारा उस महान शख्सियत को याद किया जाता रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वर्चुअल माध्यम से फेस्ट को होस्ट करते हुए उन्होंने कहा खुशवंत सिंह ने नौ से भी ज्यादा जिंदगियां जी हैं। वह किशोर शरणार्थी, निराश बेटा, निष्पक्ष वकील, चतुर विद्वान, राजनयिक, बायोग्राफर, आक्रामक संपादक, उदार संरक्षक व जोखिम भरे चुटकलों का समूह रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान में जन्में थे, इसलिए वह लाहौर को प्यार करते थे। वह 1987 में अपने जन्म स्थान हडाली भी आए थे, जहां पर हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया था। वह उस स्कूल में भी गए थे, जहां वह पढ़ते थे। उसके बाद वह कभी पाकिस्तान नहीं जा पाए थे। 2014 में उनके निधन के बाद मैं और पत्नी खुशवंत सिंह की अस्थियों को हडाली ले गए थे।

    मैंने इंगलिश में उन जैसा लिखा नहीं पढ़ा

    प्रसिद्ध उपन्यासकार व कवि पद्मश्री विक्रम सेठ ने खुशवंत सिंह ने अपने सत्र को शुरू करने से पहले दीया जलाकर उन्हें याद किया। खुखवंत उन्हें अपने दूसरा बेटा कहते थे। विक्रम सेठ ने खुशवंत सिंह के लिए अनफारगेटेबल खुशवंत सिंह नामक पुस्तक में एक सानेट लिखा था। उन्होंने खुशवंत सिंह के साथ अपने पारिवारिक संबंधों व उस तरह के अनुशासन को याद किया जो उन्होंने अन्य सभी के लिए किया था। वह अनुशासित थे और समय को पूरा महत्व देते थे। उन्होंने खुशवंत सिंह की नाट ए नाइस मैन टू नाे पुस्तक में से उनके द्वारा अपनी दादी पर लिखा गया द पार्टेड आफ ए लेडी को भी पढ़कर सुनाया कि वह अपनी बूढ़ी दादी से कितना प्यार करते थे। उन्होंने भी कालम लिखे हैं, लेकिन जिस तरह के मजेदार व दिलचस्प पीस खुशवंत सिंह लिखते थे, वैसे कभी नहीं पढ़े।

    जानबूझकर बैड ब्वाय की छवि बनाई

    खुशवंत सिंह और अधिक जीवंत हो गए जब केएस : ए सेकेंड लुक एट हिज मैनी लाइव्स सत्र में खुशवंत सिंह की दोहती व इतिहास की विद्वान नैना दयाल ने अपने नाना को भावुकता की सीमाओं तक ले जाकर याद किया कि कैसे खुशवंत सिंह उनका मार्गदर्शन आगे भी करेंगे। उन्होंने कहा कि खुशवंत ज्ञान के भंडार व अज्ञेयवादी थे, लेकिन साथ ही साथ एक बहुत ही धार्मिक आत्मा थे। उन्होंने कहा 1947, 1984 व 2002 के वर्ष उनके दिमाग में बहुत मजबूती से अंकित थे। पत्रकार व स्तंभकार बाच्ची करकारिया ने हैरानी भरे शब्दों में कहा खुशवंत सिंह ने इतने विद्वान होने के बावजूद जानबूझकर बैड ब्वाय की छवि बनाई है। उन्होंने ज्यादा शराब नहीं पी, लेकिन फिर भी वह अपना गिलास तेजतर्रार दिखाते थे। उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर के शुरुआती वर्षों में संरक्षण व जो कुछ भी सीखा है, उसका श्रेय खुशवंत सिंह को दिया। पूर्व राजनयिक व लेखक पवन वर्मा ने रेखांकित किया कि खुशवंत एक पुनर्जागरण व्यक्ति थे जो दूसरों को झटका देना पसंद करते थे। उन्होंने कहा वह अत्यंत विद्वान थे, फिर भी उन्होंने अपने चारों ओर एक गंदे बूढ़े व्यक्ति का व्यक्तित्व बनाया। यह उनकी प्रतिभा के बारे में बहुत कुछ बताती है।